Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Dec, 2017 03:11 AM
इस वर्ष के आरंभ में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव हार कर सत्ता की दौड़ में तीसरे स्थान पर आने के बावजूद शिरोमणि अकाली दल ने साबित कर दिया है कि पंजाब में मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी नहीं बल्कि अकाली दल है। हालांकि सदन में दूसरा सबसे बड़ा दल होने के...
चंडीगढ़(पराशर): इस वर्ष के आरंभ में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव हार कर सत्ता की दौड़ में तीसरे स्थान पर आने के बावजूद शिरोमणि अकाली दल ने साबित कर दिया है कि पंजाब में मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी नहीं बल्कि अकाली दल है।
हालांकि सदन में दूसरा सबसे बड़ा दल होने के नाते आम आदमी पार्टी के नेता सुखपाल सिंह खैहरा को विपक्ष के नेता के तौर पर चुना गया है लेकिन तब से लेकर अब तक आम आदमी पार्टी के नेतृत्व को लेकर तथा कई अन्य कारणों से इसके ग्राफ में लगातार गिरावट आई है जिसके चलते शिरोमणि अकाली दल को एक बार फिर अपनी खोई साख बहाल करने तथा जनता में अपनी शक्ति दिखाने का मौका मिल गया है।
स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के बाद अकाली दल एकमात्र ऐसी राजनीतिक पार्टी है जिसने अपने पार्टनर के साथ मिलकर लगभग सभी स्थानों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। उधर आम आदमी पार्टी को कई सीटों के लिए उम्मीदवार तलाशने भी मुश्किल हो रहे हैं।
विधानसभा चुनावों में मुख्य राजनीतिक दलों का ऐसा रहा था प्रदर्शन
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीटें हासिल कर 10 वर्ष के बाद प्रदेश में पुन: अपनी सरकार बनाई। आम आदमी पार्टी को 20 सीटें मिलीं जबकि शिअद को 15 तथा इसकी सहयोगी पार्टी भाजपा को 3 सीटें मिलीं। 2 सीटें बैंस भाइयों की लोक इंसाफ पार्टी के खाते में गईं।