भाखड़ा नहर बनी ‘मौत का कुआं’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jun, 2017 10:11 AM

bhakra dam suicide

कई दशकों पहले पंजाब के मालवा इलाके के बड़े हिस्से में आर्थिकता को नया जीवन देने के लिए बनाई गई भाखड़ा नहर अब ‘मौत का कुआं’ बन गई

पटियाला (बलजिन्द्र): कई दशकों पहले पंजाब के मालवा इलाके के बड़े हिस्से में आर्थिकता को नया जीवन देने के लिए बनाई गई भाखड़ा नहर अब ‘मौत का कुआं’ बन गई है। भाखड़ा नहर के एक हिस्से में कुछ किलोमीटर का ही एरिया आता है, में पिछले 19 दिनों में 20 व्यक्तियों ने आत्महत्या की कोशिश की जिसमें 11 की मौत हो गई और 9 को गोताखोरों ने जीवित निकाल लिया। आत्महत्या के लिए भाखड़ा नहर के चयन का सिलसिला पिछले समय के दौरान ज्यादा बढ़ा है। 19 दिनों के आंकड़े की बात की जा रही है, वह इसी महीने के 1 जून से आज 19 जून तक का है। 

आत्महत्या की कोशिश करना चिंता का विषय 
जो आंकड़ों की बात की जा रही है, उसका एरिया भी लगभग 25 किलोमीटर ही है। एक दिन में सिर्फ नाभा रोड पर 4 से 5 व्यक्तियों ने आत्महत्या की कोशिश की। इतने कम दिनों में इतने व्यक्तियों द्वारा आत्महत्या की कोशिश करना बड़ी चिंता का विषय है जिस पर बड़े स्तर पर विचार करना जरूरी भी हो गया है। कभी कत्ल करके भाखड़ा में फैंकने की घटनाएं ज्यादा सामने आती थीं और अब आत्महत्या की कोशिश की आ रही हैं। कभी कत्ल करके भाखड़ा नहर में फैंकने की घटनाएं ज्यादा सामने आती थीं परंतु पिछला रिकार्ड देखा जाए तो आत्महत्याओं का सिलसिला काफी ज्यादा बढ़ गया है। पिछले दिनों के रिकार्ड के मुताबिक औसतन रोजाना एक व्यक्ति की तरफ से आत्महत्या की कोशिश की जा रही है जिनमें ज्यादातर नाभा रोड और पस्याना रोड की ही घटनाएं हैं। 

आत्महत्याओं के पीछे घरेलू झगड़े सबसे बड़ा कारण
आत्महत्याओं की जितनी भी घटनाएं सामने आई हैं, उनमें घरेलू झगड़े सबसे बड़ा कारण हैं। इनमें या तो पति-पत्नी ने झगड़ा कर दोनों में एक ने आत्महत्या की कोशिश की या फिर बच्चों से परेशान बुजुर्ग मां-बाप ने आत्महत्या की कोशिश की है।

गोताखोरों को सरकार ने किया नजरअंदाज
भाखड़ा नहर पर तैनात भोले शंकर डाइवर्ज क्लब के गोताखोर लोगों की कीमती जानें बचाते हैं परंतु सरकार की तरफ से उनको कोई सहायता नहीं दी जा रही है। हालात ये हैं कि उनको भाखड़ा नहर के किनारे टैंट में सख्त गर्मी और सर्दी के दिनों में रहना पड़ रहा है। गोताखोरों को पारिवारिक गुजारे के लिए भी बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यदि गोताखोरों की कारगुजारी की बात करें तो पिछले 15 दिनों में भोले शंकर डाइवर्ज क्लब के गोताखोर 9 व्यक्तियों को जीवित नहर में से निकाल चुके हैं। क्लब के प्रधान शंकर भारद्वाज का कहना है कि सरकार की तरफ से उनको कोई सुविधा नहीं दी जाती है बल्कि जब भी कहीं सरकार को जरूरत पड़ती है तो गोताखोर 24 घंटे उपस्थित रहते हैं। चाहे बड़े हादसों के समय बस, ट्रक, कार नहर में से निकालनी हो या फिर लाशों को नहर में से निकालने का काम हो, गोताखोर बिना किसी स्वार्थ से काम करते हैं परंतु बार-बार प्रशासन को गुहार लगाने के बावजूद भी उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है। 

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