तस्वीरों में देखें, कैसे आजादी के 70 वर्ष बाद भी शरणार्थियों जैसा जीवन जी रहे हैं इस गांव के लोग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jul, 2017 11:26 AM

after 70 years of independence  people living like refugees are living

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सुल्तानपुर लोधी (धीर): देश की आजादी के 70 वर्षों उपरांत भी वोट का अधिकार मिलने के बावजूद आज भी पंजाब के जिला कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी क्षेत्र में पड़ते मंड क्षेत्र के टापूनुमा 16 गांवों के निवासी शरणार्थियों वाला जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं इन गांवों में रह रहे करीब 5000 से भी अधिक लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने व शहर जाने के लिए एक किश्ती पर निर्भर हैं। ‘पंजाब केसरी’ टीम ने मंड क्षेत्र का दौरा किया और वहां का हाल देखा। PunjabKesari
पलटून ब्रिज मुसीबतों का पहाड़
पलटून ब्रिज खुलने उपरांत मंड क्षेत्र निवासियों पर मानो मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है। क्षेत्र निवासियों को शहर जाने के लिए सिर्फ एक किश्ती का सहारा है, लेकिन यह किश्ती भी किसी समय पानी पूरा न होने के चलते किनारे तक नहीं जा पाती और किश्ती सवार लोगों को जान जोखिम में डालकर पैदल दरिया पार करना पड़ता है। दूध का धंधा करने वालों को रोजाना मुश्किलें पेश आती हैं व कई बार बरसात के दिनों में दरिया में पानी का स्तर बढऩे से वे दूध बेचने शहर नहीं जा पाते, जिससे आॢथक तौर पर भी नुक्सान होता है। PunjabKesari
कोई मैडीकल सुविधा नहीं
गांवों में मैडीकल डिस्पैंसरी की सुविधा न होने से पलटून ब्रिज खुलने उपरांत लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों व बुजुर्गों को एमरजैंसी के समय भी शहर नहीं लेकर जाया जा सकता, जिस कारण कई बार ऐसे मरीज मैडीकल सुविधा न मिलने के कारण ही दम तोड़ देते हैं। 

पढऩे के लिए सिर्फ एक ही स्कूल
मंड क्षेत्र में इन गांवों के बच्चों को शिक्षा के लिए सिर्फ एक ही सरकारी हाई स्कूल है, जिसमें प्राइमरी में 55 व हाई स्कूल में 47 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उच्च शिक्षा या कान्वैंट स्कूल में पढऩे के लिए जान जोखिम में डालकर दरिया पार जाना पड़ता है। वहीं 3 माह पुल खुलने कारण किसी भी सरकारी स्कूल में अध्यापक पढ़ाई करवाने के लिए अपनी जान जोखिम में नहीं डालना चाहते, जिस कारण इस क्षेत्र के स्कूल में अध्यापकों की भी भारी कमी है। इस कारण बच्चे लाजमी विषयों की शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

इंसानी जिंदगी सिर्फ एक किश्ती के सहारे
मंड क्षेत्र के लोगों की जिंदगी अब सिर्फ एक किश्ती के सहारे पर टिकी हुई है। किश्ती में लोगों को अपने दोपहिया वाहन व अन्य सामान के साथ दरिया को पार करना पड़ता है, जिससे किसी भी समय दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है। उल्लेखनीय है कि करीब 4 वर्ष पहले किश्ती डूबने से 9 लोगों की मृत्यु होने की घटना घटित हुई थी। 

कई एकड़ उपजाऊ भूमि निगल चुका है दरिया
दरिया ब्यास कई एकड़ उपजाऊ भूमि भी अपनी लपेट में ले चुका है, जिस कारण कई किसान तो खुदकुशी भी कर चुके हैं व कई किसानों के परिवार रोटी से भी तंग होकर मेहनत/मजदूरी कर किसी तरह अपना पेट भर रहे हैं। गांव रामपुर गोरा के बख्शीश सिंह पुत्र अजीत सिंह ने बताया कि उसकी 22 एकड़ जमीन दरिया निगल चुका है, जिस कारण उसके छोटे भाई की मृत्यु हो चुकी है और वह अपनी विधवा मां दर्शन कौर के साथ दो वक्त की रोटी के लिए मेहनत/मजदूरी करने के लिए मजबूर है। बच्चों को पढ़ाई के लिए उनके नौनिहाल भेजना पड़ा है। इसके अतिरिक्त किसान हीरा सिंह ने बताया कि उसकी भी 20 एकड़ जमीन दरिया की भेंट चढ़ चुकी है।

किसान सुखविन्द्र सिंह पुत्र साधु सिंह निवासी मोहम्मदाबाद ने बताया कि वह भी अपनी 12 एकड़ जमीन गवा चुका है। खुदकुशी वाले किसानों के परिवारों की तरसयोग्य हालत करीब 3 वर्ष पहले जमीन को पानी में बहती देखकर आत्महत्या करने वाले किसान प्रीतम सिंह की पत्नी सुरिन्द्र कौर अपने बच्चों व पोते-पोतियों के साथ कच्चे मकान में जीवन बसर कर रही है।

उसने बताया कि उसके 3 लड़के व 2 लड़कियां हैं। लड़कियों की शादी हो चुकी है व लड़के शहर जाकर मेहनत/मजदूरी कर अपने परिवार का किसी तरह पेट भरते हैं।एक अन्य आत्महत्या करने वाले किसान जोगिन्द्र सिंह के लड़के हीरा सिंह ने बताया कि उनकी 15 एकड़ जमीन एवं घर पूरी तरह दरिया की भेंट चढ़ जाने कारण उसकी बहन के विवाह से 3 दिन पहले ही उसके पिता ने आत्महत्या कर ली थी एवं अब 3 वर्षों में उसको सिर्फ एक बार ही मुआवजा मिला है।

2010 में बना था पलटून ब्रिज
किसान संघर्ष कमेटी द्वारा लगातार संघर्ष करने उपरांत सरकार ने 2010 में पलटून ब्रिज बनाकर मंड क्षेत्र के लोगों को सुविधा दी थी, लेकिन बरसात के दिनों में अब पुल को हटाने कारण लोगों को 2 माह बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। क्या कहते हैं किसान संघर्ष कमेटी के नेता- इस संबंधी किसान संघर्ष कमेटी के नेता परमजीत सिंह बाऊपुर व कुलदीप सिंह सांगरा आदि ने बताया कि पलटून ब्रिज खोलने के बाद लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।उन्होंने कहा कि जितना पैसा सरकार इस पुल को खोलने और फिर दोबारा लगाने के लिए देती है उतनी राशि में तो अब पुल भी बन जाना था।

उन्होंने कहा कि लम्बे समय से इस क्षेत्र में राज करती आ रही अकाली सरकार ने मंड क्षेत्र के इन गांवों के लिए कुछ नहीं किया। अब कांग्रेस सरकार से कुछ उम्मीद बंधी है कि वह मंड क्षेत्र के किसानों की मुश्किलों को हल कर पलटून ब्रिज को पक्का बनाएंगे।
 

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