Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jun, 2017 04:06 AM
आम आदमी पार्टी चाहे विरोधियों के हमलों से घिरी हुई है, पर फिर भी अपने भविष्य....
जालंधर(बुलंद): आम आदमी पार्टी चाहे विरोधियों के हमलों से घिरी हुई है, पर फिर भी अपने भविष्य को लेकर नए प्लान बनाने में किसी से पीछे नहीं है। पंजाब और गोवा में हार के बावजूद ‘आप’ अब 2018 के लिए राजस्थान चुनावों की रणनीति तैयार करने में जुट गई है।
पार्टी ने राजस्थान विस चुनावों के लिए उक्त राज्य में जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण करवाने शुरूकर दिए हैं, जिससे राज्य की सियासी हलचल बारे पता लगाया जा सके। इसके साथ ही ‘आप’ राजस्थान की कांग्रेस में पड़ी दरार और वसुंधरा राजे सरकार के प्रति लोगों में फैली विरोधी लहर का लाभ लेने की फिराक में है। उधर ‘आप’ के राजस्थान में एक्टिव सूत्रों का कहना था कि अगर बात राजस्थान की भाजपा सरकार की करें तो लोगों में वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ स्पष्ट गुस्सा पाया जा रहा है क्योंकि उक्त सरकार लोगों के साथ किए वायदे पूरे नहीं कर पाई और दलितों तथा अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले रोक पाने में भी विफल रही है वर्ना पार्टी राजस्थान में एक बढिय़ा विकल्प साबित हो सकती थी, जो नहीं हो पाई। इसलिए ‘आप’ को राजस्थान में एक अच्छा आधार नजर आ रहा है।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने राज्य चुनावों को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इसी माह राजस्थान से हटाकर गुजरात कांग्रेस का स्टेट इंचार्ज बनाया है ताकि सचिन पायलट के लिए राजस्थान कांग्रेस का पूरा भार संभालने की राह आसान हो सके। इस कदम से पार्टी के राजस्थान में आपसी मतभेद उभर कर सामने आए हैं। यहां वर्णननीय है कि गत वर्ष ‘आप’ ने दिल्ली के डिप्टी सी.एम. मनीष सिसौदिया को राजस्थान स्टेट इंचार्ज लगाया था पर पार्टी लीडरशिप पंजाब और गोवा चुनावों में व्यस्त रही तथा दिल्ली में सरकार चलाने का भी भार था, इसलिए पार्टी ने सिसौदिया को दिल्ली वापस बुला लिया और राजस्थान का भार कुमार विश्वास के कंधों पर डाल दिया गया, पर अभी तक कुमार ने राजस्थान का भार संभाला नहीं है, न ही वहां वालंटियरों से साथ संपर्क स्थापित करने का यत्न किया है।
पंजाब और गोवा में हार तथा दिल्ली निगम चुनावों में बुरा प्रदर्शन करने के बाद ‘आप’ दिल्ली में अपनी सरकार सही तरीके से चलाने की ओर ध्यान देने में जुटी है। पार्टी का एक वर्ग पार्टी की इकाइयां देशभर में गठित करने की कोशिशों में जुटा है पर फिलहाल पार्टी गुजरात की योजना को रोककर सारा ध्यान राजस्थान की ओर लगाने में ही बेहतरी समझ रही है। ‘आप’ द्वारा इसी वर्ष गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में होने वाले चुनावों बारे कोई भी फैसला अभी लिया जाना है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि स्टेट यूनिट पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूती प्रदान करने के लिए कार्यरत है पर पार्टी ने भविष्य में कहां से चुनाव लडऩे हैं, इस बारे अभी कोई आदेश जारी नहीं हुए पर जल्द ही इस बारे फैसला लेकर पार्टी नेताओं और वालंटियरों की ड्यूटियां लगाई जा सकती हैं।