Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Aug, 2017 11:54 PM
5 एकड़ से कम जमीन के मालिक मगर 2 लाख तक के कृषि ....
चंडीगढ़: 5 एकड़ से कम जमीन के मालिक मगर 2 लाख तक के कृषि ऋण से दबे किसानों को राहत देने का ऐलान साकार होने वाला है। पंजाब सरकार का मानना है कि किसानों पर 9500 करोड़ का कर्ज है,जिसमें से पहली किस्त के तौर पर 1500 करोड़ रुपए रखे गए हैं।
किसानी कर्ज में सहकारी बैंकों का हिस्सा करीब 3500 करोड़ रहने का अनुमान है। इस पर इसी हफ्ते मुहर लगने की उम्मीद है। हालांकि स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी की मानें तो प्रति किसान 2 लाख तक के हिसाब से 5 लाख से ज्यादा किसानों पर सहकारी कर्ज 10,000 करोड़ से ज्यादा है। यह ऐसे किसान हैं,जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है। सहकारिता व कृषि विभाग 2.5 एकड़ तक के किसान को माॢजनल और 2.5 से 5 एकड़ तक जमीन मालिक को छोटा किसान मानते हैं।
चुनाव के समय ज्यों ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कर्ज माफी का वादा किया, किसानों ने अदायगी रोक दी। उन्हें पता था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार आएगी या ‘आप’ की। दोनों में से जो भी सत्ता में आया,वह बड़े वोट बैंक को देखते हुए कर्ज माफी पर जरूर कदम उठाएगा। सहकारिता विभाग के अफसरों की मानें तो पहले 85 प्रतिशत तक फसली कर्ज की किसान अदायगी कर देते थे मगर चुनावी घोषणा के बाद से लौटाना बंद कर दिया। हालात यह हैं कि सहकारी बैंकों का 55 फीसदी कर्ज किसानों की ओर पैंङ्क्षडग है। हक कमेटी अतिरिक्त मुख्य सचिव व वित्तायुक्त (विकास) व वित्त के प्रमुख सचिव के अलावा नाबार्ड व अन्य बैंकों के अफसरों संग बैठक कर रिपोर्ट तैयार करेगी। संस्थागत और गैर-संस्थागत कर्ज के आकलन के अलावा बैंकिंग भाषा में ‘बैड लोन’ कहे जाते कर्ज से निजात दिलाने के सुझाव का भी जिक्र किया जाएगा।
फसलों की कीमत के हिसाब से मिलता है कर्ज
फसलों की कीमत के हिसाब से सहकारी बैंकों से कर्ज मिलता है। किसानी भाषा में छमाही कर्ज भी कहा जाता है यानी कर्ज छह माह में फसल तैयार होने पर बैंक को लौटाकर दोबारा लिया जा सकता है। इस पर सात फीसदी ब्याज लगता है मगर समय पर ब्याज समेत पूरी राशि लौटाने वाले किसानों को उनकी साख के आधार पर सहकारी बैंक तीन प्रतिशत की सबसिडी देते हैं। इससे बढिय़ा अदायगी वाले किसान को कर्ज पर मात्र चार प्रतिशत ही ब्याज देना होता है।
रिपोर्ट का अध्ययन कर लेंगे फैसला
सूत्रों के मुताबिक सहकारिता विभाग ने सहकारी बैंकों के किसानों को दिए कर्ज संबंधी बैठकों का दौर तेज कर दिया है। माना जा रहा है कि कर्ज करीब 3,500 करोड़ होगा। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र के अनुसार कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी है। कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद ही तय किया जा सकेगा कि कुल सहकारी कर्ज में से कितना पहली किस्त के 1,500 करोड़ रुपए में रखा जाए।
अप्रैल में बनी थी कमेटी
डॉ. टी. हक की अध्यक्षता में कैप्टन सरकार ने अप्रैल में कमेटी गठित की थी जिसमें अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के निदेशक (दक्षिण एशिया) डॉ. प्रमोद जोशी और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वी.सी. डॉ. बी.एस. ढिल्लों भी थे। डॉ. हक केंद्रीय कृषि मंत्रालय के कृषि लागत व कीमत आयोग के चेयरमैन रह चुके हैं।