मुसीबतों के पहाड़ को बौना साबित करती है इस छात्र की एक मुस्कुराहट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Mar, 2018 11:11 AM

‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, बल्कि हौसलों से उड़ान होती है।’ इस बात की जीती जागती मिसाल है लुधियाना के गांव सहोली के सरकारी प्राइमरी स्कूल की 5वीं कक्षा में पढऩे वाला छात्र कमलजीत सिंह। ऊपर वाले ने...

लुधियाना(विक्की): ‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, बल्कि हौसलों से उड़ान होती है।’ इस बात की जीती जागती मिसाल है लुधियाना के गांव सहोली के सरकारी प्राइमरी स्कूल की 5वीं कक्षा में पढऩे वाला छात्र कमलजीत सिंह। ऊपर वाले ने बेशक इस मासूम के साथ नाइंसाफी की है और उसके हाथ और पैर जन्म से ही काम नहीं कर रहे थे।

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लेकिन कमलजीत ने अपने हौसले को गिरने नहीं दिया और अपने आत्मविश्वास के साथ पहाड़ जैसी मुश्किलों को बौना साबित करके चलना शुरू कर दिया। 11 वर्षीय यह छात्र अब एस.सी.ई.आर.टी. द्वारा ली जा रही परीक्षाओं में सामान्य बच्चों के साथ ही पेपर दे रहा है लेकिन इसकी खास बात यह है कि यह हाथ से नहीं, बल्कि पैर की 2 उंगलियों से निर्धारित समय में अन्य बच्चों के साथ ही अपना पेपर पूरा कर रहा है। बचपन से ही इसी अवस्था में बड़ा हुआ कमलजीत अपनी शारीरिक मुश्किलों को दरकिनार करके भविष्य में सरकारी अध्यापक बनने का सपना संजोए हुए है, जिसे पूरा करने के लिए वह दृढ़ संकल्प है। ज्यों ही इस विद्यार्थी संबंधी नवचेतना बाल भलाई कमेटी को पता चला तो प्रधान सुखधीर सेखों ने इस छात्र की बीमारी के इलाज पर आने वाला पूरा खर्च उठाने के लिए कदम आगे बढ़ा लिए हैं।


इलाज में जब आर्थिक तंगी बनी रोड़ा तो ‘नई जिन्दगी नई उड़ान’ ने थामा हाथ 
छात्र के पिता संतोख सिंह ने बताया कि जब कमलजीत पैदा हुआ था तो उसके पैर छाती और हाथ कंधों के साथ सटे हुए थे, जिसे देखकर परिवार वाले परेशानी में आ गए। वैल्डिंग का काम करके मात्र 8,000 रुपए प्रतिमाह कमाने वाले संतोख सिंह ने बेटे को सर्वप्रथम इलाज के लिए पटियाला के राजिन्द्रा अस्पताल, फिर उदयपुर राजस्थान व अन्य कई डाक्टरों को दिखाया लेकिन आर्थिक तंगी हमेशा उसके इलाज में रोड़ा बनी।  एक दिन एन.जी.ओ. ‘नई जिन्दगी नई उड़ान’ द्वारा लगाए मैडीकल कैम्प में जब वह अपने बेटे को लेकर पहुंचा तो संस्था ने उसके बेटे कमलजीत के इलाज की हामी भरते हुए चंडीगढ़ पी.जी.आई. में उसके दोनों पैरों का ऑप्रेशन करवाया। इसके बाद वह चलने-फिरने में कुछ हद तक समर्थ हो गया। अब वह पिछले & वर्ष से चल-फिर तो रहा है लेकिन घुटने न मुडऩे के चलते अपने आप बैठने में असमर्थ है। 


हिम्मत से दी मुसीबत को मात 
‘पंजाब केसरी’ टीम ने जब आज पक्खोवाल रोड पर पड़ते गांव सहोली के इस सरकारी स्कूल में पहुंचकर छात्र कमलजीत को देखा तो उसके चेहरे पर छाई मुस्कान ने ही जाहिर कर दिया कि उसने अपने सारे दुखों को हिम्मत से हरा दिया है। जमीन पर बिछाए टाट पर बैठकर दाएं पैर की दोनों उंगलियों में नीले पैन को पकड़ हिन्दी की कॉपी पर सुंदर लिखाई में लिख रहे इस छात्र के आत्मविश्वास को देखकर हर किसी का हौसला सहज ही बढ़ जाता है। 

ञपरीक्षाओं के बाद हाथों का इलाज होगा शुरू 
संतोख सिंह ने बताया कि कमलजीत की परीक्षा के बाद फिर उसका इलाज करवाया जाएगा। अब कमलजीत के हाथों के साथ घुटने मुडऩे का इलाज करवाया जाएगा। नव चेतना बाल भलाई कमेटी के प्रधान सुखधीर सिंह सेखों ने कहा कि कमलजीत के हाथों के इलाज हेतु वह जल्द ही शहर के सी.एम.सी. अस्पताल में डाक्टरों के साथ बात करेंगे। 

हिम्मत हारने वालों के लिए प्रेरणा है कमलजीत
कमलजीत से जब पूछा गया कि पैरों से लिखना उसे मुश्किल नहीं लगता तो उसका जवाब आत्मविश्वास से भरा था, जिसे लेकर वह अब तक इस मुसीबत से जीतता आया है। कमलजीत ने कहा कि अगर मन में आ गया कि कोई काम मुश्किल है तो फिर वह नहीं हो पाता। इसलिए उसने हमेशा हर काम को करने की ललक पाली तथा हर बार सफलता पाई। अपने इस ज’बे का श्रेय यह छात्र अपने पिता संतोख सिंह को देता है, जिसने उसे हमेशा अपनी गोद में उठाए रखा। इतना कहते ही कमलजीत की आंखों से आंसू छलक पड़े। 

मुसीबत में मुस्कुराना कमलजीत से सीखो : हैड टीचर
स्कूल के हैड टीचर गुरप्रीत सिंह ने कहा कि स्कूल में कमलजीत को असली इंसान का नाम दिया गया है, क्योंकि यह विद्यार्थी सभी मुसीबतों का सामना करते हुए हमेशा मुस्कुराता रहता है, जिससे सभी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्कूल की एक अध्यापिका जसप्रीत कौर ने भी इस छात्र को मोटीवेट करने में अपना अहम रोल अदा किया है, जिसके लिए वह एक आदर्श टीचर के रूप में जानी जाती है। 

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