Edited By Updated: 30 Mar, 2017 09:45 AM
पंजाब विधानसभा सत्र खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह मीडिया से मुखतिब हुए।
चंडीगढ़ (शर्मा) : पंजाब की कै. अमरेंद्र सिंह सरकार ने बेशक सत्ता संभालने के एक माह के अंदर राज्य को नशा मुक्त करने का वायदा किया है लेकिन राज्य के नशामुक्ति केंद्रों पर कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (कैग) की रिपोर्ट ने राज्य के नशा पीड़ितों व उनके परिवारों की ङ्क्षचताएं बढ़ा दी हैं। पंजाब विधानसभा के पटल पर बुधवार को रखी गई रिपोर्ट में इन केंद्रों की दुर्दशा का उल्लेख किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में नशा पीड़ितों के इलाज व उन्हें समाज की मुख्यधारा से पुन: जोडऩे के लिए पंजाब सरकार ने सितम्बर, 2007 से जुलाई, 2015 के बीच 4 आदर्श नशा मुक्ति केंद्रों व 31 नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना की थी। इसके अलावा पंजाब सरकार द्वारा अगस्त, 2016 में प्रत्येक जिले में 1-1 रिहैबिलिटेशन सैंटर भी स्थापित किए थे। रिपोर्ट के अनुसार ऑडिट टीम द्वारा 6 जिलों अमृतसर, भटिंडा, फरीदकोट, गुरदासपुर, बटाला, जालंधर तथा कपूरथला के 4 आदर्श नशा मुक्ति केंद्रों, 5 नशा मुक्ति केंद्रों व 6 रिहैबिलिटेशन सैंटरों की कारगुजारी की जांच की। रिपोर्ट के अनुसार पंजाब सरकार 36 लाख की केंद्र द्वारा मंजूर ग्रांट से इसलिए वंचित रह गई क्योंकि इसने 18 लाख की पहली किस्त का यूटिलाइजेशन प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को उपलब्ध नहीं करवाया।
मई, 2014 से दिसम्बर, 2015 के बीच 6.93 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित किए गए मालेरकोटला, आनंदपुर साहिब, नरोट जैमल सिंह तथा तलवंडी साबो में स्थापित किए गए नशा मुक्ति केंद्र व जालंधर में स्थापित रिहैबिलिटेशन सैंटर गत सितम्बर माह (रिपोर्ट तैयार करने) तक मनोचिकित्सक, मैडीकल ऑफिसर व सपोॄटग स्टाफ तथा उपकरणों की कमी के कारण शुरू ही नहीं हो सके जिस कारण न सिर्फ 6.93 करोड़ रुपए का व्यर्थ खर्च हुआ बल्कि क्षेत्र के नशा पीड़ित भी लाभ से वंचित रहे। यही नहीं, ऑडिट द्वारा जिन 15 केंद्रों के रिकार्ड की जांच की गई उन सभी में 25 से लेकर 100 प्रतिशत तक स्टाफ की कमी पाई गई। रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि पंजाब हैल्थ सिस्टम कार्पोरेशन द्वारा इन केंद्रों में दवाई की आपूॢत के लिए एक फर्म के साथ रेट कांट्रैक्ट करने के बावजूद आदर्श नशा मुक्ति केंद्र अमृतसर तथा नशा मुक्ति केंद्र बटाला द्वारा अन्य फर्म से दवाई खरीद कर 2.40 करोड़ का सरकारी राजस्व को नुक्सान पहुंचाया।
वहीं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कहा है कि ए.डी.जी.पी. हरप्रीत सिद्धू की अध्यक्षता वाली नशा विरोधी विशेष टास्क फोर्स (एस.टी.एफ.) शीघ्र ही पूरी तरह से कार्यशील हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि राज्य में नशों के विरुद्ध जंग चलाने के लिए सिद्धू को अपनी टीम बनाने के लिए पूरी आजादी दी गई है। उन्होंने आज कहा कि सिद्धू द्वारा शुक्रवार को कमान संभालने के शीघ्र बाद राज्य में नशों के खात्मे का मिशन चलाने के लिए विशेष टास्क फोर्स अपने पूरे शिखर पर आ जाएगी। विशेष टास्क फोर्स के मुखी सिद्धू राज्य से नशों को जड़ से खत्म करने के लिए अंतिम अथॉरिटी होंगे क्योंकि नशों ने हमारे हजारों बेगुनाह नौजवानों के जीवन से खिलवाड़ किया है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि नशों विरुद्ध मुहिम दौरान अनावश्यक परेशान नहीं किया जाएगा। केवल नशों का धंधा चलाने वाले असल दोषियों पर ही नकेल डाली जाएगी। उन्होंने कहा कि नशों के व्यापार और तस्करी में लगे किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना ही प्रभावी या उच्च रुतबे वाला व्यक्ति क्यों न हो, विशेष टास्क फोर्स नशों से जुड़े सभी पक्षों की तह तक जाएगी।
उन्होंने कहा कि गैर-कानूनी ड्रग बेचने वाले फार्मासिस्टों तथा दवाइयों की दुकानों पर भी ड्रग विभाग द्वारा निगरानी रखी जाएगी।