Edited By Updated: 16 Dec, 2016 11:04 AM
विधानसभा चुनावों में मुख्य मुद्दा बनने जा रहा एस.वाई.एल. मामले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी संयोजक अरविन्द केजरीवाल द्वारा
लुधियाना(पंकज): विधानसभा चुनावों में मुख्य मुद्दा बनने जा रहा एस.वाई.एल. मामले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी संयोजक अरविन्द केजरीवाल द्वारा बार-बार स्टैंड बदलने की आदत पहले ही पार्टी के राज्य नेताओं के गले की फांस बना हुआ था, बुधवार को जालंधर में केजरीवाल द्वारा एक बार फिर पानी पर सबका हक संबंधी दिए बयान ने आम आदमी पार्टी को अन्य सियासी पाॢटयों के निशाने पर ला खड़ा किया है। केजरीवाल के स्टैंड बदलने की आदत पार्टी के लिए चुनावों में खतरनाक साबित हो सकती है। एक तरफ जहां अकाली-भाजपा गठजोड़ की सरकार ने वर्षों पहले राज्य के सियासतदानों द्वारा हरियाणा को पानी देने के लिए खुदवाई एस.वाई.एल. नहर पर विधानसभा में विरोध मत पास करवा पूर्व में हुई भयंकर भूल पर मिट्टी डालने का कदम उठाया व तुरन्त जमीनों के मालिकों को वापस नहरी जमीन का मालिक बना दिया। वहीं दूसरी तरफ वर्ष 2002 में राज्य के कांग्रेस की सरकार दौरान मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने भी पंजाब का पानी किसी भी राज्य को न देने संबंधी सख्त स्टैंड उस समय लिया था, जब न सिर्फ हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी, बल्कि केन्द्र में भी यू.पी.ए. की सरकार थी, हालांकि कैप्टन को इस फैसले पर अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी मोल लेनी पड़ी परन्तु राज्य के किसानों व खेतीबाड़ी को बर्बादी से बचाने के लिए वे अपने स्टैंड पर अडिग रहे।
उधर फरवरी में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए तड़प रही आम आदमी पार्टी के संयोजक केजरीवाल पर पहले ही राज्य बदलते स्टैंड बदलने के आरोपों का सामना कर रहे थे, ने एक बार फिर पानी पर सबका अधिकार संबंधी बयान जारी कर चुनावी मैदान में उतरी अपनी ही पार्टी के पांवों पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है, जहां एक तरफ अकाली दल विकास व पानी के मुद्दे को लेकर राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए अपने परम्परागत ग्रामीण वोट बैंक को समेटने के लिए प्रयासरत हैं व कांग्रेस एस.वाई.एल. के लिए मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को दोषी करार देकर कैप्टन द्वारा लिए स्पष्ट स्टैंड को लेकर वोटरों से सम्पर्क साध रही है। ऐसे में केजरीवाल द्वारा दिया उक्त बयान आम आदमी पार्टी के लिए घातक साबित हो सकता है।
उधर आम आदमी पार्टी के साथ चुनावी गठजोड़ करने वाले बैंस ब्रदर्स व उनकी लोक इंसाफ पार्टी के लिए भी केजरीवाल का उक्त बयान परेशानियां पैदा कर सकता है।
आम आदमी पार्टी के गांवों में बढ़ते जनाधार को देख सकते में अकाली व कांग्रेस पार्टी के लिए केजरीवाल के इस बयान ने संजीवनी का काम किया है, व दोनों पाॢटयों को बैठे-बिठाए अहम मुद्दा मिल गया, जिसको लेकर दोनों पाॢटयों के नेता जनता में जाकर आम आदमी पार्टी पर राज्य विरोधी होने का दोष जड़ सियासी लाभ उठाने के लिए प्रयासरत्त हो गए हैं परन्तु चुनावी परिणाम ही तय करेंगे कि सियासी ऊंट किस करवट बैठता है।