Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jul, 2017 06:47 PM
आम आदमी पार्टी का प्रदेश प्रधान बनने के 2 माह बाद भी विभिन्न मुद्दों पर कैप्टन सरकार के खिलाफ सांसद भगवंत मान की चुप्पी आम अादमी नेताओं को अखर रही है। मान न तो संगठन विस्तार के लिए कदम उठाने और न ही पार्टी को सक्रिय करने में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे...
चंडीगढ़ः आम आदमी पार्टी का प्रदेश प्रधान बनने के 2 माह बाद भी विभिन्न मुद्दों पर कैप्टन सरकार के खिलाफ सांसद भगवंत मान की चुप्पी आम अादमी नेताओं को अखर रही है। मान न तो संगठन विस्तार के लिए कदम उठाने और न ही पार्टी को सक्रिय करने में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार के बाद पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुरप्रीत सिंह वड़ैच घुग्गी को प्रदेश कन्वीनर पद से हटा दिया था। घुग्गी को हटाने के साथ ही आप नेताओं की मांग मानते हुए इस पद को खत्म कर प्रधान पद बनाया था। इसकी जिम्मेदारी भगवंत मान को सौंपी गई। इससे उम्मीद की जा रही थी कि विधानसभा चुनाव के बाद से नाराज चल रहे मान अब संतुष्ट होंगे ।
अब मान ने प्रदेश उपाध्यक्ष अमन अरोड़ा के हवाले संगठन विस्तार का काम सौंप कर चुप्पी साध ली है। इस दौरान पंजाब में रेत खनन के मामले में कांग्रेस घिरी। ड्रग्स व भ्रष्टाचार के कई मुद्दे विपक्ष के हाथ भी आए, लेकिन एक भी मामले में मान ने प्रदेश स्तर पर पार्टी की तरफ से कोई उपलब्धि दर्ज नहीं करवाई।
इतना ही नहीं विधानसभा परिसर से जब आम आदमी पार्टी के विधायकों को फैंका गया तब भी मान ने चुप्पी नहीं तोड़ी। पार्टी के विधायकों व गठबंधन की सहयोगी लोक इंसाफ पार्टी के बैंस ब्रदर्स ने कमान संभाल कर विधानसभा सत्र में खलल जरूर डाला था। मान के इस रवैये के चलते आप कार्यकर्ताओं में भी निराशा झलकने लगी है।