Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Nov, 2017 03:49 PM
शिअद-भाजपा कार्यकाल में दर्ज झूठे केसों की जांच के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वार गठित कमेटी के पास न केबल कांग्रेसियों के बल्कि अकालियों ने भी इंसाफ की गुहार लगाई है।
अमृतसरःशिअद-भाजपा कार्यकाल में दर्ज झूठे केसों की जांच के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वार गठित कमेटी के पास न केवल कांग्रेसियों ने बल्कि अकालियों ने भी इंसाफ की गुहार लगाई है। कमेटी के प्रमुख जस्टिस महताब सिंह गिल के पास ऐसी कई शिकायतें आई हैं,जिसमें राजनीतिक प्रतिशोध के लिए अकालियों ने अपने नेताओं पर ही झूठे मामले दर्ज करवाए। उन्होंने बताया कि 4,200 में से 10 प्रतिशित शिकायतें अकालियों ने अकालियों के खिलाफ की है।
अजनाला से पूर्व सांसद अमरपाल सिंह बोनी ने कमिशन को 13 जून 2017 को दिए शपथ पत्र में कहा कि उनके मित्र मनिंद्र सिंह उर्फ बिट्टू औलख को जगदीश भोला ड्रग केस में पूर्व राजस्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने जानबूझकर गलत तरीके से फंसाया था,जिससे उनके पिता रत्न सिंह अजनाला 2014 के लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दे। शपथ पत्र में लिखा है कि औलख को अमृतसर पुलिस ने 14 नवंबर 2013 को अमृतसर से उनके घर से गिरफ्तार किया था।
गिरफ्तारी के बाद जब बोनी ने तत्कालीन अमृतसर कमिश्नर पुलिस को फोन किया तो बताया गया कि औलख को पटियाला लाने के लिए चंडीगढ़ से निर्देश मिले हैं। इस पर उन्होंने पटियाला के एस.एस.पी. हरदाल सिंह मान से बातचीत की। उन्होंने कहा कि औलख को जगजीत सिंह चहल के साथ संबंधों के बारे में पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया गया। उनके लिए चौकान्ने वाली बात तब थी जब उन्होंने टी.वी. चैनलों पर सुना कि औलख को राजपुरा से 2 किलो ड्रग के साथ गिरफ्तार किया गया।
वहीं जब इस संबंधी बिक्रम मजीठिया से बात की गई तो उन्होंने आरोपों को नकारते कहा कि बिट्टू की गिरफ्तारी के पांच साल बाद बोनी द्वारा हलफनामा क्यों दायर किया गया । उन्होंने कहा कि भोला ड्रग तस्करी मामला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की डबल बैंच में चले गए हैं। उन्होंने भी ई.डी. से गवाह के तौर पर सम्मन मिला है। उनके आदेश पर किसी को झूठे केस में नहीं फंसाया गया है।