कैप्टन सरकार को 2019 के लोकसभा चुनाव में सबक सिखा सकती है जनता!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Feb, 2018 08:15 PM

captain can teach lesson to the government 2019 lok sabha elections

पंजाब की कैप्टन सरकार 11 महीनों से प्रदेश की जनता को सिर्फ लॉलीपॉप ही थमा रही है। कई तरह के मनलुभावन वायदे कर प्रदेश की स...

जालंधर(रविंदर शर्मा): पंजाब की कैप्टन सरकार 11 महीनों से प्रदेश की जनता को सिर्फ लॉलीपॉप ही थमा रही है। कई तरह के मनलुभावन वायदे कर प्रदेश की सत्ता में आई कांग्रेस सरकार पिछले 11 महीनों में एक भी वायदा पूरा नहीं कर पाई है। हालात तो यह है कि चुनावों से पहले किए हर वायदे से अब तो कैप्टन सरकार मुकरती नजर आ रही है। प्रदेश की जनता अब खुद को ठगा-सा महसूस करने लगी है और कांग्रेस को आगामी लोकसभा चुनाव में इसका खमियाजा प्रदेश में उठाना पड़ सकता है। 

कांग्रेस ने सबसे पहले यह वायदा कर लोगों का दिल जीता था कि सरकार बनते ही सुखबीर बादल, बिक्रमजीत मजीठिया, तोता सिंह व आदेश प्रताप कैरों को जेल में ठूंसा जाएगा। कांग्रेसी विधायकों ने मुहिम भी चलाई, मगर कैप्टन कोई एक्शन नहीं ले सके। कैप्टन समेत प्रताप सिंह बाजवा और सुनील जाखड़ भी चुनावों से पहले इन्हें जेल में ठूंसने के जोरदार भाषण दे रहे थे, मगर अब सत्ता में आते ही इन नेताओं ने चुप्पी साध ली है। 

न हर घर मिली नौकरी, न मिले स्मार्टफोन 
शहरी जनता का दिल कांग्रेस ने यह वायदा कर जीता था कि कांग्रेस सरकार बनते ही प्रापर्टी टैक्स को खत्म कर दिया जाएगा, मगर सत्ता में आते ही उसके सुर बदल गए। अब कांग्रेस का कहना है कि अगर प्रापर्टी टैक्स वापस ले लिया तो सरकार कैसे चलाएंगे। इसके बाद कांग्रेस का वायदा था कि हर घर नौकरी दी जाएगी। चुनावों से पहले जनता को बेवकूफ बनाकर हर हलके में नौकरी देने के फार्म तक भरवा लिए गए। लोगों को लगने लगा कि बस सरकार आते ही उनकी नौकरी लग जाएगी, मगर कैप्टन सरकार यह वायदा भी भूल चुकी है। इसके बाद युवाओं को लुभाने के लिए कांग्रेस ने पहले 100 दिन के भीतर ही 50 लाख स्मार्टफोन मुफ्त देने का वायदा किया था। अब इस वायदे से भी सरकार पीछे हटती नजर आ रही है। 

पुरानी सरकार पर खजाना खाली करने का आरोप, मगर श्वेत पत्र लाने से इंकार 
कैप्टन अमरेंद्र सिंह, सुनील जाखड़ और मनप्रीत बादल का कहना है कि वे स्मार्टफोन तो देना चाहते हैं, मगर सरकार की आॢथक स्थिति बेहद खराब है और इसका ठीकरा वह पूर्व की अकाली-भाजपा सरकार पर फोड़ते हैं। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि कांग्रेस के इन दिग्गज नेताओं को चुनावों से पहले ही प्रदेश की आॢथक स्थिति के बारे पता था, फिर इन्होंने जनता से झूठे वायदे क्यों किए। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि अगर अकाली-भाजपा सरकार ने प्रदेश को कंगाली की हालत में खड़ा कर दिया था, तो सत्ता में आते ही कैप्टन सरकार उनके खिलाफ श्वेत पत्र क्यों नहीं लेकर आई और जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। कुल मिलाकर कांग्रेस जहां अपना हर चुनावी वायदा भूल चुकी है, वहीं प्रदेश की जनता अब 2019 के लोकसभा चुनाव का इंतजार कर रही है, जब वह कांग्रेस को इन बातों का सबक सिखाने को तैयार है। 

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