Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jan, 2018 11:10 AM
वर्ष 2018 की शुरुआत में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को मुसीबतों ने घेर लिया है।
चण्डीगढ़(सोनिया गोस्वामी) : वर्ष 2018 की शुरुआत में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को मुसीबतों ने घेर लिया है। साल के पहले महीने ही उनके लिए 3 मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। पहली मुसिबत शुरु हुई राणा गुरजीत के इस्तीफा देने से। इसके बाद उनके विश्वासपात्र सुरेश कुमार की नियुक्ति रद्द कर दी गई। इतना ही नहीं मेयर चुनाव में निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को अनदेखा करने कारण सिद्धू उनसे नाराज हो गए। सरकार बने अभी एक वर्ष पूरा नहीं हुआ कि भाजपा से आए सिद्धू ने तेवर दिखाने शुरु कर दिए जिस कारण कैप्टन के लिए मुश्किल खड़ी हो गई।
तीन नगर निगमों के मेयरों की चुनाव प्रक्रिया से दूर रखे गए नवजोत सिद्धू अमृतसर मेयर के चुनाव समारोह में भी शामिल नहीं हुए,जबकि उन्हें मनाने के लिए प्रदेश कांग्रेस प्रधान ने पंचायत मंत्री को उनके घर भी भेजा था। नवजोत सिद्धू जहां अमृतसर इस्ट के विधायक हैं, वहीं निकाय मंत्री भी हैं परन्तु उन्हें सूबे में मेयर की चुनाव प्रक्रिया से दूर रखा गया। यहां तक कि उनके शहर के मेयर और कौंसलरों के शपथ गृहण समारोह में भी नहीं बुलाया गया। इस कारण सिद्धू मुख्यमंत्री के साथ नाराज चल रहे थे। सोमवार को उन्होंने नाराजगी जाहिर भी कर दी थी परन्तु मंगलवार को अमृतसर में मेयर की चयन में वह पूरी तरह पार्टी के विरोध में उतर आए।
सिद्धू ने सिर्फ अकेले ही रोष प्रकट नहीं किया, बलकि उनके साथ 17 कांग्रेसी काऊंसलर भी आ गए। उन्होंने समारोह का खुले तौर पर बाइकाट कर दिया। सिद्धू के इन तेवरों से यही संकेत है कि वह कैप्टन के साथ आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं। अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि यह टकराव सूबे की राजनीति में कौन से नए समीकरण तैयार करता है।