Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Dec, 2017 01:02 PM
पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के प्राइमरी स्कूलों में शुरू की गई प्री-प्राइमरी कक्षाओं का भले ही आंगनबाड़ी मुलाजिमों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है
होशियारपुर (जैन): पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के प्राइमरी स्कूलों में शुरू की गई प्री-प्राइमरी कक्षाओं का भले ही आंगनबाड़ी मुलाजिमों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है लेकिन सरकार का यह प्रोजैक्ट स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने तथा सरकारी प्राइमरी स्कूलों को बचाने के लिए एक वरदान साबित हो सकता है।
पहले सरकारी स्कूलों में 6 साल से अधिक आयु के बच्चों को दाखिल करवाने का प्रावधान था। जिसके चलते अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को 3 साल की आयु में ही किसी न किसी प्राइवेट स्कूल में दाखिल करवा देते थे।
परिणामस्वरूप सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या निरंतर कम होती चली गई क्योंकि बच्चे जिस स्कूल में अस्थायी तौर पर दाखिल होते थे वे अपनी पूरी पढ़ाई उसी स्कूल में जारी रखते थे।
इसी के दृष्टिगत शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के उन 800 स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज करने का फैसला किया गया जिन प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की कुल संख्या 20 से कम थी। हालांकि सरकार के इस फैसले पर अध्यापक वर्ग ने भी तीखी प्रक्रिया व्यक्त की लेकिन उनके पास सरकार के तर्क का कोई जवाब नहीं था।
दूसरी तरफ आंगनबाड़ी सैंटरों ने छोटे बच्चों को प्राइमरी स्कूलों में भेजने का जोरदार विरोध किया जिसके पश्चात सरकार ने फैसला लिया कि प्री-प्राइमरी स्कूलों को आंगनबाड़ी मुलाजिमों के सहयोग से ही चलाया जाएगा। इससे किसी भी आंगनबाड़ी वर्कर की नौकरी नहीं जाएगी। इसका असर यह हुआ कि राज्य भर में करीब सवा लाख छोटे बच्चे प्री-प्राइमरी कक्षाओं में दाखिल हुए। इससे बंद होने जा रहे 800 प्राइमरी स्कूलों में से अधिकांश ऐसे स्कूल बच गए क्योंकि इन स्कूलों ने 20 से ज्यादा संख्या में नए छोटे बच्चे दाखिल कर लिए थे।
मात्र बच्चों को प्री-प्राइमरी स्कूलों में दाखिल करने से सरकार का काम नहीं पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही प्री-प्राइमरी स्कूलों में वह शिक्षा उपलब्ध करवानी होगी जो प्राइवेट स्कूलों में दी जा रही है अगर ऐसा न हुआ तो अभिभावक अपने बच्चों को फिर से प्राइवेट स्कूलों में भेजने का मन बना सकते हैं। आज के युग में प्रत्येक अभिभावक सस्ती शिक्षा के स्थान पर अपने बच्चों के लिए बढिय़ा शिक्षा का पक्षधर है। इसके लिए वह किसी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं।
क्या कहते हैं शिक्षाविद्
इस संबंधी प्रमुख शिक्षाविद् व गवर्नमैंट टीचर्ज यूनियन के जिला प्रधान पिं्र. अमनदीप शर्मा ने कहा कि यूनियन पहले से ही इस बात की पक्षधर थी कि सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू की जाएं। अब सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि सरकारी स्कूलों में रिक्त पड़े अध्यापकों के पदों की पूर्ति की जाए। अध्यापकों से गैर-शिक्षण कार्य लेने बंद किए जाएं ताकि वे पूरा समय पाकर बच्चों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान कर सकेंगे।