Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Sep, 2017 02:10 PM
12वीं सदी के महान सूफी संत बाबा शेख फरीद जी के फरीदकोट में आगमन के संबंध में हर साल मनाए जाते बाबा शेख फरीद आगमन पर्व पर लगने वाली रौनकों में शामिल होने वाले लोगों को इस बार टूटी, गंदी और धूल उड़ाती सड़कों से रू-ब-रू होना पड़ेगा........
फरीदकोट (हाली): 12वीं सदी के महान सूफी संत बाबा शेख फरीद जी के फरीदकोट में आगमन के संबंध में हर साल मनाए जाते बाबा शेख फरीद आगमन पर्व पर लगने वाली रौनकों में शामिल होने वाले लोगों को इस बार टूटी, गंदी और धूल उड़ाती सड़कों से रू-ब-रू होना पड़ेगा, क्योंकि प्रशासन ने इस बार बिना कोई सफाई किए चौकों में और सड़कों के अन्य हिस्सों पर टैंट लगा कर शहर की सुंदरता पेश करने की कोशिश की है। 19 सितम्बर से 23 सितम्बर तक मनाए जाने वाले बाबा शेख फरीद आगमन पर्व की तैयारियों को लेकर फरीदकोट शहर के लोगों में काफी मायूसी पाई जा रही है और शहर निवासियों का कहना है कि इस बार मेले की तैयारियों के लिए सफाई और मुरम्मत कहीं नजर नहीं आ रही, जबकि मेला शुरू होने में केवल 1 दिन ही बचा है।
शहर निवासी और मेले का हर साल हिस्सा बनने वाले लोगों ने कहा कि मेला शुरू होने वाला है परन्तु अभी तक शहर में गंदगी के ढेर जगह-जगह लगे हुए हैं। कहीं भी साफ-सफाई नहीं हुई है, जबकि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। लोगों ने बताया कि शहर की सड़कों को उखाड़ा हुआ है और जगह-जगह गहरे गड्ढे पड़े हुए हैं। सीवरेज डालने के लिए उखाड़ी गई सड़कें अभी तक बनाई नहीं गई और इन हिस्सों में भारी वाहन अभी भी हर रोज धंसकर हादसों का शिकार बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि न तो सड़कों की मुरम्मत हुई है और न ही इस बार ऐतिहासिक और विरासती इमारतों पर रंग-रोगन किया गया है, जबकि हर साल सड़कों की मुरम्मत भी होती थी और रंग-रोगन करवाकर शहर को एक अलग लुक दी जाती थी।
उन्होंने कहा कि शहर को सुंदर दिखाने के लिए चौकों में भारी टैंट लगाए जा रहे हैं, जबकि सफाई का कोई प्रबंध नहीं किया गया। चौकों में लगे कई फ व्वारे अपनी बुरी दशा दर्शा रहे हैं। गत वर्ष बाबा शेख फरीद आगमन पर्व मौके शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया था और शहर में विरासती इमारतों को रंग-रोगन करने के साथ-साथ शहर की प्रमुख सड़कों के डिवाइडरों को भी सुंदर दिख दी गई थी और पूरे शहर के अंदर सुंदर सजावटी पौधे लगवाए गए थे।
उस समय जो अधिकारियों को मेले की तैयारियों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उनमें से एक पहले दर्जे के प्रशासनिक अधिकारी ने तैयारियों को लेकर हुई वार्तालाप में जिक्र किया था कि हमने तो अपनी जिम्मेदारी निभाकर मेले को चार चांद लगा दिए परन्तु आगे से शायद ही कोई ऐसा कर सके। शहर के मौजूदा हालात को देखते हुए यह साफ दिख रहा है कि इस बार के मेले के रंग फीके ही रहेंगे।