मालवा बनाम माझा लॉबी में फंसे कैप्टन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Sep, 2017 11:25 AM

captured in malva vs my lobby

सरकार बनने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के लिए सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। पार्टी में गुटबाजी लगातार हावी हो रही है ....

जालंधर(रविंदर शर्मा): सरकार बनने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के लिए सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। पार्टी में गुटबाजी लगातार हावी हो रही है और विधायकों में इस बात को लेकर रोष है कि मुख्यमंत्री दरबार में उनकी कोई नहीं सुनता।

मुख्यमंत्री के खिलाफ उठने लगे विधायकों के सुर
अब तो विधायकों ने भी अपने सुर मुख्यमंत्री के खिलाफ तेज करने शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री पर इस बात का दबाव विधायकों की ओर से सबसे ज्यादा है कि अकाली नेता बिक्रमजीत मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई की जाए। मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई हो या न हो, इसको लेकर भी पार्टी में 2 धड़े बन गए हैं। एक मालवा लॉबी है तो दूसरी लॉबी माझा से है। 

माझा की लॉबी इस बात के हक में है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह तुरंत प्रभाव से मजीठिया के खिलाफ एक्शन लें ताकि जनता से जो वायदा चुनावों से पहले कांग्रेस ने किया था उसे पूरा किया जा सके। नशे के खिलाफ कांग्रेस की मुहिम को इससे बल मिलेगा और अकाली दल प्रदेश में कमजोर होगा। इस बात को लेकर माझा से विधायक सुखजिंद्र रंधावा, सुख सरकारिया और लाली मजीठिया तुरंत प्रभाव से बिक्रमजीत मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई को उतावले हैं।

इन लोगों का कहना है कि वह नशे के खिलाफ व बिक्रमजीत मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई का वायदा कर ही विधायक बनकर आए हैं और जनता ने उन पर विश्वास जताया है। ऐसे में अगर अब बिक्रमजीत मजीठिया के खिलाफ कोई कार्रवाई न की गई तो वह जनता के बीच अपना विश्वास खो देंगे और भविष्य में जनता उनका साथ नहीं देगी। इससे न केवल उन्हें नुक्सान होगा बल्कि आने वाले समय में माझा से पार्टी का सफाया भी हो जाएगा। गौर हो कि इस बार माझा हलके से काफी विधायक चुनकर आए हैं और इन विधायकों ने सरकार बनाने में अहम रोल अदा किया है।

मजीठिया के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की मांग
माझा व मालवा के तकरीबन 40 विधायकों ने तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ को बकायदा चिट्ठी लिखकर मजीठिया के खिलाफ तुरंत प्रभाव से कार्र्रवाई करने को कहा है मगर अभी तक इस मामले में सरकार की ओर से चुप्पी ही साधी हुई है। वहीं दूसरी तरफ मालवा की कांग्रेस लॉबी नहीं चाहती है कि मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई हो। यह लॉबी कैप्टन पर कार्रवाई न करने का दबाव बना रही है। यह वह लॉबी है, जिनके अकाली सरकार में भी अकालियों से अच्छे संबंध रहे हैं और ये नहीं चाहते कि मजीठिया के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई हो। यह लॉबी कैप्टन पर बदले की राजनीति से दूर रहने का दबाव बना रही है और यह मैसेज दे रही है कि इससे कांग्रेस को नुक्सान होगा। 

कैप्टन खुद मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई के पक्षधर नजर नहीं आते। अकाली सरकार के समय भी जब प्रदेश भर में कांग्रेसियों ने मजीठिया के खिलाफ हल्ला बोला था तो कैप्टन ने यह कह कर पूरी मुहिम को ठंडा कर दिया था कि नशे के मामले में सी.बी.आई. जांच की कोई जरूरत नहीं है। बात चाहे जो भी हो, मगर कैप्टन पूरी तरह से माझा व मालवा की लॉबी के बीच पिसते नजर आ रहे हैं। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में कैप्टन का मजीठिया के प्रति क्या रुख रहता है। 

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