Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Oct, 2017 09:31 AM
प्रदेश के आर्थिक हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। एक तरफ प्रदेश सरकार की ओर से रैवन्यू जैनरेट न करने की लापरवाही तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार से आने वाले टैक्सों की रफ्तार धीमी होने के कारण प्रदेश के हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। हालात यह बन गए हैं कि...
जालंधर (रविंदर शर्मा): प्रदेश के आर्थिक हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। एक तरफ प्रदेश सरकार की ओर से रैवन्यू जैनरेट न करने की लापरवाही तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार से आने वाले टैक्सों की रफ्तार धीमी होने के कारण प्रदेश के हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। हालात यह बन गए हैं कि सरकार के खजाने में 5000 करोड़ रुपए के बिल अटके हुए हैं। स्थिति इतनी बुरी है कि लोगों तक पैंश्न तक नहीं पहुंच पा रही। मगर जालंधर में आकर कैप्टन ऐसी घोषणा कर गए, जिनका अभी दूर तक कोई अता-पता दिखाई नहीं दे रहा। कैप्टन ने शहर के विकास के लिए खाली खजाने से 346 करोड़ रुपए का लॉलीपॉप तो दे दिया है मगर यह फंड कहां से आएगा और कब रिलीज किया जाएगा, इसका कोई जिक्र नहीं है।
राज्य की लगातार बिगड़ती आर्थिक स्थिति को लेकर अभी बुधवार को मुख्यमंत्री ने फाइनैंस विभाग की रिव्यू मीटिंग ली थी। मीटिंग में पहले 5 महीने की आॢथक स्थिति पर डिस्कस किया गया था जिसमें पाया गया कि इन 5 महीनों मेंआर्थिक घाटा 3455.24 करोड़ के घाटे को टच कर गया है। इन 5 महीनों में स्टेट रैवेन्यू से 17529.25 करोड़ रुपए इकट्ठा हुए, जबकि खर्चा 21582.63 करोड़ रुपए हुआ यानी प्रदेश सरकार की पिछले 5 महीनों में दाढ़ी से लंबी मूंछें रहीं। अगर राज्य सरकार पैंङ्क्षडग 5000 करोड़ के बिल भी जारी कर देती तो यह घाटा बढ़कर 8455 करोड़ रुपए हो जाएगा। इस आर्थिक घाटे को पूरा करने के लिए सरकार के पास कोई योजना दिखाई नहीं दे रही। प्रदेश के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल पूरी तरह से आर्थिक नीति पर फ्लॉप साबित हो रहे हैं।
वहीं सी.एम. आफिस से भी रैवेन्यू जैनरेट करने के लिए किसी भी योजना पर काम नहीं चल रहा है। न ही सरकार अपने खर्चों में किसी तरह की कटौती कर पाई है। आने वाले दिनों में यह घाटा और बढ़ सकता है और ऐसे में अगले महीने भी सरकारी मुलाजिमों की सैलरी एक बार फिर लटक सकती है। लगातार पैदा हो रही ऐसी स्थिति से आने वाले समय में सरकार को इस स्थिति से निपटना बेहद मुश्किल साबित हो सकता है। वहीं, मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार जालंधर में आए कैप्टन 346 करोड़ रुपए के विकास कामों को हरी झंडी का झुनझुना पकड़ा गए। पूछने पर कैप्टन अमरेंद्र सिंह कहते हैं कि केंद्र सरकार किसी भी तरह से सहयोग नहीं कर रही है। केंद्र सरकार से अगर सही मायनों में ग्रांट आए तो सभी मुश्किलों का हल निकल सकता है। वह कहते हैं कि 31 अगस्त तक पंजाब के केंद्रीय कोटे से सिर्फ 1453.67 करोड़ रुपए प्राप्त हुए, जबकि पंजाब को मिलने थे 6678 करोड़ रुपए यानी कुल राशि का सिर्फ 21 प्रतिशत ही मिल सका है। वहीं जी.एस.टी. रिफंड न होने के कारण भी दिक्कत पेश आ रही है। वह कहते हैं कि सरकार का विकास कामों पर पूरा ध्यान है और अकालियों की ओर से प्रदेश को कंगाली के हाल पर छोड़ जाने के बाद दोबारा ढर्रे पर आने में कुछ वक्त जरूर लगेगा।