Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Oct, 2017 05:10 PM
पंजाब स्टेट इलैक्ट्रिसिटी रैगुलेटरी कमिशन द्वारा राज्य में की गई घरेलू बिजली दरों में बढ़ौतरी के मामले को लेकर अकाली दल व आम आदमी पार्टी द्वारा दिए जा रहे
जालंधर (धवन): पंजाब स्टेट इलैक्ट्रिसिटी रैगुलेटरी कमिशन द्वारा राज्य में की गई घरेलू बिजली दरों में बढ़ौतरी के मामले को लेकर अकाली दल व आम आदमी पार्टी द्वारा दिए जा रहे धरनों पर पलटवार करते हुए पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने केन्द्र में पूर्व बिजली मंत्री पीयूष गोयल तथा पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल की उपस्थिति में पावर कार्पोरेशन तथा केन्द्र सरकार के मध्य बिजली दरों में बढ़ौतरी को लेकर हुए समझौते के कागज पेश किए। उन्होंने कहा कि अकाली दल व शिअद कांग्रेस सरकार की बिजली दरें बढऩे के लिए दोषी मान रही हैं। जबकि बिजली दरें बढऩे से स्वयं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह दुखी हैं। सच्चाई तो यह है कि अकालियों के कारण ही बिजली दरें बढ़ी हैं।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि वास्तव में 4 मार्च 2016 को दिल्ली में भारत सरकार के साथ हुए समझौते में पूर्व अकाली सरकार ने उज्जवल स्कीम को लागू करने का वायदा किया था, जिसके तहत हर वर्ष बिजली दरों में बढ़ौतरी करने की बात कही गई थी। समझौते के अनुसार 2016-17 में 5 प्रतिशत तथा 2017-18 में बिजली दरों में 9 प्रतिशत की बढ़ौतरी करने की बात पूर्व अकाली सरकार ने मानी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि 2016-17 में अकाली सरकार ने सियासी तिक्कड़मबाजी खेल खेलते हुए तथा विधानसभा चुनावों को निकट देखते हुए बिजली दरों में 0.65 प्रतिशत की कमी की। बिजली रैगुलेटरी कमिशन द्वारा अब की गई बिजली दरों में बढ़ौतरी वास्तव में पूर्व अकाली भाजपा सरकार के दिमाग का खेल था। क्योंकि उसने ‘उदय’ एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किए थे।
जाखड़ ने पूर्व अकाली भाजपा सरकार पर बरसते हुए कहा कि उसने तलवंडी साबो थर्मल प्लांट के लिए स्टरलाइट कम्पनी से 1980 मैगावाट, राजपुरा थर्मल प्लांट के लिए एल.एंड टी. से 1400 मैगावाट तथा गोइंदवाल साहिब थर्मल प्लाट के लिए जी.वी.के. से 500 मैगावाट का समझौता किया तथा यह समझौता काफी ऊंची बिजली दरों को लेकर किया गया। इन प्लांटों को पूर्व सरकार ने फिक्स चाॢजज का भुगतान करने की बात भी स्वीकार की। पंजाब के तलवंडी साबो थर्मल प्लांट हेतु 1.35 रुपए प्रति यूनिट, राजपुरा प्लांट के लिए 1.50 प्रति यूनिट, गोइंदवाल साहिब थर्मल प्लांट के लिए 1.93 रुपए प्रति यूनिट फिक्स चाॢजज का भुगतान करना है। इसका उल्लेख इलैक्ट्रीसिटी रेगुलेटरी कमिशन के टैरिफ आर्डर में भी किया गया है।
उन्होंने बताया कि 2017-18 के टैरिफ आर्डर के अनुसार पंजाब को तलवंडी साबो थर्मल प्लांट से 3293 करोड़ रुपए (5.40 रुपए प्रति यूनिट) की लागत से 6095 मिलियन यूनिट, गोइंदवाल साहिब थर्मल प्लांट से 1064 करोड़ (8.70 रुपए प्रति यूनिट) के हिसाब से 1223 मिलियन यूनिट, राजपुरा थर्मल प्लांट से 3302 करोड़ (3.80 रुपए प्रति यूनिट) के हिसाब से 8694 मिलियन यूनिट, सासन प्लांट से 623 करोड़ रुपए की लागत से 4724 मिलियन यूनिट तथा मुंदरा प्लांट से 695 करोड़ की लागत से 3162 मिलियन यूनिट बिजली की खरीद करनी है। इससे स्पष्ट होता है कि कितनी ऊंची दरों पर बिजली खरीद को लेकर बिजली समझौते हुए, जिनकी उच्च स्तरीय जांच करवाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार के समय सोलर तथा बायोमास पावर प्लांटों से बिजली खरीदने को लेकर भी ऊंची बिजली दरों पर समझौते किए गए। इसका उल्लेख भी टैरिफ आर्डर में देखने को मिलता है, जिसमें कहा गया है कि पूर्व सरकार ने सोलर पावर के लिए 5.90 रुपए प्रति यूनिट तथा बायोमास बिजली के लिए 5.32 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से समझौते किए। उन्होंने कहा कि झारखंड में पंजाब को अप्रैल 2015 में पछवाड़ा कोयला खदान आबंटित की गई थी, जहां से सस्ता कोयला मिलना था परन्तु प्राइवेट बिजली कम्पनियों को फायदा पुहंचाने के लिए अभी तक इस कोयला खान ने काम करना शुरू नहीं किया है। अगर यह कोयला खान काम करना शुरू कर दे तो पंजाब को वाॢषक 400 से 500 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है।