Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jul, 2017 03:23 PM
जिस तरह से स्थानीय निकाय एवं सभ्याचारक एवं पर्यटन विभाग के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा भ्रष्टाचार से घिरे अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई लड़ाई के तौर पर अभियान छेड़ा गया है
अमृतसर(महेन्द्र): जिस तरह से स्थानीय निकाय एवं सभ्याचारक एवं पर्यटन विभाग के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा भ्रष्टाचार से घिरे अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई लड़ाई के तौर पर अभियान छेड़ा गया है, उसे लेकर सिद्धू हर तरफ चर्चा का विषय बने हुए हैं, लेकिन जिस तरह से अधिकांश सरकारी कार्यालयों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है और बड़े-बड़े अधिकारियों के बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों के साथ हाथ भी मिले हुए हैं, उसे देख इस बात की भी चर्चा है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ शुरू की गई लड़ाई की वजह से सिद्धू की यह लड़ाई कहीं राजनीति का शिकार ही न हो जाए।
सरकार के बहुत ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वाले पद पर रहते हुए सिद्धू जिस तरह से आए दिन बादल परिवार, केबल माफिया तथा अपने विभाग में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार आवाज बुलंद कर रहे हैं, उसे देख अधिकांश लोग उनकी सराहना करते दिखाई तो देते हैं, लेकिन साथ ही इस बात की आशंका भी जताते हैं कि आज की भ्रष्ट प्रणाली में कहीं सिद्धू की यह लड़ाई सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित न रह जाए।
अधिकारियों के साथ सियासी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं?
आम चर्चा है कि सरकारी अधिकारी अगर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर कोई काम करता है, तो उसे राजनीतिक नेता ही ऐसा करने के लिए बाध्य करते हैं, अन्यथा उन्हें खुड्डे लाइन लगा दिया जाता है। इस लिए सिर्फ सरकारी अधिकारियों को ही कानूनी कार्रवाई का निशाना बनाना कहां तक उचित है? इस पर भी लोग सवालिया निशान लगा रहे हैं। उनका यह कहना है कि अगर सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है, तो उन पर दबाव डाल कर गलत काम करवाने वाले राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जाती?