Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Oct, 2017 08:37 AM
महानगर में आजकल कुत्तों का खासा आतंक है।
जालंधर(रविंदर शर्मा): महानगर में आजकल कुत्तों का खासा आतंक है। शहर की ऐसी कोई गली नहीं, जहां आवारा कुत्तों की भरमार न हो। रोजाना कोई न कोई हादसा आम जनता के साथ घटित हो रहा है। रात के समय तो कुत्तों का आतंक भयावह हो जाता है। आप स्कूटर या मोटरसाइकिल पर भी जा रहे हो तो भी सुरक्षित नहीं हैं। एक सर्वे के मुताबिक शहर में 80 प्रतिशत कुत्ते खतरनाक हैं। इनमें से किसी की भी कभी स्टरलाइजेशन नगर निगम की ओर से नहीं की गई। कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
नगर निगम पिछले 5 साल में डॉग कम्पाऊंड तक नहीं बना सका और पूरा मामला राजनीति की भेंट चढ़ गया। एक अनुमान के मुताबिक शहर में कुत्तों की संख्या लाखों के पार पहुंच गई है। यह सभी आवारा हैं और इनकी किसी तरह की स्टरलाइजेशन नहीं की गई है। इनके काटने से आम राहगीर को रैबीज जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है, मगर जिला प्रशासन व नगर निगम पूरी तरह से इस खतरनाक मुद्दे के प्रति आंखें मूंदे बैठा है।
प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले को कभी भी गंभीरता से नहीं देखा। अकेले 2016 की बात करें तो सिविल अस्पताल में ही कुत्तों के काटने के मरीजों की संख्या 4 हजार के पार थी। वहीं 2017 में सितम्बर महीने तक कुत्तों के काटे मरीजों की संख्या 4500 पार कर गई थी। यह संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। बच्चों के लिए तो यह कुत्ते बेहद खूंखार साबित हो रहे हैं।
इसी साल 2 बच्चों की तो कुत्तों के काटने से मौत तक हो चुकी है। कई सामाजिक संगठन इस गंभीर मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रहे हैं। महानगर के अस्पतालों की बात करें तो यहां पर एंटी रैबीज इंजैक्शनों की बेहद कमी है। सिविल अस्पताल में भी एंटी रैबीज की सप्लाई बेहद कम आ रही है जिसके कारण मरीजों को बाहर से एंटी रैबीज इंजैक्शन महंगे दाम पर खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।
खतरनाक बीमारी है रैबीज, हो सकती है मौत: डा. एस.के. कुलकर्णी
प्रसिद्ध मैडीकल स्पैशलिस्ट डा. एस.के. कुलकर्णी का कहना है कि कुत्ते के काटने से इंसान को रैबीज जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। इससे न केवल मरीज पागल हो सकता है बल्कि उसकी मौत भी हो सकती है।