Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Oct, 2017 10:04 AM
माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के पटाखों संबंधी फैसले को लागू करवाने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह फेल हो गया। यही नहीं जिला प्रशासन द्वारा पटाखे बेचने के लिए स्थानीय शहर में निर्धारित किए नियमों की प्रशासन के...
निहाल सिंह वाला/बिलासपुर (बावा/जगसीर): माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के पटाखों संबंधी फैसले को लागू करवाने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह फेल हो गया। यही नहीं जिला प्रशासन द्वारा पटाखे बेचने के लिए स्थानीय शहर में निर्धारित किए नियमों की प्रशासन के नाक तले धज्जियां उड़ीं लेकिन प्रशासनिक अधिकारी मूकदर्शक बनकर सब कुछ देखते रहे।
बेशक दीपावली से एक दिन पहले एस.डी.एम. हरप्रीत सिंह अटवाल ने पुलिस पार्टी को साथ लेकर शहर में अनधिकृत पटाखों की स्टालें उठवाने की दिलेरी दिखाई लेकिन सूत्रों के अनुसार सत्ताधारी विधायक की शह के बाद माननीय एस.डी.एम. ने और रास्ता पकडना बेहतर ही समझा। इसके बाद पुलिस प्रशासन अपनी साख बचाता नजर आया।सूत्रों से यह भी पता चला है कि कांग्रेस के एक गुट के कुछ दुकानदारों की स्टालों को उठवाने से दूसरे पक्ष के दुकानदार नाराज हो गए तथा दोनों पक्षों की पुलिस स्टेशन में ही नोक-झोंक भी हुई। इसके बाद दोनों पक्षों के दुकानदार ही प्रशासन के आदेशों से बागी हो गए।
सिर्फ 6 पटाखा व्यापारियों को ही मिली थी मंजूरी
इस बार सिर्फ 6 पटाखा व्यापारियों को ही पटाखा बेचने की मंजूरी हासिल हुई थी, जिनमें से 4 निहाल सिंह वाला तथा 2 बधनी कलां के थे। प्रशासन द्वारा निहाल सिंह वाला के पटाखा व्यापारियों को कमला नेहरू काम्पलैक्स के आगे बने स्टेडियम में ही पटाखे बेचने की मंजूरी दी गई थी लेकिन दुकानदारों द्वारा अनधिकृत तौर पर ही दीवाली से 2 दिन पहले ही शहर के अंदर रिहायशी क्षेत्र तथा मार्कीट में बड़े स्टाल लगाकर पटाखे बेचने शुरू कर दिए गए थे। हैरानी की बात यह है कि पटाखों की शहर में 39 स्टालें लगीं जबकि मंजूरी सिर्फ 4 स्टालों की थी। इसके अलावा जिला प्रशासन द्वारा पटाखों को बेचने के लिए जो जगह निर्धारित की गई थी, वहां एक भी स्टाल नहीं लगे।
एक स्टाल के नजदीक पड़ा रहा गैस सिलैंडर
यही नहीं शहर के अंदर एक पटाखा स्टाल के साथ गैस सिलैंडर भी पड़ा रहा लेकिन बड़े खतरे से अनजान न तो स्टाल के मालिक तथा न ही पुलिस प्रशासन द्वारा इस प्रति कोई कदम उठाया गया। अगर कोई अनहोनी घटना घटित हो जाती तो बड़ा हादसा हो सकता था।
पुलिस पटाखा व्यापारियों को गांवों में ढूंढती रही
दूसरी तरफ गांवों के छोटे दुकानदारों द्वारा भी दुकानों के अंदर ही पटाखों की बिक्री की गई। जहां एक ओर बड़े पटाखा व्यापारी पुलिस प्रशासन के नाक तले नियमों की अवहेलना उड़ा रहे थे, वहीं पुलिस पटाखा व्यापारियों को गांवों में ढूंढती रही। कुछ स्थानों पर दुकानदारों ने पुलिस पर रिश्वत लेने के आरोप भी लगाए लेकिन पुलिस ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया।
2 करोड़ से अधिक के पटाखों की हुई बिक्री
सूत्रों के अनुसार हलका निहाल सिंह वाला में हर वर्ष पटाखा व्यापारियों द्वारा अढ़ाई करोड़ के करीब पटाखों की बिक्री की जाती थी। इस बार यह बिक्री कम होकर 2 करोड़ के करीब रही, लेकिन प्रशासन की सख्ती इस बार भी काम न आई। पिछले वर्ष की तरह इस बार भी 70 प्रतिशत से अधिक पटाखे विक्रेताओं ने बिना लाइसैंस के ही पटाखे बेचकर लाखों रुपए का टैक्स चोरी किया। इसके अलावा सरकारी आदेशों की अनदेखी करके रिहायशी इलाकों में भी पटाखों की बिक्री हुई। वहीं दूसरी ओर शहर में एक पटाखा व्यापारी के गोदाम को प्रशासन द्वारा सील करना तथा उसको बाद में लाइसैंस जारी होने पर उसको मिली राहत भी लोगों में चर्चा का विषय रही।