बम डिटैक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वायड को पंजाब पुलिस ने किया और स्ट्रांग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Jan, 2018 12:11 PM

bomb detection and dispose squad by punjab police and strong

बीते सालों में मोड़ मंडी, दीना नगर में हुई आतंकी वारदातों के बाद पंजाब पुलिस ने बम डिटैक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वायड (बी.डी.डी.एस.) को और स्ट्रांग कर दिया है।

जालंधर (प्रीत): बीते सालों में मोड़ मंडी, दीना नगर में हुई आतंकी वारदातों के बाद पंजाब पुलिस ने बम डिटैक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वायड (बी.डी.डी.एस.) को और स्ट्रांग कर दिया है। 2 साल पहले तक 1988 के उपकरणों, यंत्रों के साथ ‘हाई रिस्क’ ड्यूटी कर रही बी.डी.डी.एस. को अपग्रेड किया जा रहा है। करीब अढ़ाई करोड़ रुपए के बजट के साथ बी.डी.डी.एस. को आधुनिक उपकरण उपलब्ध करवाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि साल 1988 में बी.डी.डी.एस. गठित किया गया। बी.डी.डी.एस. की एक टीम पुराने उपकरणों के साथ ही काम कर रही थी लेकिन करीब 2 साल पहले मोड़ मंडी ब्लास्ट, दीनानगर में हुए आतंकी हमले के दौरान बी.डी.डी.एस. ने काम किया। 

 


इस दौरान डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा के ध्यान में आया कि दस्ते के पास आधुनिक उपकरण तक नहीं है। आधुनिक तकनीक से लैस आतंकवादियों की योजनाओं को बी.डी.डी.एस. पुराने उपकरणों के साथ ही विफल कर रहा है। ऐसा ध्यान में आते ही डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा ने बी.डी.डी.एस. को अपग्रेड करने के निर्देश दिए। 2 साल पहले पी.ए.पी. के ए.डी.जी.पी. संजीव कालड़ा, आई.जी. एल.के. यादव तथा 7वीं बटालियन के कमांडैंट राजपाल सिंह संधू ने अपग्रेड करने काकाम शुरू करवाया। 
अब टीम को अपग्रेड कर हर सदस्य को सुविधाएं उपलब्ध करवाने का जिम्मा 7वीं बटालियन के कमांडैंट हरकमलप्रीत सिंह खख ने उठाया हुआ है।

 

बी.डी.डी.एस. की 2 और टीमें गठित, बार्डर जोन व बठिंडा जोन में तैनात होंगे स्क्वायड


आतंकवाद के समय से लेकर अब तक राज्य में बी.डी.डी.एस. की सिर्फ एक ही टीम काम कर रही थी। राज्य में किसी भी जगह कोई आतंकी वारदात, ब्लास्ट इत्यादि की सूचना होती तो यही टीम हर जगह काम करती। कमांडैंट खख के मुताबिक बी.डी.डी.एस. में पहले 23 कर्मचारी हैं, जिनमें से 5 कर्मचारी सी.एम. सिक्योरिटी, 7 मोबाइल एयरपोर्ट तथा बाकी टीम पूरे राज्य में वर्क करती है लेकिन डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा के निर्देशों पर राज्य में अब बी.डी.डी.एस. की जोन स्तर पर तैनात की जाएगी। इसके लिए अलग-अलग टीमों में तैनाती के लिए वैल क्वालीफाइड कर्मचारियों का चयन किया जा चुका है। सभी कर्मियों की ट्रेङ्क्षनग बी.डी.डी.एस. के प्रोफैशनल अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। 
कमांडैंट हरकमलप्रीत खख ने बताया कि बी.डी.डी.एस. की एक टीम बङ्क्षठडा जोन तथा एक बॉर्डर जोन में तैनात की जाएगी ताकि किसी भी सूचना पर उस एरिया में तैनात टीम तुरंत मौके पर पहुंचे। 


काम आर्मी का, करती है बी.डी.डी.एस.

वैसे तो बी.डी.डी.एस. काम काम निर्धारित है, यानी कि बम की सूचना पर मौके पर पहुंच कर बम निष्क्रिय करना, लोकेट करना, एयरपोर्ट ड्यूटी, मॉक ड्रिल, लॉ एंड आर्डर ड्यूटी करना है लेकिन पंजाब पुलिस की बी.डी.डी.एस. विभाग के लिए आर्मी तक का काम करती है। उदाहरणत: जिला अमृतसर के ब्यास थाना में आतंकवाद के समय आतंकवादियों से बरामद असला, गोली-सिक्का, बारूद, एक्सप्लोसिव पड़ा हुआ था। साल 2012 से इसे नष्ट करने के लिए प्रोसैसिंग चल रही थी।  सूत्रों ने बताया कि बी.डी.डी.एस. का काम उक्त सारा एक्सप्लोसिव को ध्यान से ले जाकर आर्मी के हवाले करना था। बी.डी.डी.एस. ने भारी मात्रा में हाईली एक्सप्लोसिव सामान नष्ट करने के लिए ब्यास थाना से निर्धारित स्थल पर ले जाया गया लेकिन आर्मी अधिकारी न होने के कारण बी.डी.डी.एस. ने अपने अधिकारियों से बीत की और 3 दिन हाई रिस्क में खुद ही आर.डी.एक्स., डायनामाइट जैसे एक्सप्लोसिव सफलतापूर्वक नष्ट कर दिए।

 

ड्यूटी हाई रिस्क, रिवार्ड जीरो

हाई रिस्क ड्यूटी करने वाला बी.डी.डी.एस. विभागीय अधिकारियों की नजरअंदाजी का शिकार है। आमतौर पर विभाग में कोई कर्मचारी अधिकारी बढिय़ा कारगुजारी दिखाता है तो उसे लोकल रैंक, बहादुरी डिस्क, प्रशंसा पत्र इत्यादि देकर प्रोत्साहित किया जाता है। आमतौर पर सी.एम. ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों को स्पैशल ड्यूटी अलाऊंस विभाग द्वारा दिया जाता है लेकिन हैरानीजनक तथ्य है कि 30 साल से दिन-रात हाई रिस्क में ड्यूटी कर रहे बी.डी.डी.एस. दस्ते को आज तक विभाग ने कोई पदोन्नति, बहादुरी डिस्क जैसा कोई रिवार्ड तक नहीं दिया। बी.डी.डी.एस. को रिवार्ड तो दूर कोई स्पैशल अलाऊंस नहीं दिया जाता।  बताने योग्य है कि दीनानगर में साल 2015 में हुआ आतंकी हमले के दौरान काम करने वाले कई कर्मचारियों को विभाग ने पदोन्नति और रिवार्ड दिए लेकिन जालंधर से दीनानगर जाकर 6 आई.ई.डी. डिफ्यूज करने वाली बी.डी.डी.एस. टीम को पदोन्नति, बहादुरी डिस्क देना तो दूर दफ्तरी स्तर का एक सर्टीफिकेट तक नहीं दिया गया। 

 

बी.डी.डी.एस. को मिले आधुनिक उपकरण (बम सूट) 
बी.डी.डी.एस. को बम सूट उपलब्ध करवाया गया है ताकि बम डिफ्यूज करते समय कर्मचारी बम सूट पहनेंगे ताकि अगर कोई ब्लास्ट होता है तो टीम सदस्य का कोई जानी नुक्सान न हो। 

 

बी.डी.डी.एस. स्क्वायड का 1-1 करोड़ का बीमा

कमांडैंट हरकमलप्रीत खख ने बताया कि कोई शक नहीं कि बी.डी.डी.एस. का ड्यूटी के दौरान हाई रिस्क रहता है लेकिन टीम द्वारा अपना काम अब तक बखूबी निभाया गया है। डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा के निर्देशों पर टीम के हर एक सदस्य का विभाग द्वारा एक-एक करोड़ की बीमा पॉलिसी करवाई गई है, जिसका प्रीमियम पुलिस विभाग द्वारा दिया जा रहा है।

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