31 वर्ष बाद लंगाह की जगह बनेगा नया जिला प्रधान,सस्पैंस बरकरार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 02:37 PM

after 31 years shaid b will be the district head

शिरोमणि अकाली दल बादल अपने नए जथेबंदक ढांचे का ऐलान कर रहा है तो ऐसे में न सिर्फ अकाली दल बल्कि प्रत्येक सियासी गुट की नजरें जत्थेदार लंगाह के इस्तीफे के बाद गुरदासपुर की जिला प्रधानगी पर हैं। वैसे तो राजनीति में पदाधिकारियों की दौड़ में भाग लेने के...

बटाला(सैंडी, साहिल): शिरोमणि अकाली दल बादल अपने नए जथेबंदक ढांचे का ऐलान कर रहा है तो ऐसे में न सिर्फ प्रत्येक सियासी गुट की नजरें जत्थेदार लंगाह के इस्तीफे के बाद गुरदासपुर की जिला प्रधानगी पर हैं। वैसे तो राजनीति में पदाधिकारियों की दौड़ में भाग लेने के लिए प्रत्येक को पूरी छूट होती है लेकिन गुरदासपुर में इस पद के लिए बहुत ज्यादा नाम सामने नहीं आ रहे। 

वर्णनीय है कि 1986 में स्व. जत्थेदार उजागर सिंह सेखवां ने प्रकाश सिंह बादल के कहने पर सुच्चा सिंह लंगाह को जिले की जत्थेदारी सौंपी थी। उसके बाद कभी भी ऐसा मौका नहीं आया, जब उनकी प्रधानगी को सीधे तौर पर कोई खतरा लगा, लेकिन इस बार सैक्स सी.डी. कारण बेकाबू हुए सियासी हालात को देखते हुए लंगाह को इस्तीफा देना पड़ा जिससे पूरे 31 वर्ष बाद गुरदासपुर का नया जिला प्रधान नियुक्त किया जाएगा। 

काहलों, सेखवां, बाठ, बब्बेहाली निभा सकते हैं अहम रोल
 जानकारों मुताबिक सिद्धान्तों पर चलते हुए निर्मल सिंह काहलों, जत्थे. सेवा सिंह सेखवां, कैप्टन बलबीर सिंह बाठ, गुरबचन सिंह बब्बेहाली उक्त चुनाव में बहुत ही पॉजिटिव रोल अदा करते हुए आपसी सहमति के साथ जिला प्रधान बनवा सकते हैं लेकिन चालाक राजनीति हमेशा दर्शाती है कि यहां कोई भी दिल का भेद उजागर नहीं करता और चर्चा भी यही है कि उक्त नेता सुखबीर बादल को अभी तक कोई एक सांझा उम्मीदार नहीं दे सके हैं।

काहलों व लोधीनंगल में फूट
बहुत ही अहम सूत्र बताते हैं कि उक्त प्रधानगी को लेकर सुखबीर बादल के लिए यदि कोई अड़चन है तो वह है काहलों व लोधीनंगल की आपसी फूट। जानकार मानते हैं कि जिले में लोधीनंगल की दावेदारी को लेकर अंदरखाते चाहे कोई जहर घोला भी जाए परन्तु खुलकर उनके खिलाफ कोई नहीं बोलेगा, परन्तु चर्चा है कि दोनों गुटों की जगजाहिर रंजिश के चलते काहलों ही लोधीनंगल का डट कर विरोध कर सकता है। इसके ठीक विपरीत चर्चा यह भी है कि रविकरण काहलों की दावेदारी को भी खोखला सिर्फ लोधीनंगल धड़ा ही कर सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि यदि सुखबीर बादल उक्त दोनों पदाधिकारियों में से किसी एक को न चुन कर किसी और चेहरे को आगे लाते हैं तो फिर सीधा लगेगा कि पार्टी प्रधान इनकी गुटबंदी के आगे घुटने टेक गए हैं।   

सीनियर्स में लोधीनंगल रेस में सबसे आगे 
 प्रधानगी को लेकर कई चाहवान अंदरूनी ख्वाहिशें पाले बैठे होंगे लेकिन हाल की घड़ी जिन नामों की सबसे अधिक चर्चा है इनमें सीनियर्स में विधायक लखबीर सिंह लोधीनंगल का नाम दौड़ में सबसे आगे चल रहा है। यदि हालात अनुकूल रहे तो पार्टी किसी वक्त भी उनके नाम पर मोहर लगा सकती है। मौजूदा हालात भी लोधीनंगल के पक्ष में इसलिए जाते हैं क्योंकि वह पूरे जिले में न सिर्फ अकाली दल के इकलौते एम.एल.ए. के रूप में विजेता रहे हैं बल्कि उन्होंने बटाला जैसे कट्टर हिन्दू क्षेत्र में जीत प्राप्त करके इतिहास रचा है।

यूथ में रविकरण काहलों की संभावना 
सूत्रों और जानकारों मुताबिक यदि पार्टी यूथ चेहरा आगे लाती है तो ऐसे में पूर्व चेयरमैन ट्यूबवैल कॉर्पोरेशन पंजाब रविकरण सिंह काहलों पार्टी की पहली पसंद हो सकते हैं। वर्णनीय है कि रविकरण न सिर्फ सुखबीर बादल की गुड बुक्स में हैं बल्कि अपने पिता और पार्टी के लिए प्रत्येक चुनाव आगे होकर लडऩे के कारण उनका तजुर्बा भी बाकी दावेदारों से उन्हें आगे ले जाता है।  
 

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