Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Dec, 2017 09:30 AM
‘गरीब की तो रब भी नहीं सुनता’ ये शब्द आज उन गरीब महिलाओं व लड़कियों पर बिल्कुल ठीक बैठे जिन्हें हादसा होने के बाद सुबह 8 बजे सिविल अस्पताल बठिंडा के ठंडे फर्श पर ही इलाज करवाना पड़ा जबकि उन्हें एमरजैंसी वार्ड की जरूरत थी। 2 महिलाओं की गंभीर हालत को...
बठिंडा(बलविंद्र): ‘गरीब की तो रब भी नहीं सुनता’ ये शब्द आज उन गरीब महिलाओं व लड़कियों पर बिल्कुल ठीक बैठे जिन्हें हादसा होने के बाद सुबह 8 बजे सिविल अस्पताल बठिंडा के ठंडे फर्श पर ही इलाज करवाना पड़ा जबकि उन्हें एमरजैंसी वार्ड की जरूरत थी। 2 महिलाओं की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें पी.जी.आई. रैफर किया गया है।
जानकारी के अनुसार गांव जीवन सिंह वाला (बठिंडा) की धागा फैक्टरी की एक बस अबुल खुराना (मुक्तसर) से व अन्य गांवों से 25-26 मजदूर महिलाओं को रोजाना लेकर आती है। आज सुबह करीब 6.30 बजे यह बस धुंध के कारण गांव जस्सी निकट सड़क पर खराब खड़े ट्रक से टकरा गई। वाहनों की टक्कर के कारण बस में सवार महिलाएं गंभीर जख्मी हो गईं, जबकि अन्य को अंदरूनी चोटें लगीं। इसके तुरंत बाद आसपास के लोगों ने उन्हें संभाला और उसी बस में सभी को सिविल अस्पताल बठिंडा पहुंचाया। बठिंडा पहुंचकर घायलों को एमरजैंसी वार्ड के बाहर ही पत्थर के फुटपाथ, लोहे की कुर्सियों या फर्श पर ही लेटा दिया गया।
मौके पर एक डाक्टर मौजूद था जबकि स्टाफ नर्स घायल महिलाओं को फर्श पर ही टीके लगाने लगी। हादसे के कारण सहमी महिलाएं ठंड से कांप रही थीं जबकि कई छोटी लड़कियों की हालत ज्यादा खराब हो रही थी, परन्तु मौजूद डाक्टर या स्टाफ को इन बातों की कोई परवाह नहीं की। यह मामला सिविल सर्जन तक पहुंचा तो उन्होंने एस.एम.ओ. को ताडऩा की कि मरीजों को तुरंत बैड पर लेटाया जाए। जल्द बाजी में स्टाफ ने सभी मरीजों को बैड मुहैया करवाए। उसके बाद ही ये हालात थे कि एक बैड पर 3-3 मरीज लेटा दिए गए।