Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Nov, 2017 04:53 PM
आर.टी.ए. आफिस में चालान भुगतान को लेकर बीते दिनों वकीलों व जनता के मध्य हुई धक्का-मुक्की के मामले में आज सहमति बन गई है। स्टाफ की कमी के कारण आर.टी.ए. सचिव लवजीत कलसी ने सिर्फ एक ही लाइन में चालान भुगतने का फैसला लिया था, जिसका वकील विरोध कर रहे थे।...
लुधियाना (सुरिन्द्र): आर.टी.ए. आफिस में चालान भुगतान को लेकर बीते दिनों वकीलों व जनता के मध्य हुई धक्का-मुक्की के मामले में आज सहमति बन गई है। स्टाफ की कमी के कारण आर.टी.ए. सचिव लवजीत कलसी ने सिर्फ एक ही लाइन में चालान भुगतने का फैसला लिया था, जिसका वकील विरोध कर रहे थे। अब शुक्रवार को वकील सुबह ही 5-5 चालान लेकर आम लोगों से पहले ही लाइनों में आकर लग गए। हालात यह रहे कि कार्य शुरू करने के एक घंटे में ही मात्र 3 वकीलों के चालान भुगताए गए, जिसका आम लोगों ने एक बार फिर से विरोध किया। लोग एकत्रित होकर आर.टी.ए. सचिव के पास पहुंचे तो तुरंत ऐसी व्यवस्था बनाई गई कि दोनों पक्ष संतुष्ट हो जाएं। व्यवस्था यह बनाई गई है कि एक ही लाइन में पहले 5 आवेदकों के चालान भुगते जाएंगे। उसके बाद एक वकील की बारी आएगी।
वकीलों संबंधी पूर्व डी.सी. का जुबानी आदेश
जब चालान सुविधा सैंटर पर था तो तब वकीलों द्वारा उनके क्लाइंटों के चालान न भुगताए जाने संबंधी मामला नगर के पूर्व डी.सी. के समक्ष उठाया गया था। तब पूर्व डी.सी. ने उन्हें जुबानी तौर पर कह दिया था कि एक वकील रोजाना 5 चालान भुगता लिया करे। पूर्व डी.सी. को बदले 4 वर्ष से अधिक का समय हो चला है, लेकिन वकील समुदाय अब भी रोजाना 5 चालान भुगताने पर अड़ा है जबकि आर.टी.ए. आफिस के पास इतना स्टाफ नहीं कि वह वकीलों व आम जनता के लिए अलग-अलग से लाइनें लगवाए।
कहां आ रही समस्या
करीब एक वर्ष पहले चालान भुगतान का कार्य सुविधा सैंटर के पास था जहां सुविधा सैंटर द्वारा अपना स्टाफ लगाया गया था। जब चालान भुगतान का काऊंटर डी.टी.ओ. आफिस में शिफ्ट किया गया तो स्टाफ की समस्या पेश आई। डी.टी.ओ. आफिस द्वारा सोसाइटी की माफ्र्त भर्ती किए गए स्टाफ को वहां लगाया गया था व करीब 2 माह पूर्व तक चालान भुगतान का कार्य सुचारू रूप से चल रहा था। फिर राज्य सरकार द्वारा डी.टी.ओ. आफिसों को खत्म कर जब आर.टी.ए. आफिस बनाए गए तो यहां से कुछ स्टाफ को हटा कर तहसीलों में भेज दिया गया, तब से स्टाफ की कमी के कारण चालान भुगतान के कार्य में दिक्कतें पेश आ रही हैं।