Edited By Updated: 31 Oct, 2016 11:07 AM
करीब 400 साल पुराने शहर अमृतसर को पहचान श्री दरबार साहिब से मिली।
अमृतसरः करीब 400 साल पुराने शहर अमृतसर को पहचान श्री दरबार साहिब से मिली। इसके बाद इसकी परंपराओं, रहन-सहन, खान-पान और रीति-रिवाजों के अलावा जलियांवाला बाग, अटारी बॉर्डर, श्री दुर्ग्याणा तीर्थ इस कड़ी का हिस्सा बनते गए। देश-विदेश से जो भी श्रद्धालु और सैलानी यहां आते हैं, उनको अब दरबार साहिब और आस-पास की ब्यूटीफिकेशन से अलग ही अनुभव होगा। दुकानों को सलीके से एक लाइन और एक रंग में हेरिटेज का हिस्सा बनाया गया है।
टूरिस्ट बोले, फारेन कंट्री का भ्रम पैदा होता है। करीब 150 करोड़ की लागत से टाउन हाल से लेकर स्वर्ण मंदिर तक के सौंदर्यीकरण में जहां रास्ते की दुकानों को एक सा किया गया। वहीं, टाउन हाल की इमारत, धर्म सिंह चौक, जलियांवाला बाग के बाहर का दृश्य बदल दिया गया है।
इस काम में सिर्फ 300 दिन लगे हैं। हालांकि, इस दौरान लोगों को परेशानी भी हुई मगर बदलाव को देख कर सारे गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं। कई टूरिस्टों ने बताया कि, वह पहले भी आते रहे हैं मगर तबके और अब के अमृतसर में जमीन-आसमान का फर्क गया है। पहली बार उड़ीसा से आए दिवाकर राम ने बताया कि अमृतसर के बारे में जैसा सुना था उससे भी कई गुना खूबसूरत निकला। उनका कहना है कि यहां तो फारेन कंट्री का भ्रम पैदा होता है।