इस मां-बेटे की कहानी ला देगी आपकी आंख में आंसू

Edited By Updated: 24 May, 2017 05:25 PM

bathinda mother help

हर माता-पिता को अपने बच्चों के बड़े होने के बाद आशा होती है कि उनके बच्चे बड़े होकर उनका सहारा बनेंगे पर गांव कोठा गुरु की माता गुरदेव कौर पत्नी बूटा सिंह अपने बेटे का सहारा बनी हुई है।

भगता भाई(ढिल्लों): हर माता-पिता को अपने बच्चों के बड़े होने के बाद आशा होती है कि उनके बच्चे बड़े होकर उनका सहारा बनेंगे पर गांव कोठा गुरु की माता गुरदेव कौर पत्नी बूटा सिंह अपने बेटे का सहारा बनी हुई है। 

बेटे को रिक्शे में डाल मांग रही हैं भीख 
माता गुरदेव कौर की आयु करीब 70 वर्ष है पर इस आयु में अपने बेटे गुरप्रीत सिंह (40) व अपने पेट की भूख को मिटाने के लिए तथा 2 वक्त की रोटी का जुगाड़ करने के लिए वह दर-दर की ठोकरें खा रही है। गुरदेव कौर ने भरी आंखों से बताया कि उसकी उम्र की औरतें अपने बेटों के सहारे आराम की जिंदगी व्यतीत कर रही हैं पर वह अपने पुत्र को रिक्शे में डालकर दर-दर भीख मांगने के लिए मजबूर है। माता ने बताया कि जब उसका पुत्र 4-5 वर्ष का था तब वह किसी कारण अचानक बीमार हो गया तथा दोनों टांगों व कमर से अपाहिज हो गया।

मरने के बाद उसके पुत्र का क्या होगा?
उन्होंने उसका बहुत इलाज करवाया पर वह ठीक न हुआ। वह बस इसी तरह अपने पुत्र को रिक्शा में डालकर भीख मांगकर अपना गुजारा कर रही है। उसका कहना है कि बस उसको एक चिंता सताती है कि उसके मरने के बाद उसके पुत्र का क्या होगा? माता ने कहा कि उसे पंजाब सरकार से कोई मदद नहीं मिली है। उन्होंने पंजाब सरकार, जिला प्रशासन तथा समाजसेवी लोगों से अपने पुत्र की मदद के लिए हर संभव अपील की। माता ने जज्बात भरे लहजे में कहा कि सरकार करोड़ों रुपए अन्य कामों पर पानी की तरह बहा रही है पर जहां किसी की जिंदगी का सवाल है वहां सरकार ने अपना मुंह बंद किया हुआ है।

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