Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 May, 2017 02:58 AM
पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह की तरफ से अपनी आत्मकथा में 21 नौजवानों द्वारा ....
जालंधर(चावला): पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह की तरफ से अपनी आत्मकथा में 21 नौजवानों द्वारा आत्मसमर्पण करने के पश्चात पुलिस प्रशासन द्वारा उन्हें कत्ल करने के दर्ज किए गए सनसनीखेज खुलासे पर अब सियासत गरमा गई है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान मनजीत सिंह जी.के. व जनरल सचिव मनजिंद्र सिंह सिरसा ने आरोप लगाया कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह के हाथ कथित तौर पर बेगुनाह सिखों के खून से रंगे हुए हैं।
वे राष्ट्रीय मानव अधिकार कमिशन में इस संबंधी कैप्टन अमरेंद्र सिंह के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज करवाएंगे। यह ऐलान उन्होंने दिल्ली में प्रैस कांफ्रैंस दौरान किया। दरअसल अपनी बायोग्राफी के विमोचन के बाद पिछली 17 मई को कैप्टन ने अपने ट्विटर अकाऊंट से ट्वीट कर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर उन्हें आत्मसमर्पण मामले में धोखा देने का आरोप लगाया था क्योंकि उक्त 21 युवकों का आत्मसमर्पण अमरेंद्र द्वारा करवाया गया था।
उन्होंने कहा कि 1980-90 दौरान पंजाब में सिख नौजवानों को पुलिस प्रशासन द्वारा सरकारी आतंकवाद के सहारे कत्ल करने की जो धारणा सिखों द्वारा बार-बार अपने दर्द के साथ बयान की जाती थी, कैप्टन अमरेंद्र ने उस धारणा को सच साबित कर दिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब में आतंकवाद के दौर में निर्दोष सिख नौजवानों का 3 तरीकों से कत्ल किया गया जिसमें झूठे पर्चे डाल कर न्यायिक कत्ल, हिरासत दौरान तशद्दद कर कत्ल और फर्जी पुलिस मुकाबलों द्वारा घरों से निकाल सिखों की नस्ल को खत्म करने की धारणा जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरेंद्र ने चाहे कबूलनामा कर अपने जमीर से भार उतार लिया है पर किस तरह मारे गए सिखों के परिवारों को आर्थिक सहायता और इंसाफ दिलवाएंगे, यह देखना बाकी है।
मुख्यमंत्री बनने के पश्चात अमरेंद्र की तरफ से पंजाब पुलिस के पूर्व प्रधान के.पी.एस. गिल के साथ मुलाकात दौरान गिल को पुष्पगुच्छ भेंट करने की तस्वीर सार्वजनिक करते हुए जी.के. ने मुलाकात की जरूरत पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गिल पर पहले ही नौजवान सिखों के कत्ल फर्जी मुकाबलों द्वारा करने के आरोप लगते रहे हैं इसलिए ऐसे मनुष्य के साथ गले में बांहें डाल कर तस्वीर खिंचवा कर कैप्टन अमरेंद्र सिंह क्या साबित करना चाहते हैं? सिरसा ने आरोप लगाया कि 25 वर्षों तक चुप रहने वाले कैप्टन अमरेंद्र का अब बोलना उनके गुनाहों को कम नहीं कर सकता क्योंकि 2002 से 2007 तक वह स्वयं पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं।
इसके साथ ही बतौर मैंबर पार्लियामैंट तथा विधायक के तौर पर सारे सदनों में इस मसले पर उनकी चुप्पी हैरत अंगेज रही है क्योंकि अब अमरेंद्र ने स्वयं इस कत्लेआम को कबूल किया है इसलिए उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है कि वह स्वयं अब सामने आकर दोषियों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज करवाएं। अमरेंद्र सिंह को बतौर गवाह मारे गए सारे 21 नौजवानों के नाम तथा घटना के साल को सार्वजनिक करने की सिरसा ने अपील करते हुए अमरेंद्र को दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ पंजाब में नया मुकद्दमा दर्ज करने की मांग की।