इतनी आसान नहीं नए मेयर की राह, आगे हैं चुनौतियों का अंबार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Mar, 2018 11:58 AM

balkar sandhu becomes mayor of ludhiana

बलकार संधू लुधियाना के 6वें मेयर तो बन गए हैं। लेकिन ताजपोशी के बाद आगे उनकी राह इतनी आसान नजर नहीं आ रही, क्योंकि नगर निगम में उनको चुनौतियों के अंबार का सामना करना पड़ेगा। इसमें समस्याओं के समाधान के अलावा लोगों को सुविधाएं मुहैया करवाने से जुड़े...

लुधियाना(हितेश): बलकार संधू लुधियाना के 6वें मेयर तो बन गए हैं। लेकिन ताजपोशी के बाद आगे उनकी राह इतनी आसान नजर नहीं आ रही, क्योंकि नगर निगम में उनको चुनौतियों के अंबार का सामना करना पड़ेगा। इसमें समस्याओं के समाधान के अलावा लोगों को सुविधाएं मुहैया करवाने से जुड़े सिस्टम में सुधार लाने के पहलु मुख्य रूप से शामिल रहेंगे।

बदहाल सफाई व्यवस्था के लिए जिम्मेदार ए टू जेड के काम में सुधार
महानगर में सफाई व्यवस्था का अभाव एक बड़ी समस्या बन चुका है। जिसके तहत गलियों-सड़कों पर सफाई के लिए मुलाजिम तो लगाए हुए हैं। लेकिन उनमें से अधिकतर काम पर नहीं आते। इसके अलावा जो कूड़ा सफाई कर्मियों द्वारा इकट्ठा करके कंटेनर प्वाइंट तक पहुंचाया जाता है, उसे ए टू जेड कंपनी द्वारा समय पर नहीं उठाया जा रहा है। इसी तरह 7 साल में कूड़े की डोर टू डोर कलैक्शन नहीं शुरू हो पाई। यही हाल लिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट लगाने का है। जिस कारण स्वच्छ भारत मुहिम का जनाजा निकल रहा है। अब देखना यह है कि नए मेयर इस हालात में कितना सुधार कर पाते हैं।

बिजली व तेल के खर्चों में कटौती जरूरी
नगर निगम में हर महीने एक बडा खर्च बिजली व तेल के बिलों का है। जिनमें काफी फिजूलखर्ची भी होती है। उसके मद्देनजर स्ट्रीट लाइटों, ट्यूबवैलों व आफिस में बिजली की बर्बादी रोकना जरूरी है। इसी तरह गाडिय़ों में तेल का फर्जी खर्च दिखाने की समस्या पर रोक लगाना भी जरूरी है।

विकास के नाम पर हो रही फिजूलखर्ची
नगर निगम द्वारा हर साल विकास कार्यों के नाम पर कई सौ करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं। इसमें कई जगह ऐसी सड़कें-गलियां, पार्क आदि का निर्माण भी करवा लिया जाता है, जो ठीक हालात में होने कारण उनसे काम चलाया जा सकता है। लेकिन पार्षदों के दबाव का हवाला देते हुए नगर निगम अफसर भी आंखें बंद करके एस्टीमेट बना रहे हैं। इस रिवायत को रोकने पर नए मेयर उस पैसे को बाकी शहर के विकास पर खर्च करने का टारगेट पूरा कर सकते हैं।

क्वालिटी कंट्रोल का निकला जनाजा
नगर निगम द्वारा सड़कों-गलियों के निर्माण के रूप में जो भी विकास कार्य करवाए जाते हैं। उनमें क्वालिटी कंट्रोल का कोई ध्यान नही रखा जाता। इसके तहत ठेकेदारों द्वारा मनमर्जी की निर्माण सामग्री का प्रयोग किया जाता है और अधिकारी मौके पर मौजूद रहने की बजाय आफिस में बैठकर ही स्पैसीफिकेशन के मुताबिक काम होने का सर्टीफिकेट देकर बिल बना देते हैं। इसका सबूत सड़कें बनने से कुछ देर बाद टूटने के रूप में सबके सामने हैं।

अवैध निर्माण हैं कंगाली की जड़
नगर निगम की कंगाली की जड़ महानगर में लगी अवैध निर्माणों की भरमार है। इसके तहत नक्शे पास करवाए बिना बन रही बिल्डिंगों के चालान डालकर कोई जुर्माना नहीं वसूला जाता। जबकि अवैध निर्माण पर कार्रवाई न करने के बदले यह पैसा निगम अफसरों की जेब में जा रहा है। अगर अवैध निर्माणों पर लगाम लग जाए तो निगम को फंड के लिए सरकार के सामने हाथ नहीं फैलाने होंगे। इस टारगेट को हासिल करने के लिए नक्शे पास करने की प्रक्रिया को भी सरल करना होगा।

अतिक्रमणों व पार्किंग की समस्या
महानगर में सबसे बड़ी समस्या पार्किंग की है जिसके लिए अतिक्रमणों व पार्किंग का अभाव जिम्मेदार है। एक तो बड़े परिसरों ने पार्किं ग के लिए छोड़ी जगह का प्रयोग किसी अन्य काम के लिए करना शुरू किया हुआ है। दूसरा हर जगह लोग सड़क पर वाहन खड़े करके चले जाते हैं। इसके बाद बची सड़क की बाकी जगह पर दुकानदारों के सामान के अलावा रेहड़ी-फड़ी वालों का कब्जा है जो तहबाजारी शाखा द्वारा हटाने व चालान डालने के कुछ समय बाद दोबारा काबिज हो जाते हैं। अब देखना यह होगा कि नए मेयर इन समस्याओं के हल के लिए क्या कदम उठाते हैं।

पार्कों की दुर्दशा सुधारने के लिए प्राइवेट सैक्टर की मदद का सहारा
महानगर के विभिन्न इलाकों में स्थित सैंकड़ों पार्कों में से काफी की मैंटीनैंस तो नगर निगम ने प्राइवेट कंपनियों या पार्क मैनेजमैंट कमेटियों को दी हुई है। लेकिन कई पार्क अनदेखी का शिकार होने के कारण अपनी दुर्दशा पर आंसु बहा रहे हैं। जहां रेङ्क्षलग, फुटपाथ व फव्वारे टूटे पड़े हैं और घास की कटाई भी नहीं होती। इनकी हालत सुधारने के लिए प्राइवेट सैक्टर की मदद का ही सहारा बचा है। 

रैवेन्यु जैनरेशन की दिशा में उठाने होंगे कदम
नगर निगम की आमदनी के मुख्य स्रोत प्रापर्टी टैक्स, पानी-सीवरेज के बिल व लाइसैंस फीस को माना जाता है। लेकिन इनकी रिकवरी के मामले में अधिकारी पूरी तरह फिसड्डी साबित हो चुके हैं। इसके तहत बड़ी संख्या में लोगों ने एक बार फिर भी प्रापर्टी टैक्स नहीं भरा और अधिकतर द्वारा रैगुलर रिटर्न नहीं दाखिल की जा रही। जबकि प्रापर्टी टैक्स रिटर्न में गलत सूचना देकर नगर निगम के रैवेन्यु को चूना लगाने का पहलु अलग है। इसके अलावा पानी-सीवरेज के लाखों कनैक्शन अवैध रूप से चल रहे हैं ओर जिन्होंने कनैक्शन पास करवाए उनमें से लाखों लोग बिल नहीं दे रहे। यही हाल टै्रड लाइसैंस फीस न देने वालों का है। जिससे नगर निगम को कई सौ करोड़ का नुक्सान हो रहा है। जो रैवेन्यु बचाने व बढ़ाने की चुनौती मेयर के सामने होगी।

यह है बलकार संधू का विजन
बलकार संधू का कहना है कि वो पार्टीबाजी से ऊपर उठकर विकास कार्यों के मामले में किसी के साथ पक्षपात नहीं करेंगे और सभी पार्षदों व विधायकों की सलाह के साथ एक रोडमैप बनाकर काम किया जाएगा। इन कामों को पूरा करने के लिए फंड की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। जिसके तहत लोगों से नगर निगम को पूरा रैवेन्यु देने के लिए प्रेरित किया जाएगा। जहां सफाई व्यवस्था के अभाव का सवाल है। उसमें सुधार के लिए नगर निगम द्वारा अपने तौर पर तो पहलकदमी की ही जाएगी, लोगों को भी गंदगी न फैलाने के लिए आगे आना होगा। इसी तरह सड़कों की हालत में सुधार करने पर जोर रहेगा। इसमें सड़कों की मुरम्मत व नए सिरे से निर्माण शुरू करने बारे निर्देश अधिकारियों को जारी कर दिए गए हैं।

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