Edited By Updated: 24 Apr, 2017 04:12 PM
तीन तलाक का मुद्दा देश में अाग की तरह फैला हुअा है। देश भर में बहस छिड़ी हुई है, लेकिन क्या आप इससे जुड़ा एेसा नियम जानते हैं जिसमें महिलाएं भी अपनी मर्जी से उनसे अलग हो सकती हैं।
अमृतसरः तीन तलाक का मुद्दा देश में अाग की तरह फैला हुअा है। देश भर में बहस छिड़ी हुई है, लेकिन क्या आप इससे जुड़ा एेसा नियम जानते हैं जिसमें महिलाएं भी अपनी मर्जी से उनसे अलग हो सकती हैं।
मिशनरी ऑफ अहमदिया मुस्लिम अमृतसर के मिशनरी ताहिर अहमद शमीम बताते हैं कि इस्लाम में जहां पुरुषों को तलाक देने का अधिकार है, वहीं महिलाएं भी खलअ सकती हैं। महिलाओं को यह भी अधिकार है कि खलअ देते समय उन्हें इसके कारणों के बारे में भी नहीं पूछा जाता। इसके अलावा तीन तलाक के बजाए मात्र एक बार खलअ देने पर महिलाएं पति से अलग हो सकती हैं।
शमीम ने बताया कि अलबकरा 229 के अनुसार महिलाओं का पुरुषों पर उतना ही अधिकार है, जितना पुरुषों का उन पर। वहीं अलबकरा 230 के अनुसार एक साथ तीन बार तलाक, तलाक, तलाक कहना एक ही बार गिना जाएगा। तलाक देने वाला पुरुष होश में हो और क्रोध से खाली होकर दो गवाहों की उपस्थिति में तलाक दे तभी वह तलाक माना जाएगा।
पहली बार ऐसा होने पर भी पुरुष महिला को छोड़ नहीं सकता। उन्हें तीन माह इकट्ठा रहना होगा। तीन माह के अंदर अगर सलाह नहीं होती तो उसे पत्नी को उसके मायके छोड़कर आना होगा और इसे पूर्ण तलाक माना जाता है। अगर 90 दिनों में दोनों के बीच सलाह हो जाती है तो बिना किसी की दखलअंदाजी के वे इकट्ठे रह सकते हैं। ऐसा दूसरी बार तलाक देने के बाद भी होता है।
अगर पति तीसरी बार तलाक शब्द का प्रयोग कर लेता है तो इस स्थिति में महिला अब अपने पति के पास वापिस नहीं जा सकती और तीन माह की प्रक्रिया से भी उसे नहीं गुजरना होगा। ऐसे में महिला किसी अन्य व्यक्ति से विवाह कर सकती है लेकिन दूसरे पति के तलाक देने या उसके मर जाने के बाद चाहे तो पहला पति उससे दोबारा निकाह कर सकता है।
शमीम ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया को हलाला कहा जाता है। अब जिस तरह से हलाला को दिखाया जा रहा है या इसका प्रयोग किया जा रहा है, वे कुरान के अनुसार पूरी तरह से गलत है।