Edited By Updated: 05 Jan, 2017 02:01 PM
8 नवम्बर को पी.एम. नरेन्द्र भाई मोदी की तरफ से की गई नोटबंदी के दौरान आर.बी.आई. (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) की तरफ से पंजाब के सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंकों के साथ ऐसी धक्केशाही की गई कि आज इस बैंक को अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
अमृतसर (नीरज): 8 नवम्बर को पी.एम. नरेन्द्र भाई मोदी की तरफ से की गई नोटबंदी के दौरान आर.बी.आई. (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) की तरफ से पंजाब के सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंकों के साथ ऐसी धक्केशाही की गई कि आज इस बैंक को अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार सिर्फ अमृतसर जिले में ही बैंक की 500 करोड़ रुपए की रिकवरी फंस गई है। यदि आर.बी.आई. को-ऑप्रेटिव बैंक के साथ धक्केशाही न करती तो सारी रिकवरी मिल जानी थी लेकिन आज के दिन में बैंक सिर्फ 13 प्रतिशत ही रिकवरी कर पाया है जो आंकड़ों के हिसाब से नाममात्र है। यह हालात इसलिए पैदा हुए हैं क्योंकि 8 नवम्बर को नोटबंदी किए जाने के 5वें ही दिन आर.बी.आई. ने महाराष्ट्र, यू.पी. के साथ-साथ पंजाब के सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंकों में पुरानी करंसी यानि 500 व 1000 रुपए के पुराने नोट जमा करने पर प्रतिबंध लगा दिया जिससे बैंक को भारी नुक्सान हुआ।
नोटबंदी के दौरान जहां हर गरीब, मध्यमवर्गीय व अमीर लोगों में अपने पुराने नोट बैंकों में जमा कराने के लिए होड़ लगी रही और लोगों ने जहां रात-दिन बैंकों में धक्के खाकर अपने पुराने नोट बैंकों में जमा करवाए, वहीं दूसरी तरफ सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक के ग्राहक अपने ही बैंक खातों में अपने पुराने नोट जमा नहीं करवा सकते थे क्योंकि आर.बी.आई. ने को-ऑप्रेटिव बैंक को निर्देश दिए थे कि वह पुरानी करंसी जमा नहीं करेगा। इस आदेश के बाद बैंक के ग्राहकों को भारी परेशानी उठानी पड़ी क्योंकि नोटबंदी की मारामारी के दौरान कोई भी किसी भी ग्राहक का नया खाता खोलने को तैयार नहीं था। लोग सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक में रोज यह उम्मीद लेकर आते कि शायद आज बैंक अधिकारी उनके पुराने नोट जमा कर लेंगे लेकिन 50 दिन पूरे होने के बाद भी आर.बी.आई. ने इस बैंक को पुरानी करंसी जमा करने की इजाजत नहीं दी।
200 करोड़ से ज्यादा के डिपॉजिट का नुक्सान
आर.बी.आई. की तरफ से सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक को पुरानी करंसी जमा न करने के आदेश दिए जाने के बाद जहां रिकवरी का भारी नुक्सान हुआ, वहीं बैंक में जमा होने वाली पुरानी करंसी के रूप में 200 करोड़ रुपए से ज्यादा के डिपॉजिट का भी नुक्सान हुआ है। पुरानी करंसी के रूप में जमा होने वाले डिपॉजिट से बैंक की आर्थिक व्यवस्था और मजबूत होती और पंजाब सरकार के अलावा केन्द्र सरकार की तरफ से जारी की गई योजनाओं में बैंक ज्यादा से ज्यादा योगदान देता।
पूरे पंजाब में नहीं हुआ कोई फ्रॉड
किसी भी सरकारी प्रतिष्ठान पर कानूनी कार्रवाई तब की जाती है जब किसी प्रतिष्ठान में कोई फ्रॉड हुआ हो आर.बी.आई. ने महाराष्ट्र, यू.पी. व अन्य राज्यों के साथ-साथ पंजाब के सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक को भी एक ही कटघरे में खड़ा कर दिया और पुरानी करंसी न जमा करने के आदेश जारी कर दिए जबकि पंजाब के सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक में ऐसा कोई भी फ्रॉड सामने नहीं आया जिससे पुरानी करंसी जमा न करने के आदेश को सही माना जा सके। अमृतसर सहित अन्य जिलों में भी ई.डी. या किसी अन्य विभाग ने इस बैंक में कोई फ्रॉड नहीं पकड़ा लेकिन बिना किसी गुनाह के ही बैंकको आर.बी.आई. ने इतनी बड़ी सजा दे दी जिसकी भरपाई करना बैंक के लिए बहुत ही मुश्किल हो गया है।
57 ब्रांचों, 194 सहकारी सभाओं में 2.45 लाख खाते
द अमृतसर सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक की बात करें तो पता चलता है कि इस समय बैंक की 57 ब्रांचें हैं जो ज्यादातर देहाती इलाकों में हैं और किसानों के साथ डील करती हैं इसके अलावा 94 खेतीबाड़ी सहकारी सभाएं भी हैं जो किसानों को सीधे रूप में कर्जा देती हैं। कुल मिलाकर बैंक में 2.45 लाख बैंक खाते हैं और 500 व 1000 का नोट न लेने के कारण सभी खाताधारकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। बैंक की तरफ से किसानों को दिए गए कर्ज की बात करें तो आंकड़ों से पता चलता है कि बैंक की तरफ से 631 करोड़ रुपए का कर्ज किसानों को दिया गया जबकि 732 करोड़ रुपए का कैश बैंक में डिपॉजिट था लेकिन आर.बी.आई. की तरफ से 500 व 1000 के नोट न लेने के आदेश मिलने के बाद बैंक के पैर उखड़ गए।
द अमृतसर सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक अपने ग्राहकों की संतुष्टि करने का पूरा प्रयास कर रहा है। बेशक आर.बी.आई. के आदेशों के बाद बैंक ने पुराने 500 व 1000 के नोट जमा नहीं किए लेकिन फिर भी नई करंसी को हर ग्राहक को बांटा गया है। मौजूदा हालात में बैंक के ग्राहक अपने खातों में नई करंसी यानि 2000 के नोट, 500 के नए नोट व अन्य छोटे नोट अपने खातों में जमा करवा सकते हैं।
-हरजिन्द्र सिंह संधू, जिला मैनेजर सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक, अमृतसर।