पंजाब में भाजपा बसपा की राह पर

Edited By Updated: 18 Mar, 2017 11:09 PM

bjp on the path of bsp in punjab

पंजाब में बनी नई कांग्रेस सरकार ने अपना काम शुरू कर दिया है तथा राज्य में कांग्रेस पार्टी से लोगों को.....

जालंधर(पाहवा): पंजाब में बनी नई कांग्रेस सरकार ने अपना काम शुरू कर दिया है तथा राज्य में कांग्रेस पार्टी से लोगों को नई उम्मीदों की किरण नजर आ रही है। इस समय पंजाब में नई सरकार से उम्मीदें तथा पुरानी सरकार में हिस्सेदार भाजपा की हार सबसे अधिक चर्चा का विषय है जहां लोग नई सरकार से कुछ बेहतर उम्मीदें रख रहे हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी जैसे राष्ट्रीय दल की पंजाब में दुर्गत को समझ नहीं पा रहे हैं। 

अगर आंकड़ों के अनुसार देखा जाए तो पंजाब में भाजपा की जो हालत है, वही हालत बहुजन समाज पार्टी की भी है। अंतर सिर्फ इतना है कि भाजपा एक राष्ट्रीय दल है तथा इस समय केंद्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, हरियाणा, राजस्थान जैसे अहम राज्यों में सत्ता चला रही है जबकि बहुजन समाज पार्टी जिसका प्रमुख आधार उत्तर प्रदेश में था, वहां से समाप्त होने की कगार पर है। भाजपा की पंजाब में 23 में से 20 सीटों पर हार लोगों से पचाई नहीं जा पा रही है। एक तरफ जहां देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर का दावा भाजपा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ पंजाब जैसे राज्य में भाजपा की जो दुर्गत हुई है, वह काफी असहनीय है।

1992 से बसपा को फॉलो कर रही भाजपा
बहुजन समाज पार्टी जिस तरह से पंजाब में लगातार पिछड़ रही है, उसी प्रकार भाजपा भी लगातार पंजाब में लुढ़कती जा रही है। बहुजन समाज पार्टी जैसा दल जिसका पंजाब में न तो कोई खास आधार है तथा न ही वह कभी पंजाब की सत्ता में रही है लेकिन इसके बावजूद वह पंजाब में भाजपा के लगभग समानांतर वोटर शेयर रखती है। वर्ष 1992 से अगर बसपा तथा भाजपा के बीच का अंतर देखा जाए तो यह कोई ज्यादा खास नहीं है। 1992 में भाजपा ने 16.48 प्रतिशत वोट हासिल किए तो बसपा ने भी 16.32 प्रतिशत वोट हासिल किए। तब से लेकर भाजपा लगातार पंजाब में बसपा को ही फॉलो कर रही है। 

लोकसभा चुनाव का स्तर बचाने में भी बसपा पिछड़ी
पंजाब में बहुजन समाज पार्टी 1992 में अधिकतम वोट शेयर से अब 1.5 प्रतिशत वोट शेयर तक सिमट गई है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में बसपा को काफी कम वोट मिले जबकि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भी बसपा का वोट शेयर लगभग इतना ही था। बसपा ने अपने वोट प्रतिशत को संभाल कर रखा लेकिन भाजपा वह जादू नहीं कर पाई। लोकसभा चुनावों में भाजपा का 8.77 प्रतिशत तक वोट शेयर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों तक 5.4 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पंजाब में भाजपा बड़ी तेजी से बहुजन समाज पार्टी की राह पर है। पार्टी की अगर यही नीतियां रहीं तो पंजाब में बसपा का निम्र आंकड़ा भी भाजपा छू सकती है। 

हार पर खामोश भाजपा
पंजाब में विधानसभा चुनावों में अपनी बुरी हालत को लेकर भाजपा ने कोई ङ्क्षचतन या मंथन नहीं किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चुनावी परिणामों के बाद विदेश यात्रा पर चले गए जबकि उसके बाद पंजाब में बैठे भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेता या तो चुनावों की थकावट उतार रहे हैं या फिर अपने करीबियों को हार के लिए जिम्मेदार कारणों पर भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। पंजाब में इस समय भाजपा की गतिविधियां पूर्णता शून्य हैं। 

अब धरना प्रदर्शन पार्टी की भूमिका में 
हार के बाद पंजाब में भाजपा एक बार फिर से धरना प्रदर्शन पार्टी के तौर पर पहचान बनाती दिख रही है। विपक्ष में रहने की आदी भाजपा प्रदेश में 10 वर्ष तक सत्ता में रही लेकिन अपनी असली भूमिका नहीं निभा सकी। पार्टी ने विपक्ष में रहते हुए तो जनता से संबंधित अहम मसले खूब उठाए लेकिन अकाली दल के साथ रह कर जनता विरोधी मसलों पर भी भाजपा के नेता खामोश रहे जिसका असर यह हुआ कि पार्टी 19 से 3 पर आ गई। अब इस मामले में यह चर्चा चल रही है कि पंजाब में भाजपा हार के बाद बेहोश तो हुई लेकिन होश में आने के बाद एक बार फिर से धरना प्रदर्शन में जुट जाएगी। जाहिर है कि यह धरना प्रदर्शन राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ ही होगा। 

प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव की तैयारी
पंजाब में भाजपा की हार के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस पद पर मौजूद विजय सांपला विदेश दौरे पर हैं जबकि पार्टी में अब दबी जुबान में यह सुगबुगाहट शुरू हो गई है कि पंजाब में हार के लिए स्वयं सांपला तथा उनकी नीतियां जिम्मेदार हैं। कई नेता तो दबी जुबान में सांपला से इस्तीफा भी मांग रहे हैं लेकिन अभी तक इस मामले पर कोई खुल कर नहीं बोल रहा। वैसे सूत्र बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में सरकार के गठन के बाद पंजाब के मामले में केंद्रीय भाजपा अहम फैसला ले सकती है। वैसे इस पद के लिए अभी तक कोई दावेदारी सामने नहीं आई है क्योंकि पंजाब में जिस स्तर पर भाजपा पहुंच गई है, वहीं से उसे बाहर निकालना इतना आसान नहीं है। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!