Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Nov, 2017 07:47 AM
महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा में मची अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। भले ही केंद्र्र और राज्य में शिवसेना भाजपा के साथ हो लेकिन दोनों के रिश्तों में बर्फ जमी हुई है। इनके बीच तनातनी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिवसेना एक के...
जालंधर(पाहवा): महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा में मची अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। भले ही केंद्र्र और राज्य में शिवसेना भाजपा के साथ हो लेकिन दोनों के रिश्तों में बर्फ जमी हुई है। इनके बीच तनातनी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिवसेना एक के बाद एक लगातार कई मुद्दों को लेकर भाजपा पर हमला करती आ रही है। हाल ही में शिवसेना के विधायक हर्षवर्धन जाधव ने ऐसा आरोप लगाया जिसने प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। हर्षवर्धन जाधव ने कहा है कि भाजपा उनकी पार्टी के विधायकों को तोड़ अपनी पार्टी में शामिल करने की फिराक में है।
इसके लिए बाकायदा 5-5 करोड़ का लालच दिया जा रहा है। शिवसेना के विधायक हर्षवर्धन जाधव ने भाजपा के मंत्री चंद्रकांत पाटिल पर आरोप लगाया था कि उन्होंने शिवसेना छोड़कर भाजपा में शामिल होने के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रस्ताव दिया था।शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि भाजपा जब दावा करती है कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है तब दूसरी पार्टी के विधायकों की तरफ नजर करने की क्या जरूरत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिवसेना का कोई भी विधायक भाजपा में शामिल नहीं होगा। वैसे भाजपा ने जाधव के आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि जाधव ने अपने चुनाव क्षेत्र में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए यह आरोप लगाया है। जाधव भाजपा के महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष राव साहब दानवे के दामाद हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से शिवसेना और भाजपा में खटास का दौर शुरू हो गया था। उसके बाद सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति न बनने पर दोनों ही पाॢटयों ने 2014 के विधानसभा चुनाव अलग लडऩे का फैसला किया। लेकिन इस चुनाव में शिवसेना महज 63 सीटों पर थम गई और मोदी लहर का असर भाजपा के लिए वरदान साबित हो गया। विधानसभा चुनाव में भाजपा को 122 सीटें मिलीं। इसके बाद से दोनों पार्टियो में ऐसी कोल्ड वार शुरू हुई जो अब तक नहीं थमी है। गौरतलब हो कि कुछ दिनों पहले उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने पहुंचे थे। ममता ने भाजपा की आलोचना करने के लिए शिवसेना की प्रशंसा की थी। वहीं आदित्य ठाकरे ने एक ब्लॉग में भाजपा की कड़ी आलोचना की थी। ब्लॉग में आदित्य ने नोटबंदी के पीछे के इरादे को ‘संदिग्ध’ करार दिया था। साथ ही उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला देश और लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा।