कैप्टन सरकार पर नई मुसीबत, ठेकों की नीलामी बनी गले की फांस

Edited By Updated: 30 Mar, 2017 01:44 PM

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पंजाब में शराब के ठेकों की नीलामी इस बार नई सरकार के लिए गले की फांस बन गई है।

जालंधर  (पाहवा): पंजाब में शराब के ठेकों की नीलामी इस बार नई सरकार के लिए गले की फांस बन गई है।  पिछले वर्ष शराब ठेकेदारों को हुए बड़े घाटे तथा हाइवे पर शराब ठेकों की बंदी ने सरकार के लिए परेशानी पैदा कर दी है। खास कमाई न होती देखकर इस बार शराब ठेकेदारों ने आवेदन करने में काफी सावधानी बरती है। जालंधर, अमृतसर, रोपड़, संगरूर व लुधियाना के समराला को छोड़कर पंजाब भर में शराब ठेकों के लिए आवेदन ही नहीं आए जिस कारण सरकार को अब पुन: विचार करना होगा। 

आवेदन से होने वाली कमाई गिरी
पंजाब सरकार को वर्ष 2016-17 में शराब ठेकों के लिए आवेदन करने वालों से हासिल आवेदन फीस में ही भारी राजस्व मिला था। करीब 150 करोड़ के उस समय हुए राजस्व में इस बार भारी गिरावट आई है। इस बार शराब ठेकों के आवेदन से मात्र 42 करोड़ रुपए के करीब आय हुई है। शराब ठेकेदारों की तरफ से इस बार रुचि नहीं दिखाए जाने से सरकार को काफी दिक्कत हो रही है। 

जालंधर डिवीजन में नीलामी आज   
गोराया व फिल्लौर के 8, जालंधर-2 के 6 ठेकों के लिए बुधवार को नीलामी होगी। नीलामी सुबह 9 बजे रैडक्रास भवन में आरंभ होगी जो दिनभर चलेगी। निगम क्षेत्र के लिए 6 ग्रुपों के लिए कुल 80 आवेदन आए हैं। इनमें ऑनलाइन आवेदनों की संख्या 72 है। इसी क्षेत्र में आते गोराया में एक ग्रुप के लिए 51 तथा फिल्लौर के एक ग्रुप के लिए केवल एक आवेदन आया है, जबकि जालंधर-2 में भोगपुर, आदमपुर, नकोदर-1 व 2, शाहकोट व नूरमहल के लिए कुल 290 आवेदन आए हैं। जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर, नवांशहर के लिए आवेदनों से सरकार को 11.38 करोड़ रुपए के करीब आय हुई है। इस जोन में कुल 1520 आवेदन आए हैं। 

कई जिलों में शराब ठेकों के लिए आवेदन नहीं आए 
पंजाब के कई जिलों में शराब ठेकों के लिए आवेदन नहीं आए जिनमें पटियाला, मोगा, फरीदकोट, भटिंडा, फिरोकापुर, मानसा इत्यादि शामिल हैं जिस कारण इन क्षेत्रों में ड्रा नहीं निकाले जाएंगे। इसके लिए नए सिरे से आवेदन व ड्रा की तारीख घोषित होगी। 

नोटबंदी व हाइवे पर नो वाइन काोन के चलते समस्या
पिछले वर्ष नवम्बर माह में देश में लागू हुई नोटबंदी के कारण शराब ठेकेदारों को भारी नुक्सान हुआ है। साथ ही अवैध तौर पर शराब का धंधा करने वालों पर भी सरकार ने सख्ती नहीं दिखाई जिस कारण ठेके की बजाय बैकडोर से सस्ती शराब खरीदने में लोग रुचि लेते रहे। ऊपर से मुख्य हाइवे पर शराब के ठेके न खोले जाने के अदालत के आदेश के बाद शराब ठेकेदार रुचि नहीं ले रहे हैं। पिछले वर्ष सरकार ने कोटे में काफी बढ़ौतरी कर दी थी। इस बार कोटा कम तो किया गया लेकिन उस हिसाब से नहीं जिससे कि ठेकेदार आसानी से शराब का कोटा बेच पाएं।  इन सभी कारणों से ही इस बार आवेदन नहीं हो रहे हैं। 

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