गर्मी शुरू होते ही बढ़ी बिजली की मांग, सरकारी थर्मल प्लांटों के सभी यूनिट चालू

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Mar, 2018 08:19 AM

all units of government thermal plants are operational

फरवरी माह के अंतिम सप्ताह से ही गर्मी का प्रकोप बढऩे से विद्युत विभाग के अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे क्योंकि मार्च का महीना शुरू होते ही बिजली की डिमांड बढ़ गई जबकि बिजली कार्पोरेशन को उम्मीद नहीं थी कि.....

बठिंडा (विजय): फरवरी माह के अंतिम सप्ताह से ही गर्मी का प्रकोप बढऩे से विद्युत विभाग के अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे क्योंकि मार्च का महीना शुरू होते ही बिजली की डिमांड बढ़ गई जबकि बिजली कार्पोरेशन को उम्मीद नहीं थी कि एकदम गर्मी बढ़ जाएगी जिसके चलते लहरा मोहब्बत, रोपड़ सहित निजी फुल लोड पर थर्मल चलाने के निर्देश जारी किए थे। लहरा मोहब्बत और रोपड़ के 2-2 यूनिट ही चल रहे थे क्योंकि बिजली की मांग कम होने से व आयात की गई बिजली के कारण अन्य यूनिट बंद करने के निर्देश जारी किए गए थे।

बिजली की खपत को देखते हुए पटियाला स्थित कार्यालय द्वारा पंजाब सरकार से बिजली कट लगाने की इजाजत मागी गई थी लेकिन सरकार ने कट लगाने पर आपत्ति जाहिर करते हुए थर्मलों को फुल लोड पर चलाने के निर्देश जारी किए। आनन-फानन में थर्मल प्लांट के मुख्य इंजीनियरों ने सभी कर्मचारियों को अलर्ट करते हुए बंद यूनिटों को चलाने के लिए कहा व शनिवार को सभी थर्मल प्लांटों के पूरे यूनिट पूर्ण तौर पर चालू हालत में आ गए। बठिंडा थर्मल को तो पंजाब सरकार ने बिल्कुल ही बंद करने के निर्देश जारी कर दिए जिसके चलते गुरुनानक थर्मल प्लांट की चिमनियोंं ने 1 जनवरी से धुआं उगलना बंद कर दिया था। बेशक थर्मल प्लांट में अभी भी 500-600 कर्मचारी लगातार इसकी संभाल में लगे हुए।

लहरा मोहब्बत थर्मल प्लांट के मुख्य इंजीनियर कुलदीप गर्ग के अनुसार हरगोबिंद थर्मल प्लांट में कुल 4 यूनिट हैं, पहले 2 यूनिट बंद थे अब उन्हें चालू कर दिया गया है। प्रत्येक यूनिट की क्षमता 220 मैगावाट है जो फुल लोड पर चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि बिजली की डिमांड अधिक होने के कारण इन्हें पूर्णत: चालू कर दिया है। कोयले का भंडार लगभग 18 दिन का है और जरूरत के अनुसार कोयले के रैक लग रहे हैं। पहले बिजली का आयात-निर्यात था जो सॢदयों तक ठीक-ठाक चला लेकिन अब पंजाब को अपने बलबुते पर बिजली पैदा करने के निर्देश मिले हैं जिसके चलते सभी यूनिट क्षमता के अनुसार बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। गुरु गोबिंद थर्मल प्लांट के मुख्य इंजीनियर अमृत पाल के अनुसार उनके 2 यूनिट चल रहे थे जबकि बुधबार को एक और यूनिट चलाने का निर्देश प्राप्त हुआ जिसे शनिवार को चालू कर दिया गया। चौथा यूनिट वाॢषक मुरम्मत पर चल रहा है जो 26 मार्च तक मुकम्मल हो जाएगा, उसे चला दिया जाएगा।

प्रत्येक यूनिट से 210 मैगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। कोयला भंडार संबंधि उन्होंने बताया 25 दिन कोयले का भंडार पर्याप्त है। अगले कुछ दिनों में मात्र पंजाब में ही डिमांड से अधिक बिजली का उत्पादन शुरूहो जाएगा जिससे कहीं भी बिजली कट लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। गुरु नानक देव थर्मल प्लांट बठिंडा के मुख्य इंजीनियर बी.के. के गर्ग अनुसार जब थर्मल प्लांट पूरी क्षमता से चल रहा था तब यहां 2600 के लगभग कर्मचारी तैनात थे लेकिन जैसे ही पंजाब सरकार ने 1 जनवरी को थर्मल प्लांट बंद करने के आदेश जारी किए तब यहां मात्र 500-600 कर्मचारी काम कर रहे हैं। थर्मल कालोनी में लगभग 1 हजार मकान हैं जो अधिकतर खाली हो गए। उन्होंने बताया कि ये कर्मचारी रोजाना थर्मल प्लांट की देखरेख व प्लांट को चालू रखने की स्थिति बनाए हुए हैं। अगर पंजाब सरकार चाहेगी तो कुछ ही घंटों में थर्मल प्लांट को चालू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मशीनरी पुरी तरह फिट है जिससे कभी भी उत्पादन लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कोयले का भंडार खत्म है, जरूरत पड़ी तो मात्र 4 घंटे में रोपड़ या लहरा मोहब्बत से कोयला मंगवाया जा सकता है। इस थर्मल प्लांट के लिए 3 झीलें बनाई गई थीं जिनमें पानी लबालब रहता था लेकिन जबसे थर्मल प्लांट बंद होने के आदेश जारी हैं तबसे इन झीलों में पानी को लैवल लगातार कम होता जा रहा है। 

गर्ग ने बताया कि जब प्लांट चलाना ही नहीं, पानी की जरूरत नहीं। इसलिए सरकार इसके लिए क्यों पैसे खर्च करे। अगर नहरी विभाग के पास फालतू पानी है तो वह झीलों में छोड़ सकता है अन्यथा उन्हें पानी की जरूरत नहीं। आयात-निर्यात के तहत पूरे देश में सभी राज्य मिलकर बिजली का आदान-प्रदान करते हैं जिसके तहत जिस राज्य में अधिक बिजली होती है, वह जरूरतमंद दूसरे राज्य को भेज देता है और यह बिजली उनके खाते में जमा रहती है। जब बिजली की जरूरत होती है तो वह दूसरे राज्यों से प्राप्त भी कर सकता है। ऐसे में राज्यों को बिजली सस्ती मिलती है जबकि तापघर या जलघर चलाने से बिजली महंगी प्राप्त होती है।

इसीलिए थर्मल प्लांटों को कुछ समय के लिए बंद कर दिया जाता है। केंद्रीय विद्युत बोर्ड एन.टी.पी.सी. द्वारा पूरे देश की बिजली को एक जगह इक्ट्ठा करके आगे सप्लाई के लिए फीडर बना रखे हैं चाहे वे कोलकाता, दिल्ली, असाम, पंजाब, हरियाणा, झारखंड में क्यों न हों। पंजाब का अधिकतर लेन-देन भाखड़ा डैम से है, क्योंकि वहां बिजली सस्ती मिलती है और राज्य को जरूरत के अनुसार पर्याप्त मात्रा में बिजली उपलब्ध हो जाती है। कभी बाहर से मिलने वाली बिजली की कीमत मात्र 1 से 2 रुपए प्रति यूनिट रह जाती है जबकि गर्मियों में यह बढ़कर 6 रुपए प्रति यूनिट तक पहुंच जाती है। शनिवार को भी आयात बिजली लगभग 6 रुपए कुछ पैसे यूनिट पंजाब सरकार को मिल रही थी। सोमवार से पंजाब सरकार ने बाहरी बिजली खरीदने की बजाय राज्य में जरूरत के अनुसार बिजली उत्पादन करने पर जोर लगाएगी। देखा जाए तो पंजाब को कुल लगभग 5500 मैगावाट बिजली की जरूरत रहती है जिसे सरकारी व निजी थर्मल प्लांटों की समर्था से पूरा किया जा सकता है। अगर डिमांड और अधिक हो जाए तो हिमाचल प्रदेश या भाखड़ा से भी बिजली ली जा सकती है।

हिमाचल एक ऐसा देश है जिसे सॢदयों में बिजली की जरूरत है जबकि गर्मियों में उनके पास जरूरत से अधिक बिजली का उत्पादन होता है जोकि पंजाब से उलट है। गोईंदवाल थर्मल प्लांट में कुछ तकनीकी खराबी आने से बिजली की खपत बढ़ी है जिसे लहरा मोहब्बत, रोपड़, राजपुरा, तलवंडी साबो थर्मल प्लांट पूरा कर रहे हैं। सरकारी व गैर-सरकारी थर्मल प्लांटों को फुल लोड पर उत्पादन जारी करने के निर्देश जारी हो चुके हैं।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!