Edited By Updated: 09 May, 2017 02:10 AM
अाम अादमी पार्टी के नेता भगवंत मान काे पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
चंडीगढ़(शर्मा): दिल्ली में आम आदमी पार्टी के बीच मचा घमासान अब पंजाब पहुंच गया है। सोमवार को केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई ‘आप’ की पंजाब इकाई की बैठक में हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिला। एक ओर जहां गुरप्रीत सिंह घुग्गी को पंजाब संयोजक के पद से हटाकर भंगवत मान को कमान सौंपी गई, वहीं विधानसभा में चीफ व्हिप और प्रवक्ता सुखपाल सिंह खैहरा ने दोनों जिम्मेदारियां संभालने में असमर्थता जताते हुए इस्तीफा दे दिया।
सबसे पहले केजरीवाल ने सभी नेताओं से बंद कमरे में एक-एक कर विभिन्न मामलों पर राय जानी। इसके बाद सभी नेताओं को सामूहिक रूप से जानकारी दी गई कि सांसद भगवंत मान को पार्टी प्रदेश इकाई का संयोजक बनाया गया है। साथ ही सुनाम से विधायक अमन अरोड़ा को प्रदेश में जातिगत संतुलन को ध्यान में रखते ङ्क्षहदू चेहरे के रूप में उप-संयोजक की जिम्मेदारी दी जाए।
केजरीवाल की इस घोषणा के साथ ही हाई वोल्टेज ड्रामे की शुरूआत हुई। उधर, प्रदेश पार्टी संयोजक गुरप्रीत सिंह घुग्गी से संपर्क नहीं साधा जा सका लेकिन सूत्रों के अनुसार उन्होंने केजरीवाल से अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि उन्हें पद से हटाने के लिए इतना ड्रामा रचकर उन्हें जलील करने की क्या जरूरत थी? फोन कर इस्तीफा मांग लेते। बैठक में मौजूद विश्वस्त सूत्रों के अनुसार उसके बाद खैहरा ने मोर्चा संभाला।
जानकारी के अनुसार खैहरा द्वारा दलितों का मुद्दा उठाने पर जगराओं से पार्टी विधायक सर्वजीत कौर माणुके को विधानसभा में पार्टी विधायक दल के उप-नेता की जिम्मेदारी देने का फैसला हुआ। नेताओं ने भगवंत मान को प्रदेश संयोजक बनाने की तर्कसंगकता पर भी सवाल उठाए। कुछ नेताओं ने चुनाव दौरान भगवंत मान के वायरल हुए उन वीडियोज का भी उल्लेख किया जिनमें मान के शराब के नशे में होने की स्थिति दर्शाई गई थी। हालांकि केजरीवाल ने नेताओं को भरोसा दिलाया कि भविष्य में यदि मान ऐसी स्थिति में पाए जाते हैं तो उन्हें बदल दिया जाएगा।
जानकारों के अनुसार मान ने भी पार्टी नेताओं को भरोसा दिलाया कि अब कोई भी उन्हें नशे की हालत में नहीं पाएगा लेकिन खैहरा ने फिर सवाल उठाया और कहा कि यदि घुग्गी को सिर्फ इस कारण पद से हटाया जा रहा है कि उनके संयोजक पद पर रहते हुए पार्टी विधानसभा चुनाव हारी है तो फिर भगवंत मान तो चुनाव प्रचार कमेटी के प्रभारी थे। उन्होंने ही पूरे पार्टी प्रचार की कमान संभाल रखी थी तो फिर उन्हें जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया जा सका।