Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 12:49 PM
दोआबा के दिग्गज नेता राणा गुरजीत सिंह द्वारा इस्तीफा देने के बाद दोआबा में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व खत्म हो गया है
जालंधरः दोआबा के दिग्गज नेता राणा गुरजीत सिंह द्वारा इस्तीफा देने के बाद दोआबा में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व खत्म हो गया है जिसके बाद सीएम कैप्टन सिंह नए चेहरे की तलाश में हैं। राणा गुरजीत सिंह से पहले चौधरी जगजीत सिंह कैप्टन के दोआबा के सिपहसालार होते थे,उनके निधन के बाद कैप्टन ने दोआबा की कमान राणा को सौंपी थी,लेकिन अब उनके पास ऐसा कोई चेहरा नहीं जिसे कमान संभाली जा सके। दोआबा में जालंधर,नवांशहर,कपूरथला और होशियारपुर जिले आते हैंष इनमें दलित समाज के लोग बहुसंख्यक हैं,यही वजह है कि दोआबा की कमान हमेशा दलित नेता के हाथ ही रही है। इसमें चौधरी जगजीत सिंह अग्रणी श्रेणी में रहे हैं। इसके अलावा पूर्व सांसद महिंदर सिंह केपी भी दोआबा के दिग्गजों में गिने जाते रहे हैं।
2002 में जब कैप्टन की सत्ता सूबे में बनी थी तो उन्होंने जगजीत सिंह चौधरी को निकाय मंत्री बनाकर दोआबा में पावरफुल बनाया था। चौधरी जगजीत सिंह के निधन के बाद कैप्टन ने राणा को आगे किया। राणा सभी जिलों में अपना सिक्का चलाने लगे थे। कैप्टन मंत्रिमंडल में राणा मात्र एक चेहरा ही दोआबा से था। अब जालंधर से विधायक परगट सिंह को आगे लाने की चर्चाएं चल रही हैं लेकिन सिंह निकाय मंत्री नवजोत सिद्धू के खेमे से हैं। 2017 में विधानसभा चुनाव में ही परगट सिंह ने अकाली दल छोड़ कांग्रेस का दामन थामा था। यही कारण है कि कैप्टन इतनी जल्दी परगट सिंह को दोआबा की कमान देने वाले नहीं।
उधर होशियारपुर से राजकुमार चब्बेवाल कैप्टन के खेमे से हैं,इसलिए कैप्टन उन्हें आगे ला सकते हैं। नवांशहर से विधायक अंगद युवा चेहरा हैं। जालंधर से अवतार हैनरी को इस बार टिकट नहीं मिली उनका बेता जूनियर हैनरी विधायक बने हुए हैं। अब देखते हैं कि किसके सिर सजेगा दोआबा का ताज।