Edited By Updated: 08 Dec, 2016 01:57 AM
केन्द्र सरकार द्वारा 8 नवम्बर को 500 व 1000 रुपए के नोटों को बंद कर देने से न केवल देश के ...
जालंधर(धवन): केन्द्र सरकार द्वारा 8 नवम्बर को 500 व 1000 रुपए के नोटों को बंद कर देने से न केवल देश के लोगों को पिछले एक माह से मुश्किलों से रूबरू होना पड़ रहा है, बल्कि जो आप्रवासी पंजाबी अपने साथ विदेश जाते समय भारतीय करंसी ले गए थे, उन्हें भी मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। यह आप्रवासी अपना पैसा इसलिए वापस ले जाते हैं ताकि जब वह पुन: भारत आएं तो उन्हें करंसी के लिए इधर उधर दौडऩा न पड़े।
अब आप्रवासी पंजाबियों की मुश्किल यह है कि वह अपने साथ ले गए भारतीय करंसी को जमा करवाने के लिए भारत वापस नहीं आ सकते हैं। विदेशों में स्थित भारतीय बैंक शाखाएं आप्रवासियों से पुरानी करंसी को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। कनाडा से रणबीर सिंह ने कहा कि वह अपने साथ 10000 रुपए ले गए थे, ताकि दोबारा वापस आने पर उन्हें एयरपोर्ट से टैक्सी लेने या अन्य जरूरी कामों के लिए भारतीय करंसी के लिए तरसना न पड़े। परन्तु अब वह समझते हैं कि यह 10000 रुपए उनके किसी काम के नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार आप्रवासियों के लिए कोई विशेष नीति की घोषणा नहीं करती है तो यह करंसी किसी उपयोग में नहीं आ सकेगी।
इस बीच सोशल मीडिया पर चल रही एक वीडियो ने सबको हैरान किया हुआ है, जिसमें यूरोप से एक सिख व्यक्ति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कह रहा है कि वह एन.आर.आईज के पास जमा भारतीय करंसी का कोई समाधान निकाले। इस एन.आर.आई. ने कहा है कि उसके पास कुछ भारतीय करंसी है,जो अब किसी प्रयोग की नहीं रही। इसी तरह से इंगलैंड में बसे आप्रवासी पंजाबी दलजीत सिंह ने कहा कि मोदी सरकार को आप्रवासियों को राहत देने के लिए उनके पास जमा भारतीय करंसी विदेशों में स्थित भारतीय बैंकों में जमा करवाने का प्रावधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो विश्व भर में बसे आप्रवासी पंजाबियों के पास मौजूद करोड़ों रुपए की भारतीय करंसी नष्ट हो जाएगी। जिसका खमियाजा आप्रवासियों को भुगतना पड़ेगा।
इसी तरह से पी.बी.ई.एफ. के सचिव अमृत लाल ने कहा कि उन्हें विदेशों में स्थित आप्रवासी पंजाबी दोस्तों से फोन आ रहे हैं कि उनके पास भारतीय करंसी है, उसे वह किस तरह से भारत में भेजे। उन्होंने कहा कि भारत आए आप्रवासी भी निराश हैं। दूसरी ओर पंजाब आए आप्रवासी पंजाबी अब वापसी का रुख कर रहे हैं। उन्हें बैंकों से उनके खातों से भारतीय रुपए नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने बाजारों से खरीदोफरोख्त करने की योजना को रद्द कर दिया है। बैंकों के पास कैश नहीं है, ऐसी स्थिति में एन.आर.आईज को भी हर सप्ताह 10000 रुपए लेने के निर्देश रिजर्व बैंक ने दिए थे, परन्तु उन पर कोई अमल नहीं हो रहा है।
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