पार्टी में एकजुटता के अभाव ने डुबोई भाजपा की लुटिया

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Oct, 2017 10:16 PM

bjp loots for lack of solidarity in party

पहले विधानसभा चुनाव में बुरी हार और अब 6 महीने के भीतर ही गुरदासपुर लोकसभा सीट को गंवा देने से भाजपा के भीतर घमासान तेज हो गया है। भाजपा के थिंक टैंक भविष्य के मंथन में जुट गए हैं। लगातार हार से प्रदेश में भाजपा का वर्कर भी हतोत्साहित हो रहा है और...

जालंधर(रविंदर शर्मा): पहले विधानसभा चुनाव में बुरी हार और अब 6 महीने के भीतर ही गुरदासपुर लोकसभा सीट को गंवा देने से भाजपा के भीतर घमासान तेज हो गया है। भाजपा के थिंक टैंक भविष्य के मंथन में जुट गए हैं। लगातार हार से प्रदेश में भाजपा का वर्कर भी हतोत्साहित हो रहा है और प्रदेश में अध्यक्ष समेत तमाम कार्यकारिणी को भंग करने की बात चलने लगी है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि प्रदेश भाजपा में शीर्ष स्तर पर चल रही धड़ेबाजी व गुटबंदी पार्टी की हार का कारण बनी है। 

गुरदासपुर उप चुनाव में पार्टी में एकजुटता का अभाव पूरी तरह से नजर आया। कई सीनियर नेताओं ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी। अधिकांश नेताओं का मानना है कि जब से प्रदेश प्रधान की कमान विजय सांपला को सौंपी गई है तब से भाजपा में गुटबंदी काफी हावी हुई है। सांपला के विरोधी धड़े ने गुरदासपुर में बिल्कुल भी पार्टी प्रत्याशी स्वर्ण सलारिया का साथ नहीं दिया। यह पार्टी में एकजुटता का ही अभाव है कि जी.एस.टी. व नोटबंदी से जनता में फैली नाराजगी को एक भी भाजपा नेता जनता के बीच जाकर दूर नहीं कर पाया है। प्रदेश स्तर पर भाजपा के नेता सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित रहे और लोगों में तरह-तरह के फैली भ्रांतियों को दूर करने में असफल रहे। प्रदेश भर में व्यापारियों व उद्योगपतियों में केंद्र सरकार के खिलाफ खासा लावा फूट रहा है, मगर एक भी भाजपा नेता ने आगे आकर इनकी आवाज सुनने का प्रयास नहीं किया। 

भाजपा के नेता सिर्फ और सिर्फ मोदी सरकार की झूठी वाहवाही लूटने में ही नजर आए। प्रदेश की बात करें तो यहां पर भाजपा का अपनी सहयोगी पार्टी अकाली दल पर ज्यादा निर्भर रहना भारी पडा है। जब प्रदेश में इनकी सरकार थी तब भी अकाली दल की ही ज्यादा चलती थी और भाजपा अकाली दल ने चुनाव प्रचार की शुरुआत तो बेहद आक्रामक तरीके से की थी, मगर अकाली दल की ज्यादा आक्रामकता लोगों में उनके घमंडी होने का संकेत दे गई। इसके बाद जैसे ही सुच्चा सिंह लंगाह का मामला सामने आया तो अकाली दल के सभी बड़े नेता गुरदासपुर से दूर भागने लगा। इसके बाद किसी भी भाजपा के बड़े नेता ने हलके की कमान नहीं संभाली। 

हिंदू नेता को कमान सौंपने की तैयारी
दीवाली के बाद प्रदेश भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। विधानसभा में बुरी हार के बाद अब गुरदासपुर उप चुनाव में हार ने भाजपा की 2019 की तैयारियों को तगड़ा झटका दिया है। 2019 लोकसभा चुनाव अब भाजपा प्रदेश में हिंदू नेता की कमान में लडऩे की तैयारी में जुट गई है। जल्द ही प्रदेश भाजपा को हिंदू नेता के रूप में नया नेता मिल सकता है।

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