17 और ‘आप’ विधायकों की सदस्यता पर लटकी तलवार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jan, 2018 09:20 AM

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दिल्ली में केजरीवाल सरकार को इस साल एक नहीं बल्कि 2 बार उपचुनाव लडऩा पड़ सकता है।

जालंधर  (पाहवा): दिल्ली में केजरीवाल सरकार को इस साल एक नहीं बल्कि 2 बार उपचुनाव लडऩा पड़ सकता है। पहली बार विधानसभा की 20 सीटों पर और दूसरी बार 17 पर। जानकारी मिली है कि ‘आप’ के 17 और विधायकों की सदस्यता खतरे में है। इनका मामला भी चुनाव आयोग पहुंच चुका है। इस पर अब नए मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत को सुनवाई करनी है। हाल ही में अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि ऊपर वाले ने कुछ सोच-समझकर ही उन्हें 67 सीटें दी थीं, इसलिए 20 विधायकों की सदस्यता जाने के बावजूद उनकी सरकार को खतरा नहीं है, लेकिन अगला झटका इससे भी बड़ा हो सकता है। ‘आप’ के 27 विधायकों पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का एक और मामला चल रहा था।

 

इनमें से 10 की सदस्यता अभी-अभी गई है, यानी पार्टी के 17 और विधायकों पर पूर्व विधायक होने का खतरा मंडरा रहा है। यह पूरा मामला आम आदमी पार्टी सरकार के वक्त बनाई गई रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष पद का है। इसे पार्टी मोहल्ला क्लीनिक सभा भी कहती है। इनके अध्यक्ष पदों पर पार्टी के विधायक काबिज हैं। इन 17 विधायकों के बारे में चुनाव आयोग ने केंद्रीय कानून मंत्रालय से कानूनी सलाह मांगी है व विधायकों को नोटिस भेजा जा चुका है। 

 

इन विधानसभा सदस्यों पर मंडरा रहा है खतरा 
जगदीप सिंह (हरि नगर), एस. के. बग्गा (कृष्णा नगर), जितेंद्र सिंह तोमर(त्रीनगर), वन्दना कुमारी (शालीमार बाग), अजेश यादव (बादली), कमांडो सुरेंद्र सिंह (दिल्ली कैंट), राम निवास गोयल (शाहदरा), विशेष रवि (करोल बाग), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), वेद प्रकाश (बवाना), सोमनाथ भारती (मालवीय नगर),  पंकज पुष्कर (तिमारपुर), राजेंद्र पाल गौतम (सीमापुरी), हजारी लाल चौहान (पटेल नगर), महेंद्र गोयल( रिठाला), राखी बिड़लान(मंगोलपुरी) व  मोहम्मद इशराक(सीलमपुर)। 

 

इस बारे विभोर आनंद ने की है शिकायत
दिल्ली सरकार की रोगी कल्याण समिति के खिलाफ वकालत की पढ़ाई कर रहे विभोर आनंद ने राष्ट्रपति को शिकायत भेजी थी। विभोर ने इसमें आरोप लगाया था कि दिल्ली के वे 27 विधायक जो इस समिति के अध्यक्ष हैं, लाभ के पद पर आसीन हैं। इसके बाद राष्ट्रपति ने यह मामला चुनाव आयोग के पास भेज दिया। अगर देखें तो यह केस भी लगभग उस मामले जैसा ही है जिसमें ‘आप’ के 20 विधायकों की सदस्यता हाल ही में गई है। पिछले मामले में प्रशांत पटेल नामक एक शख्स ने ‘आप’ के 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के खिलाफ  राष्ट्रपति को याचिका भेजी थी और अब विभोर आनंद ने ऐसा किया है। 

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