Edited By Updated: 26 Apr, 2017 10:35 AM
पंजाब विधानसभा चुनावों की गर्दिश कहें या गरीबों की बदकिस्मती किन्तु यह महीना गरीबों को मिलने वाले 1 लाख क्विंटल गेहूं को लील गया। नतीजन 2 रुपए किलो के हिसाब से गेहूं प्राप्त करने वाले गरीब लोग इस गेहूं से वंचित रह गए। जानकारी के अनुसार पंजाब सरकार...
अमृतसर(इन्द्रजीत):पंजाब विधानसभा चुनावों की गर्दिश कहें या गरीबों की बदकिस्मती किन्तु यह महीना गरीबों को मिलने वाले 1 लाख क्विंटल गेहूं को लील गया। नतीजन 2 रुपए किलो के हिसाब से गेहूं प्राप्त करने वाले गरीब लोग इस गेहूं से वंचित रह गए। जानकारी के अनुसार पंजाब सरकार आटा-दाल स्कीम के तले गरीबों को 2 रुपए प्रति किलो के हिसाब से गेहूं देती आ रही है, किन्तु इन चुनावों में खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की ड्यूटी लग गई।
काफी लम्बे समय तक विभाग के अधिकारियों को चुनावी झमेलों में चुनाव आयोग ने फंसाए रखा। चुनावों के बाद मतगणना कार्य में अधिकारी उलझे रहे जिसके कारण गरीबों को गेहूं मिलने में अड़चनें आी रहीं। अधिकारियों ने एक हिस्सा तो प्राप्त कर लिया किन्तु दूसरा हिस्सा समय निकल जाने पर मिलने से रह गया। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों ने स्पष्ट बताने से इंकार कर दिया, किन्तु विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस बार पंजाब सरकार ने आटा-दाल स्कीम गेहूं का कोटा 3 लाख क्विंटल रखा था जिसकी अंतिम तिथि 31 मार्च थी लेकिनखाद्यापूर्ति विभाग के अधिकारियों को इतना समय ही नहीं मिला कि वे गेहूं के कोटे को रिलीज करवा पाते। 2 लाख क्विंटल गेहूं अधिकारियों ने रिलीज करवा लिया किन्तु चुनाव की इस दौड़-भाग में 1 लाख क्विंटल गेहूं को 31 मार्च से पहले-पहले रिलीज न करवाया जा सका और यह गेहूं वापिस चली गई।
सूत्रों ने यह भी बताया कि गरीबों को मिलने वाली गेहूं में उच्च स्तरीय राजनीति ने भी काफी कड़वा रोल निभाया। इन लोगों ने श्रेय मिलने अथवा न मिलने के को सामने रखते हुए मार्च महीने तक गेहूं रोके रखने के लिए अधिकारियों पर भारी दबाव डाले रखा जिस कारण विभाग के अधिकारी मजबूरी में गरीबों की गेहूं को रोकते रहे है, परिणामस्वरूप इस की मार उन गरीब लोगों को पड़ी जिनके परिवार पूरा वर्ष 2 रुपए प्रति किलो की गेहूं के सहारे बता देते थे।