ट्रूडो के फीके स्वागत पर बाजवा ने उठाए सवाल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Feb, 2018 11:46 AM

bajwa raising questions on trudeau s faint welcome

पंजाब से राज्यसभा के सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का फीका स्वागत किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्र सरकार की विदेश नीति पर निशाना साधा है।

अमृतसर/गुरदासपुरः पंजाब से राज्यसभा के सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का फीका स्वागत किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्र सरकार की विदेश नीति पर निशाना साधा है। पंजाब केसरी के संवाददाता रमनदीप सिंह सोढी के साथ बातचीत के दौरान बाजवा ने कहा कि जस्टिन ट्रूडो को नजरअंदाज करके पी.एम. ने कनाडा के साथ बेहतर संबंधों की संभावना को कम किया है। पेश है पूरी बातचीत

 

 

प्रश्न : जस्टिन ट्रूडो के पंजाब दौरे को आप किस तरह से देखते हैं?

उत्तर : कनाडा में 7 से 8 लाख पंजाबी रहते हैं और इनमें से अधिकतर संख्या सिख भाईचारे के लोगों की है। पंजाब में हम 13 लोकसभा मैंबर चुनकर संसद में भेजते हैं लेकिन कनाडा में 18 पंजाबियों को संसद में जगह मिली है। यह दुनिया का ऐसा पहला देश है जहां 4 पंजाबी केंद्र सरकार में मंत्री हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी खुद कहा था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले उन्होंने अपनी कैबिनेट में सिखों को ज्यादा तरजीह दी है। ट्रूडो के पंजाब दौरे से राज्य को ज्यादा फायदा होगा क्योंकि कनाडा और पंजाब दोनों की आर्थिकता कृषि पर टिकी हुई है और कनाडा हमें कृषि क्षेत्र में काफी सहायता कर सकता है। कनाडा में बसने वाले पंजाबियों की नजर इस दौरे पर लगी हुई थी और वे यह चाहते थे कि कनाडा के प्रधानमंत्री का भारत खुले दिल से स्वागत करे।

 

प्रश्र : क्या कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने भी इस मामले में देरी नहीं कर दी?

उत्तर : इसका जवाब खुद कैप्टन अमरेंद्र सिंह दे सकते हैं। इस मामले में देरी तो हुई है, यह पहले हो जाना चाहिए था लेकिन अब भी जो हुआ है ठीक हुआ है और इस मुलाकात के दौरान पुराने गिले-शिकवे दूर हुए हैं लेकिन मुझे ज्यादा नाराजगी केंद्र सरकार के रवैये से है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, डोनाल्ड ट्रम्प की बेटी, यू.ए.ई. के प्रिंस, इसराईल के प्रधानमंत्री के लिए प्रोटोकॉल तोड़ा और उनका गर्मजोशी से स्वागत हुआ लेकिन जस्टिन ट्रूडो जैसे व्यक्ति का आगरा में स्वागत करने के लिए डी.एम. को भेजा गया। वहां कम से कम यू.पी. के मुख्यमंत्री को जाना चाहिए था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री को अहमदाबाद में विशेष तौर पर अटैंड किया लेकिन ट्रूडो के मामले में यह दरियादिली नहीं दिखाई। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री ने कनाडा के साथ संबंध और मजबूत करने के मामले में मौका गंवाया है।

 

प्रश्र : प्रधानमंत्री के इस रवैये का कारण क्या हो सकता है?
उत्तर : विदेशों में भारतीय दूतावास के अधिकारियों के धार्मिक स्थलों में प्रवेश पर लगाई गई पाबंदी इसका एक कारण हो सकता है लेकिन इसके लिए कनाडा की सरकार अथवा उनके मंत्री जिम्मेदार नहीं हो सकते क्योंकि यह फैसला धार्मिक स्थानों की प्रबंधक कमेटियों ने निजी तौर पर लिया है। मुझे लगता है कि इसी कारण से ट्रूडो के प्रति नाराजगी है लेकिन हमें यह समझना होगा कि कनाडा में बैठकर जो लोग भारतीय अधिकारियों के साथ इस तरह का रवैया अपना रहे हैं वे भी अपने ही हैं और उनकी जड़ें यहां जुड़ी हुई हैं। इस वक्त वे भारत के नागरिक नहीं हैं और एक आजाद देश में रहते हैं। 
हम इस तरह के रवैये के साथ हुक्म जारी करके उनकी सोच नहीं बदल सकते। हमें अपनी विदेश नीति को री-ड्राफ्ट करने की जरूरत है। पिछले 4 साल में चीन, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका के साथ हमारे संबंधों में गिरावट आई है। यहां तक कि हमारा पुराना मित्र रूस भी हमसे दूर हो गया है। केंद्र की सरकार ने ट्रूडो के साथ जिस तरह का रवैया अपनाया है वह एक संभावित सहयोगी को नाराज करने वाला है और इसका लंबी अवधि में नुक्सान होगा। 

 

ट्रूडो के बहाने सिद्धू का सुखबीर बादल पर हमला, बोले  12 साल बाद भगवान ने बताया ‘कि वह है’

पंजाब के दौरे पर आए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बहाने स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल पर एक बार फिर कड़ा प्रहार किया है। पंजाब केसरी के संवाददाता रमनदीप सिंह सोढी के साथ बातचीत के दौरान सिद्धू ने कहा कि 12 साल पहले जब कनाडा के प्रधानमंत्री स्टिफन हार्पर दरबार साहिब आए थे तो उस समय सुखबीर बादल के कहने पर रतन सिंह अजनाला और उन्हें दरबार साहिब में नहीं आने दिया गया था। आज बिल्कुल वैसा ही सुखबीर बादल के साथ हुआ। इस विशेष इंटरव्यू में सिद्धू ने भारत-कनाडा संबंधों और कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की जस्टिन ट्रूडो के साथ हुई मुलाकात का ब्यौरा भी दिया। पेश है पूरी बातचीत-

 

प्रश्र :  ट्रूडो के पंजाब में हुए स्वागत से क्या आप संतुष्ट हैं?

उत्तर : जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा में पंजाबियों का सम्मान बढ़ाया है। कनाडा में पंजाबियों की आबादी 1.4 फीसदी है और वहां कैबिनेट में 4 पंजाबी मंत्री हैं। भारत में भी पंजाबियों को केंद्रीय कैबिनेट में इतना सम्मान नहीं मिला है। ट्रूडो वह प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने कामागाटामारू घटना के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी। झुकता वह है जिसमें जान होती है। यह हमारा सौभाग्य है कि हमें उनका स्वागत करने का मौका मिला। 

 

प्रश्न : इस मुलाकात के दौरान क्या-क्या चर्चा हुई?

उत्तर : 20 मिनट की इस मुलाकात ने अगले 20 साल के लिए पंजाब-कनाडा संबंधों के लिए नई राह खोल दी है। जस्टिन ट्रूडो ने मुलाकात के दौरान कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के अनुभव और लीडरशिप की तारीफ की। यह मुलाकात काफी सकारात्मक माहौल में हुई है और इससे उम्मीद की शुरूआत होगी। मैं एक लाइन में कहूंगा कि ‘कैप्टन साहिब ने मेला लूट लिया’।

 

प्रश्र : केंद्र सरकार द्वारा ट्रूडो के फीके स्वागत पर आप क्या कहेंगे?

उत्तर : आज खुद केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी उनका स्वागत करने के लिए मौजूद थे। पंजाब के स्वागत ने पिछली सारी कसर पूरी कर दी है। हालांकि मुझे लगता है कि जस्टिन ट्रूडो का जैसा स्वागत हुआ है वह उससे 10 गुना ज्यादा स्वागत के हकदार हैं लेकिन पंजाब में इसकी शुरूआत कर दी गई है। 

 

प्रश्र : जस्टिन ट्रूडो की सबसे अच्छी बात आपको क्या लगी?

उत्तर : ट्रूडो की सादगी मेरे मन को भा गई। दरबार साहिब में माथा टेकने के दौरान वह लंगर हाल गए और उन्होंने वहां जमीन पर बैठ कर खुद रोटियां बेलीं। इससे ज्यादा सादगी क्या हो सकती है। वह जमीन से जुड़े और सादा इंसान नजर आए। उनमें अपने पद का कोई घमंड नहीं था।

 

प्रश्र : क्या बातचीत के दौरान लगा कि वह अलगाववादी तत्वों के समर्थक हैं?

उत्तर : मुझे एक बार भी ऐसा नहीं लगा। बातचीत के दौरान निवेश, व्यापार और पंजाबियों को जड़ों से जोडऩे की बात हुई। उन्होंने एक बात बहुत दिलचस्प कही कि कनाडा स्वतंत्र विचारों का समर्थक है और देश में किसी को भी अपनी बात रखने की आजादी है लेकिन इस आजादी की भी एक सीमा है और यह आजादी यदि ङ्क्षहसक रूप लेती है तो कनाडा उसका समर्थन नहीं करता। 

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