Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Feb, 2018 10:33 AM
जब से कै. अमरेंद्र सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं, तब से ही किसी न किसी मामले को लेकर वह अपने ही विधायकों व वर्करों के निशाने पर रह रहे हैं। जिस उम्मीद से पार्टी विधायकों व वर्करों ने उन्हें सी.एम. की कुर्सी पर बिठाया था, उनकी वह उम्मीद पूरी...
जालंधर(रविंदर शर्मा): जब से कै. अमरेंद्र सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं, तब से ही किसी न किसी मामले को लेकर वह अपने ही विधायकों व वर्करों के निशाने पर रह रहे हैं। जिस उम्मीद से पार्टी विधायकों व वर्करों ने उन्हें सी.एम. की कुर्सी पर बिठाया था, उनकी वह उम्मीद पूरी होती नजर नहीं आ रही। पिछले 11 महीनों से सी.एम. ने पूरी तरह से अपने विधायकों व वर्करों से दूरी बनाकर रखी हुई है। न तो विधायकों को मिलने का समय दिया जा रहा है और न ही सैक्रेटिएट में बैठ कर विधायकों की बात तक सुनी जा रही है। अब नए फरमान ने तो विधायकों व सी.एम. की दूरी और बढ़ा दी है।
सी.एम. से उनकी रिहायश में मिलने जाने वाले विधायकों को अब अपना मोबाइल फोन बाहर रखना होगा यानी कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सी.एम. को अपने ही विधायकों पर विश्वास नहीं रहा। वहीं सी.एम. के इस नए फरमान से पार्टी विधायकों में खासा रोष पनपने लगा है। 2002 से 2007 तक जब कैप्टन प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे तब भी कैप्टन ने अपने मंत्रियों व विधायकों से दूरी बनाए रखी थी, मगर समय-समय पर वह विधायकों व वर्करों की मांग को पूरा भी कर दिया करते थे। मगर अब की बार तो सी.एम. के ठाठ ही निराले हैं। सी.एम. की कुर्सी पर बैठे उन्हें 11 महीने हो गए हैं। न केवल सी.एम. ने जनता से दूरी बनाकर रखी हुई है, बल्कि अपने ही विधायकों व पार्टी वर्करों को भी कोई अहमियत नहीं दे रहे हैं। सैक्रेटिएट से दूरी बनाकर सी.एम. ने साफ संकेत दे दिया है कि वह जनता की कोई भी शिकायत या मुश्किल नहीं सुनना चाहते।
विधायकों ही नहीं, अधिकारियों में भी पनपने लगा रोष
सरकार के मोबाइल अंदर न ले जाने के नए फरमान के बाद न केवल विधायकों बल्कि अधिकारियों में खासा गुस्सा पाया जा रहा है। कइयों ने तो दबी जुबान में यहां तक कह दिया कि वह क्यों सी.एम. से मिलने जाएंगे। मुख्यमंत्री की सुरक्षा संभालने वाले आई.पी.एस. राकेश अग्रवाल का कहना है कि ऐसा सुरक्षा के मद्देनजर किया गया है। हालांकि सी.एम. को किससे खतरा है, वह इसके बारे में नहीं बता पाए।
किसी विधायक को जारी नहीं किया फंड
अपना रोजाना का सारा कामकाज कैप्टन अपनी चंडीगढ़ सी.एम. रिहायश से दी देखते हैं। हालात यह हैं कि सी.एम. बनने के बाद तो कई जिलों में कैप्टन ने दौरा तक नहीं किया। किसी विधायक को कोई फंड जारी नहीं किया और सारे का सारा खेल केंद्रीय ग्रांटों पर टिका हुआ है। अब सी.एम. रिहायश में फोन न ले जाने का आदेश देकर यह साबित कर दिया है कि उन्हें अपनी ही पार्टी के विधायकों पर विश्वास नहीं है। सी.एम. के साथ अगर मीटिंग हुई तो उसमें फोन सिर्फ चीफ सैक्रेटरी करण अवतार सिंह, मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, कैबिनेट मंत्री व दो-तीन कैप्टन के खासमखास ही ले जा सकते हैं। कोई भी विधायक या कोई भी आई.पी.एस. या आई.ए.एस. भी अपना फोन अंदर नहीं ले जा पाएगा। गौर हो कि राणा गुरजीत सिंह पर गंभीर आरोप लगने के साथ ही एक दलाल की जज से सैटिंग की ऑडियो सी.डी. सामने आने से काफी हंगामा मचा था। इसके बाद एक और कांग्रेसी नेता का सिं्टग बाहर आने के बाद सी.एम. पूरी तरह से डरे नजर आ रहे हैं।