Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jun, 2017 12:52 PM
पिछले एक सप्ताह के दौरान मौसम में आए बदलाव का असर स्वास्थ्य पर भी पडऩे लगा है।
कपूरथला (मल्होत्रा): पिछले एक सप्ताह के दौरान मौसम में आए बदलाव का असर स्वास्थ्य पर भी पडऩे लगा है। रुक-रुक कर हो रही बारिश और गर्मी से राहत मिलने के साथ उमस भरे मौसम के कारण वायरल बुखार, खांसी, जुकाम के साथ मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जॉडिस, डायरिया के भी कुछ मामले अस्पतालों में आने लगे हैं। वहीं पिछले दिनों के दौरान हुई बारिश के बाद ऐसे मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है। इसके अलावा दूषित पानी के कारण होने वाली जलजनित बीमारियों की भी इस मौसम में संभावना ज्यादा रहती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से सावधानी बरतने के साथ-साथ विक्रेताओं यानी कि मैडिकल स्टोरों को भी इनके इलाज के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दवाइयां ही नहीं बल्कि हर प्रकार की दवाइयों के रख-रखाव और संभाल के मामले में भी सावधानी बरतने की सलाह दी है।
कपूरथला के मैडिकल स्टोरों पर लकड़ी के रैकों में रखी गईं लाइफ सेविंग दवाइयां
गर्मी के सीजन में तापमान का 40-45 डिग्री तक बढऩा इंसान की जिंदगी में कहां तक खतरनाक साबित हो सकता है इसका अंदाजा तो आप लगा ही सकते हैं। वहीं भरी गर्मी में 45 डिग्री के तापमान दौरान रखी गई लाइफ सेविंग (जीवन रक्षक) दवाओं व इंजैक्शनों पर इसका क्या असर होता होगा यह अंदाजा आप जिला कपूरथला के मैडिकल स्टोरों पर लकड़ी के रैकों में रखी गई इन दवाइयों से लगा सकते हैं। जहां इन जीवनरक्षक दवाइयों को उन पर लगे स्टोरेज लेबलों अनुसार ही रखना होता है पर अधिकतर मैडिकल स्टोरों पर लापरवाही बरतते हुए इन्हें निर्धारित मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए लकड़ी के बने रैकों में रखना अपने आप में सवाल पैदा करता है।
वहीं अगर विशेषज्ञों की मानें तो अधिकतर दवाइयों पर डायरैक्ट लाइट (सीधी रोशनी) नहीं पडऩी चाहिए, अधिकतर दवाइयां रखने वाली जगहों पर ए.सी. लगा होना चाहिए। हर मैडिकल स्टोर पर फ्रिज होना जरूरी है। विशेषज्ञों अनुसार एन्सुलीन ड्रग को 1 घंटे के लिए फ्रिज से बाहर रखा जाए तो उसका सारा असर खत्म हो जाता है और वह पानी बन जाता है।
क्या कहना है ड्रग इंस्पैक्टर का
इस संबंध में जब ड्रग इंस्पैक्टर संजीव कौशिक से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उनके जिले में 350 के करीब ड्रग स्टोर हैं। सभी के पास फ्रिज है व कुछ पास ए.सी. भी है। उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में आने वाली 217 किस्म की दवाइयां पहले रिजनल लैब खरड़ की लैब में टैस्ट करवाने उपरांत ही सिविल अस्पताल में मरीजों को मुहैया करवाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने जिले में विभिन्न दवाइयों के 280 सैम्पल भरकर कसौली की लैब में भेजे थे जिनमें से 200 के रिजल्ट सही आ चुके हैं। पुराने सैम्पलों में से 3 सैम्पल फेल होने कारण 2 के मामले माननीय अदालत में चल रहे हैं व 1 के फैसले उपरांत अदालत के हुक्म पर कंपनी का उस दवाई का ड्रग लाइसैंस कैंसिल कर दिया गया है। संजीव कौशिक। (वालिया)
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि बायोलॉजिकल इंजैक्शन को उसकी स्टोरेज कंडीशन के अनुसार ही मेनटेन रखना जरूरी होता है जैसे कि एंटीबॉयोटिक हायर क्लास मैडिसन, जिनमें सैफट्राए ओक्सोन, एम्पीसिलन इन्जैक्शन आदि हैं। उन्होंने बताया कि अधिकतर कंपनियों ने शीशियों वाली दवाइयों के लिए अम्बरकलर वाली बोतल मुहैया करवाई है जो शीशी के बीच की दवाई को सूरज की सीधी रोशनी पडऩे से बचाती है। उनका कहना है कि अगर जरूरत अनुसार दवाइयों को उनके अनुसार निर्धारित टैम्प्रेचर में नहींं रखा जाता तो वह ‘डी-ग्रेड’ हो जाती हैं उनकी एफिशिएंसी कम हो जाती है व कई बार इसका नैगेटिव असर भी हो जाता है। शेक करके प्रयोग करने वाली दवाइयों को उनके निर्धारित टैम्प्रेचर में रखना जरूरी है।