Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Oct, 2017 01:19 PM
कभी आपने सुना है कि किसी बच्चे की खेलते-खेलते हड्डियां अपने आप टूट जाए और फिर खुद ही जुड़ जाए, पर यह सच है। ऐसा ही होता है अमृतसर के 7 वर्षीय गुरताज सिंह के साथ । उसकी हड्डियां अपने आप ही टूट जाती हैं।
अमृतसरः कभी आपने सुना है कि किसी बच्चे की खेलते-खेलते हड्डियां अपने आप टूट जाए और फिर खुद ही जुड़ जाए, पर यह सच है। ऐसा ही होता है अमृतसर के 7 वर्षीय गुरताज सिंह के साथ । उसकी हड्डियां अपने आप ही टूट जाती हैं। कभी खेलते-खेलते तो कभी बैठे-बैठे अचानक उसके साथ ऐसा होता है। उसकी हड्डियां कुछ समय के अंतराल के बाद खुद-ब-खुद जुड़ भी जाती हैं। इस दौरान उस असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है।
बीमारी के कारण रूका शारीरिक विकास
दरअसल, गुरताज को ऑस्टेवनेट इम्परेफैक्टा (अस्थिजनन अपूर्णता) नामक रोग है। इस बीमारी के कारण उसकी हड्डियां तड़क कर टूट जाती हैं। इससे शारीरिक विकास भी अवरुद्ध होता है। कहने को तो वह सात साल का है, लेकिन उसकी उम्र महज 2 से ढाई साल लगती है।
बेटे के दुख से पिता की हार्ट अटैक से मौत
चविंडा देवी के गांव बाबोवाल में जन्मे गुरताज की मां पलविंदर कौर बताती हैं कि वर्ष 2010 में जन्म के एक माह बाद ही बेटे की पैर की हड्डी फैक्चर हो गई। उसका पैर फूल गया। डॉक्टर के पास ले गए तो जांच में पता चला कि बच्चे को ऑस्टेवनेट इम्परेफैक्टा नामक रोग है। इस वजह से उसकी हड्डी में फैक्चर हो रहा है और यह भविष्य में भी होता रहेगा।
इस पर उन्होंने गुरताज की बहुत ज्यादा देखभाल करनी शुरू कर दी, लेकिन हड्डियां टूटने का क्रम थमा नहीं। कभी कलाई की हड्डी टूट जाती तो कभी पैर की। हैरानी की बात यह भी थी कि कुछ माह बाद टूटी हुई हड्डी खुद ही जुड़ भी जाती। हालांकि टूटी हुई हड्डी जुड़ने के बाद बच्चे की आकृति बिगाड़ देती। इससे उसे चलने में भी परेशानी आती है।
बच्चे की इस अवस्था से आहत उसके पिता हरपाल सिंह की वर्ष 2011 में हार्ट अटैक से मौत हो गई।जन्म के तीन सालों तक गुरताज की हड्डियां पंद्रह दिन के अंतराल में टूटतीं, लेकिन अब तीन से 6 माह के बाद ऐसा होता है। शारीरिक विकृति के साथ जन्मे गुरताज को प्रतिमाह निजी अस्पताल में उपचार के लिए लाते हैं।
बीमारी का नहीं है कोई इलाज : डॉक्टर
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विमल कहते हैं कि ऑस्टेवनेट इम्परेफैक्टा रोग पूर्णत: आनुवांशिक है। इसमें हड्डी टूटती रहती है। हालांकि कुछ समय बाद टूटी हुई हड्डी पुन: जुड़ भी जाती है। हड्डी टूटने के कारण बच्चे को असहनीय दर्द होता है। इस रोग में मरीज के दोनों पैर मुड़े रहते हैैं, इसलिए उसे जरा झुक कर चलना पड़ता है। इसका ट्रीटमेंट नहीं है, लिहाजा मां-बाप बच्चे को अपनी आंखों से ओझल न होने दें। उसे चोट आदि से बचाएं।
निजी स्कूल में नहीं मिला प्रवेश
दुखद पहलू यह है कि गुरताज को निजी स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया। स्कूल प्रबंधन का मानना था कि ऐसे बच्चे को ज्यादा केयर की जरूरत होती है, इसलिए उसे पढ़ाना उनके वश की बात नहीं। ऐसी स्थिति में गुरताज को गांव बाबोवाल के सरकारी स्कूल में दाखिल करवाया गया।