Edited By Updated: 18 May, 2017 03:56 PM
कैप्टन ने नई दिल्ली में सारागढ़ी युद्ध पर आधारित अपनी किताब ‘सारागढ़ी एंड दि डिफेंस ऑफ द समाना फोर्ट्स’ और बायोग्राफी ''कैप्टन अमरेंद्र सिंह- दि पीपुल्स महाराजा'' रिलीज की। बायोग्राफी के लेखक खुशवंत सिंह हैं।
चंडीगढ़ः कैप्टन ने नई दिल्ली में सारागढ़ी युद्ध पर आधारित अपनी किताब ‘सारागढ़ी एंड दि डिफेंस ऑफ द समाना फोर्ट्स’ और बायोग्राफी 'कैप्टन अमरेंद्र सिंह- दि पीपुल्स महाराजा' रिलीज की। बायोग्राफी के लेखक खुशवंत सिंह हैं। इसमें उन्होंने कैप्टन अमरेंद्र सिंह के निजी और राजनीतिक जीवन से जुड़े कई बड़े खुलासे किए हैं।
रिलीज के बाद कैप्टन ने बताया कि दो साल पहले कांग्रेस हाईकमान से मतभेद के दौरान उन्होंने अपनी पार्टी बनाने की सोची थी, लेकिन भाजपा में जाने के बारे में कभी विचार नहीं किया। एक अन्य सवाल पर कैप्टन ने कहा कि उन्होंने 21 खालिस्तानी आतंकियों को सरेंडर करवाने के लिए बात की थी, लेकिन छह महीने में उन्हें मार दिया गया। इसके बाद उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से कभी बात नहीं की, क्योंकि उन्होंने धोखा दिया था।
लेखक खुशवंत सिंह बताते हैं कि उन्होंने जीवनी में खुलासा किया है कि जब कांग्रेस ने अमृतसर से चुनाव लड़ने के लिए कैप्टन को कहा था, तब उन्होंने मना कर दिया था। लेकिन जब नई दिल्ली से पटियाला लौटते वक्त फोन पर सोनिया गांधी ने सिंह से पूछा था, “क्या आप मेरे खातिर यह चुनाव लड़ेंगे?”तब अमरेंद्र सिंह ने हामी भर दी थी।
इससे पहले प्रियंका गांधी ने भी कैप्टन से अनुरोध किया था, “अंकल, मैं चाहती हूं कि आप अमृतसर से चुनाव लड़ें।” प्रियंका ने पिता स्व. राजीव गांधी और अमरेंद्र सिंह की दोस्ती का वास्ता दिया। इसके बाद सिंह ने अमृतसर से न केवल लोकसभा चुनाव लड़ा बल्कि मोदी लहर में उनके खास रहे अरुण जेटली को हराया भी।
गौरतलब है कि कैप्टन अमरेंद्रसिंह 16 मार्च को पंजाब के 26वें मुख्यमंत्री बने। यह दूसरा मौका है, जब उन्होंने पंजाब की बागडोर संभाली है। इससे पहले भी साल 2002 से 2007 तक वो मुख्यमंत्री रह चुके हैं। यानी सिंह की अगुवाई में कांग्रेस ने न सिर्फ दस साल बाद पंजाब में वापसी की है बल्कि मोदी लहर में कांग्रेस के लिए उम्मीदों की रोशनी भी जलाई है।
पंजाब विधान सभा चुनावों में 117 सीटों में से कांग्रेस ने 77 सीटें जीती हैं जबकि सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी गठबंधन और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त दी है। कैप्टन साल 2014 के लोकसभा चुनावों में भी भाजपा को शिकस्त दे चुके हैं। जब देश में मोदी लहर थी, तब कांग्रेस ने उन्हें अमृतसर सीट से उम्मीदवार बनाया था।