Edited By Updated: 08 Dec, 2016 09:24 AM
अकाली दल भले ही ‘पानी’ को मुद्दा बनाकर मोगा के ‘किल्ली चाहला’ से चुनावी शंखनाद करने जा रहा हो लेकिन असल में अकाली दल ने चुनावी मुहिम की शुरूआत के लिए मोगा को इसलिए चुना है क्योंकि पार्टी ‘किल्ली चाहला’ को अपने लिए ‘लक्की’ मानती है।
मोगा (पवन ग्रोवर): अकाली दल भले ही ‘पानी’ को मुद्दा बनाकर मोगा के ‘किल्ली चाहला’ से चुनावी शंखनाद करने जा रहा हो लेकिन असल में अकाली दल ने चुनावी मुहिम की शुरूआत के लिए मोगा को इसलिए चुना है क्योंकि पार्टी ‘किल्ली चाहला’ को अपने लिए ‘लक्की’ मानती है। पार्टी के पास ऐसा मानने का अपना आधार भी है। अकाली दल ने जब भी मोगा से चुनावी बिगुल बजाया है, वह सत्ता तक पहुंचने में कामयाब रहा है। सन् 1997 में सत्ता में रहने के दौरान अकाली दल मोगा को भूला तो उसे 2002 में सत्ता गंवानी पड़ी लेकिन 2007 और 2012 के चुनाव की मुहिम भी अकाली दल ने मोगा से ही की थी। लिहाजा, वर्ष 2017 के शंखनाद के लिए भी मोगा को ही चुना गया है। हालांकि, बुधवार की रैली और पहले की रैलियों में भाजपा की शमूलियत के लिहाज से थोड़ा अंतर है। अतीत में हुई अकाली दल की रैलियों में भाजपा की केंद्रीय लीडरशिप हिस्सा लेती रही है जबकि यह रैली पूरी तरह से सरकारी आयोजन थी और यह देखना दिलचस्प होगा कि यहां से चुनावी मुहिम 2017 में क्या नतीजा लेकर आती है।
उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह का कहना है कि पानी बचाओ-पंजाब बचाओ’ रैली पंजाब के अधिकारों की पैरवी करेगी। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल सहित सभी अकाली-भाजपा नेताओं ने पहले ही प्रण किया हुआ है कि पंजाब के पास किसी भी राज्य को देने के लिए पानी की एक भी बूंद फालतू नहीं है और पंजाब का पानी अन्य राज्यों को किसी भी स्थिति में नहीं दिया जाएगा।
वहीं कांग्रेस नेता चरनजीत सिंह चन्नी का कहना है कि चुनाव आयोग रैली पर रोक लगाए यह जन्मदिन का जश्न एस.वाई.एल. के निर्माण के खिलाफ ‘पानी बचाओ, पंजाब बचाओ’ के नारे की आड़ में मनाया जा रहा है। यह केवल जन्मदिवस रैली है, जिसे एस.वाई.एल. पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर ‘पानी बचाओ, पंजाब बचाओ’ कॉन्फ्रैंस में तबदील कर दिया गया है। यदि अकाली दल इस आयोजन पर पार्टी की ओर से खर्च करता तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन सरकारी खजाने से खर्च करना अनुचित है।