उपचुनावों के नतीजों के बाद थिंक टैंक को लेकर बनाई जा रही रणनीति पर पुनर्विचार करेगी भाजपा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Feb, 2018 09:51 AM

bjp to reconsider strategy on think tank

बीते साल दिसम्बर में गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों में बाल-बाल बची भाजपा को अब राजस्थान और पश्चिम बंगाल के 3 लोकसभा और 2 विधानसभा हलकों के उप-चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।

चंडीगढ़(हरिश्चंद्र) : बीते साल दिसम्बर में गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों में बाल-बाल बची भाजपा को अब राजस्थान और पश्चिम बंगाल के 3 लोकसभा और 2 विधानसभा हलकों के उप-चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। इन  नतीजों  ने  भाजपा  के  थिंक टैंक को 2019 को लेकर बनाई जा रही रणनीति पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर दिया है।


चुनाव परिणाम राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के फिर से पटरी पर लौटने का संकेत है। कांग्रेस 4 साल में केंद्र की सत्ता से बाहर होने के साथ-साथ कई राज्यों में हार कर सत्ता गंवा चुकी है मगर अब प्रदर्शन फिर बेहतर होने लगा  है।  भाजपा  को  मिली  शिकस्त कांग्रेस के  लिए  किसी  संजीवनी  से कम नहीं है। राहुल गांधी और उनकी टीम का उत्साह इन नतीजों से निश्चय ही बढ़ा है।


अलवर में जीत का अंतर 1,96,000 वोट से अधिक


करीब डेढ़ महीना पहले गुजरात में भाजपा अपनी सरकार बरकरार रखने में चाहे कामयाब रही मगर 182 सदस्यीय विधानसभा में 100 से कम सीटों पर सिमट गई थी। इससे भी बुरी गत राजस्थान और पश्चिम बंगाल में हुई है। राजस्थान की अजमेर व अलवर लोकसभा सीटों और मांडलगढ़ विधानसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस के हाथ बाजी लगी है। अलवर में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत का अंतर 1,96,000 वोट से अधिक का रहा है। दोनों लोकसभा सीटें कांग्रेस ने भाजपा से छीनी हैं। भाजपा ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर कब्जा जमाया था। अब इस जीत के बाद राजस्थान से कांग्रेस के भी 2 सांसद लोकसभा पहुंच गए हैं।


राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव भी
राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं और जैसे नतीजे इस उपचुनाव में देखने को मिले हैं, उससे वसुंधरा राजे सिंधिया की चुनावी राह आसान नजर नहीं आती। राजनीतिक विश्लेषक इस चुनाव परिणाम को सिंधिया सरकार के रिपोर्ट कार्ड के तौर पर देख रहे हैं।


तृणमूल कांग्रेस की भारी अंतर से जीत
पश्चिम बंगाल में भी भाजपा की फजीहत कम नहीं हुई है। उलूबेडिय़ा लोकसभा और नवापाड़ा विधानसभा सीट के उपचुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस बड़े अंतर से जीतने में कामयाब रही। उलूबेडिय़ा में तृणमूल की सजदा अहमद ने निकटतम भाजपाई प्रतिद्वंद्वी अनुपम मलिक को 4,75,000 वोट से हराया। ऐसा ही हाल नवापाड़ा विधानसभा हलके में भाजपा का हुआ है। तृणमूल प्रत्याशी को 1,11,000 से अधिक जबकि भाजपा प्रत्याशी को महज 38,711 वोट मिले।


‘चाणक्य’ के क्षेत्र में 70 हजार से हार
नवापाड़ा हलका इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह उस उत्तरी 24 परगना जिले में है जहां पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री मुकुल रॉय रहते हैं। लंबे समय तक साथ रहे मुकुल को ममता ने ही तब मनमोहन सरकार में अपने स्थान पर रेल मंत्री बनवाया था जब वह पश्चिम बंगाल की सी.एम. बनी थीं। मुकुल पिछले साल ही तृणमूल कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। उन्हें भाजपा चाणक्य मान कर चल रही थी मगर उन्हीं के जिले में 70,000 वोट के बड़े अंतर से भाजपा हार गई।

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