Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 May, 2017 02:49 PM
पंजाब के वरिष्ठ मंत्री राणा गुरजीत सिंह की कंपनी के मुलाजिमों द्वारा माइनिंग की ई-ऑक्शन में रेत खदानों के ठेके हासिल करने पर उठे राजनीतिक तूफान से कैप्टन के मंत्रिमंडल विस्तार का कार्यक्रम फिलहाल खटाई में पड़ता दिखाई दे रहा है।अमरेंद्र मंत्रिमंडल...
चंडीगढ़(पराशर): पंजाब के वरिष्ठ मंत्री राणा गुरजीत सिंह की कंपनी के मुलाजिमों द्वारा माइनिंग की ई-ऑक्शन में रेत खदानों के ठेके हासिल करने पर उठे राजनीतिक तूफान से कैप्टन के मंत्रिमंडल विस्तार का कार्यक्रम फिलहाल खटाई में पड़ता दिखाई दे रहा है।अमरेंद्र मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित फिलहाल 10 मंत्री हैं। इनमें अभी 8 और कैबिनेट मंत्री शामिल किए जाने का स्कोप है। मंत्रिमंडल का विस्तार अगले माह के मध्य से आरंभ होने जा रहे विधानसभा सत्र से पहले होने की संभावना है।
इसके चलते कई कांग्रेस विधायकों ने जोरदार लॉबिंग शुरू कर रखी है लेकिन सैंड माइनिंग की ई-ऑक्शन तथा इसमें राणा गुरजीत के रोल को लेकर उठे विवाद ने प्रदेश के राजनीतिक वातावरण को एकदम गर्मा दिया है।जहां एक ओर विपक्ष आम आदमी पार्टी तथा अकाली दल राणा गुरजीत के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं वहीं मुख्यमंत्री इस मामले पर चुप्पी साधे बैठे हैं। उधर कई कांग्रेसी विधायक दबी जुबान में राणा गुरजीत के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।
उनका कहना है कि लुधियाना सिटी सैंटर स्कैम में तत्कालीन मंत्री चौधरी जगजीत सिंह की काफी विवादास्पद भूमिका थी। यदि समय रहते अमरेंद्र ने चौधरी जगजीत सिंह के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अपने मंत्रिमंडल से अलग कर दिया होता तो वर्ष 2007 में कांग्रेस पार्टी पुन: विधानसभा चुनाव जीत सकती थी लेकिन अमरेंद्र ने ऐसा नहीं किया और सिटी सैंटर स्कैम कांग्रेस को चुनाव में ले बैठा।इस बार मामला राणा गुरजीत के इर्द-गिर्द घूम रहा है। यदि उनके विरुद्ध मुख्यमंत्री द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई तो जनता में बहुत गलत संदेश जाएगा, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।राणा गुरजीत की अमरेंद्र से नजदीकियां सार्वजनिक हैं इसलिए राजनीतिक हलकों में यह आम धारणा है कि अमरेंद्र अपने कैबिनेट साथी के विरुद्ध कोई सख्त कार्रवाई करने से गुरेज करेंगे। अब सवाल यह पैदा होता है कि अमरेंद्र सरकार अपने पहले बजट सत्र में खुद को विपक्ष के राजनीतिक हमलों से कैसे बचा पाएगी।