Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Jun, 2017 09:50 AM
पंजाब सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 का बजट पेश करके यह स्पष्ट कर दिया है कि सत्ताधारी पार्टी ने भी वायदाखिलाफी का चोला पहन लिया है।
लुधियाना (सेठी): पंजाब सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 का बजट पेश करके यह स्पष्ट कर दिया है कि सत्ताधारी पार्टी ने भी वायदाखिलाफी का चोला पहन लिया है। यह आरोप पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के महामंत्री सुनील मेहरा, सचिव मोङ्क्षहद्र अग्रवाल व जिला प्रधान राधेशाम आहूजा ने एक प्रैसवार्ता दौरान लगाए। इन नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री व वित्तमंत्री ने चुनावों से पूर्व अपने मैनीफैस्टो में जो वायदे किए थे, उन सबको दरकिनार कर दिया है। जी.एस.टी. बिल विधानसभा में पेश किया गया लेकिन उसमें से सख्त प्रावधान नहीं हटाए गए।
वित्त मंत्री ने कहा था कि कारोबारियों को भ्रष्टाचार व इंस्पैक्टरी राज से मुक्ति दिलाई जाएगी परंतु ऐसा नहीं होता दिखाई दे रहा है। इन नेताओं ने बताया कि 2005 में वैट से समय बादल ने उसमें से प्रॉसीक्यूशन और सर्च एंड सीजर के ऑर्डर वापस लिए थे परंतु इस सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया है, जिससे प्रतीत होता है कि सरकार राज्य के कारोबारियों को वायदों के सहारे ही रखना चाहती है इसलिए कैप्टन सरकार ने 5 एकड़ भूमि वाले किसानों के हित की सोची और उन्हें 2 लाख रुपए तक के कर्ज माफ, जबकि मरने पर सारा कर्ज माफ करने की घोषणा की गई है। वहीं कर्जे से डूब रहे कारोबारियों को किसी प्रकार की राहत नहीं दी गई है, जबकि 22 हजार के लगभग यूनिट बंद या पलायन हुए हैं। 65 हजार कारोबारियों ने वैट नंबर सरैंडर किए हैं। उनके पुनर्वास के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।
व्यापारी नेताओं ने कहा कि सरकार ने वायदा किया था कि पूरे राज्य को 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली दी जाएगी, जबकि नए उद्योग के लिए फ्री भूमि भी दी जाएगी। इसकी सरकार ने कमेटी बनाई है। इससे प्रतीत होता है कि ये दावे मात्र लुभाने के लिए हैं। उन्होंने मांग की कि किसानों को 6300 करोड़ की सबसिडी वाली बिजली दी जाती है, जो केवल 7 एकड़ भूमि वाले किसानों को ही दी जानी चाहिए। अमीर किसानों से यह सुविधा वापस लेकर सरकार के कोष को राहत दी जानी चाहिए। इन नेताओं ने दावा किया कि वर्तमान सरकार का कहना है कि वैट से सरकार 18 हजार करोड़ रुपए का टैक्स आता था, जिसमें जी.एस.टी. आने पर 14 फीसदी वृद्धि का अनुमान है और यदि सरकार ने अपनी पॉलिसी में बदलाव न किया तो यह वृद्धि तो दूर वर्तमान टैक्स में भी भारी गिरावट आ सकती है इसलिए सरकार अपने उन वायदों को पूरा करे, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह सरकार कारोबारियों की हितैषी है।