बैंक कर्मियों की हड़ताल से 350 करोड़ का कामकाज प्रभावित

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Aug, 2017 10:58 AM

bank employee protest

निजीकरण के उद्देश्य से केन्द्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के खिलाफ सरकारी बैंकों के कर्मचारी आज देश व्यापी हड़ताल पर रहे, जिससे महानगर

 जालंधर (पुनीत): निजीकरण के उद्देश्य से केन्द्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के खिलाफ सरकारी बैंकों के कर्मचारी आज देश व्यापी हड़ताल पर रहे, जिससे महानगर जालंधर में बैंकिंग क्षेत्र का 350 करोड़ रुपए का कामकाज प्रभावित हुआ। कई प्राइवेट बैंक भले ही खुले रहे लेकिन चैकों की क्लीयरिंग नहीं हो पाई। यूनाइटिड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले हड़ताल कर रहे कर्मचारियों ने विभिन्न स्थानों पर केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कहा कि कार्पोरेटरों को लाभ देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा जो कदम उठाए जा रहे हैं उसे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

यूनियन के कन्वीनर ने कहा कि आज हड़ताल से शहरी क्षेत्र में 360 जबकि ग्रामीण इलाकों में 850 ब्रांचें बंद रहीं। कंपनी बाग चौक में धरने प्रदर्शन को संबोधित कर रहे वक्ताओं ने कहा कि यह सांकेतिक हड़ताल है। सरकार द्वारा समुचित संज्ञान नहीं लिया गया तो आने वाले दिनों में संघर्ष को और तीव्र किया जाएगा, जिसमें नवम्बर माह में 2 दिन की हड़ताल तथा उसके पश्चात अनिश्तिकालीन हड़ताल की घोषणा करने से भी गुरेज नहीं किया जाएगा। स्टेट बैंक आफ इंडिया की मुख्य ब्रांच के बाहर धरने को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक के दबाव में आकर सरकार न केवल राष्ट्रीयकृत बैंकों बल्कि समस्त सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने का प्रयास कर रही है। 

बैंकिंग उद्योग के कुछ ज्वलंत विषयों के संबंध में वक्ताओं ने बताया कि बैंक एकत्रीकरण से 4-5 बड़े बैंक बनाना, फिर उनमें सरकार की भागीदारी को कम करना और फिर निजी हाथों में सौंप देना देश व आम जनता के हित में नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि प्रस्तावित हड़ताल देश को निजी व विदेशी हाथों में गिरवी रखने से रोकने के लिए है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग बोर्ड ब्यूरो जैसी असंवैधानिक संस्था को बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए एफ.आर.डी.आई. बिल के माध्यम से भारतीय स्टेट बैंक व भारतीय जीवन बीमा निगम सहित किसी भी बैंक अथवा बीमा कंपनी को बंद करने का प्राधिकार एक संस्था को सौंपने के सरकार के प्रयासों का विरोध किया जाएगा। 

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